मेघालय में हनीमून पर निकले राजा रघुवंशी की मौत ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है. बताया जा रहा है कि राजा रघुवंशी का मेघालय पहुंचने के 48 घंटे बाद ही कत्ल कर दिया गया था. हत्या के समय उनके पास उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी मौजूद थीं. हत्या के कुछ ही मिनटों बाद, राजा की मां सोनम की सास ने फोन किया था. उस बातचीत में किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि कुछ ही मिनट पहले सोनम ने अपने पति को मरवा दिया है.
मामले की जांच में यह सामने आया है कि सोनम ने सुपारी किलर्स से मिलकर यह अंजाम दिया. मामले को ऑपरेशन हनीमून के नाम से जांचा जा रहा है. 48 घंटे के भीतर सोनम अपने पति की हत्या के बाद इंदौर लौट आईं और 27 मई तक वहीं छिपी रहीं. इस संदिग्ध घटनाक्रम में आरोपी की साजिश और उसके सहयोगियों की भूमिका पर सवाल उठते हैं.
सोनम से हो सख्ती से पूछताछ
इंदौर, मध्य प्रदेश में राजा रघुवंशी के पिता अशोक रघुवंशी ने कहा कि यदि सोनम रघुवंशी से सख्त पूछताछ की जाएगी तो कई तथ्य सामने आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि एक महिला अकेले ऐसा काम नहीं कर सकती और इसमें अन्य व्यक्तियों की भी भूमिका रही होगी. पिता ने यह भी कहा कि सोनम को मंगल दोष है, जिसकी वजह उसने मेरे बेटे को मौत के घाट उतारा.
इसके अलावा अशोक रघुवंशी ने कहा कि सोनम रघुवंशी से अगर सख्ती से पूछताछ की जाए तो मामले के कई तथ्य सामने आएंगे. एक महिला अकेले ऐसा नहीं कर सकती. इसमें और भी लोग शामिल होंगे. उसे मंगल दोष था और उसने अपने पति को मारकर किसी और से शादी करने की सोची. मेरा बेटा बहुत मासूम था. पुलिस मामले की गहन तहकीकात में लगी हुई है और जल्द ही मामले से संबंधित आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी. स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त सजा की मांग की है.
सामाजिक संगठनों ने सख्त सजा की मांग की
वहीं इस घटना पर देश की जानी मानी मनोवैज्ञानिक और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा की मनोवैज्ञानिक विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर पायल कंवर चंदेल कहती हैं कि आज के दौर में युवाओं की एक पूरी पीढ़ी धैर्य, सामाजिक जुड़ाव और यथार्थ से संबंध खोती जा रही है और एक आभासी दुनिया में जीने की आदत बना चुकी है, ऐसे जघन्य अपराध केवल कानून व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती मनोवैज्ञानिक असंतुलन की स्पष्ट चेतावनी हैं. इन त्रासदियों के पीछे संभावित कारणों में व्यक्तित्व विकार, भावनात्मक असंतुलन, सामाजिक दबाव व जबरन रिश्ते, तथा सोशल मीडिया की आभासी दुनिया का प्रभाव शामिल हो सकते हैं.
अब विवाह एक पारिवारिक संस्था से हटकर दो व्यक्तियों के बीच का संबंध बन गया है. जहां सबसे महत्वपूर्ण है मनोवैज्ञानिक अनुकूलता, न कि केवल जन्मपत्री या बाहरी समानताएं. आज आवश्यकता है कि हम मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन भी उसी गंभीरता से करें जैसे हम शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराते हैं. यदि समय से मनोवैज्ञानिक प्रोफाइलिंग की गई होती, उनके व्यवहार, तनाव झेलने की क्षमता, और आक्रोश प्रतिक्रिया का आकलन किया गया होता, तो शायद इन घटनाओं को रोका जा सकता था.
सामाजिक जुड़ाव और यथार्थ से संबंध खोती जा रही है युवा पीढ़ी
इसके अलावा डॉक्टर पायल कहती हैं कि समाज को अब यह स्वीकारना होगा कि मानसिक स्वास्थ्य एक अनिवार्य आवश्यकता है. शिक्षण संस्थानों, कार्यस्थलों और पारिवारिक व्यवस्थाओं में नियमित मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और परामर्श प्रणाली को अनिवार्य बनाना होगा. इस दिशा में प्रयास न किए गए, तो आने वाला समाज केवल तकनीकी रूप से सक्षम होगा. लेकिन भावनात्मक रूप से खंडित, संवेदनहीन और असंतुलित. अब समय है. विवाह पूर्व परामर्श को अनिवार्य बनाने का.
आज का समय समाज से स्पष्ट रूप से यह मांग कर रहा है कि विवाह पूर्व मनोवैज्ञानिक परामर्श (Pre-Marital Counseling) को सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में अपनाया जाए. जब रिश्तों की नींव अस्थिर हो, जब भावनाएं असंतुलित हों, और जब अपेक्षाएं अस्पष्ट हों. तब केवल प्रेम या सामाजिक दबाव पर्याप्त नहीं होते. मानसिक अनुकूलता, भावनात्मक परिपक्वता और संवाद की क्षमता को जांचे बिना रिश्तों को जीवनभर के बंधन में बांधना, आज के परिप्रेक्ष्य में एक खतरनाक सामाजिक जुआ बन चुका है.
कुंडली मिलान के साथ शादी से पहले मनोवैज्ञानिक परामर्श बेहद जरूरी
डॉक्टर पायल का कहना है कि समाज को अब यह स्वीकार करना होगा कि जैसे मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट या जन्मपत्री शादी से पहले माँगा जाता है, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और विवाह पूर्व काउंसलिंग को भी अनिवार्य बना देना चाहिए. यही आने वाले समाज को अपराधमुक्त, सहिष्णु और भावनात्मक रूप से सुरक्षित बना सकेगा.
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