'चुनावी घोषणाओं ने बिगाड़ी राज्यों की सेहत...' कैलाश विजयवर्गीय ने लगाई केंद्र से मदद की गुहार

भोपाल में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव के दौरान किए गए वादों के कारण राज्यों के बजट की हालत बेहद खराब हो गई है. उन्होंने केंद्र सरकार से मदद की मांग की. शहरी विकास मंत्रियों की क्षेत्रीय बैठक में विजयवर्गीय ने कहा कि राजनीतिक मजबूरियों में कई घोषणाएं करनी पड़ीं, जिन्हें पूरा करना अब मुश्किल हो रहा है. अमृत और आवास जैसी योजनाओं में केंद्र से सहयोग जरूरी है.

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मंत्री कैलाश विजयवर्गीय. (File Photo: ITG) मंत्री कैलाश विजयवर्गीय. (File Photo: ITG)

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST

भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने चुनावी वादों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय किए गए वादों को पूरा करने में राज्यों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को राज्यों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक मजबूरियों के चलते कई तरह की घोषणाएं करनी पड़ती हैं, लेकिन बाद में इन्हें पूरा करना राज्यों के बजट पर भारी पड़ता है. इसी वजह से आज राज्यों की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है.

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केंद्रीय मदद की जरूरत बताई

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भोपाल में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से आयोजित शहरी विकास मंत्रियों की क्षेत्रीय बैठक में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने खुलकर कहा कि राज्यों के बजट की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है और अब हालात संभालना मुश्किल होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि चुनाव के समय जितनी उम्मीद बजट को लेकर की जाती है, उतनी वास्तविकता में पूरी नहीं हो पाती. इस वजह से राज्यों को अब केंद्र सरकार की ओर देखने की मजबूरी हो गई है.

केंद्र की योजनाओं में सहयोग की मांग

कैलाश विजयवर्गीय ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अमृत योजना, आवास योजना और अन्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को और अधिक मदद दी जाए. उन्होंने बताया कि इन योजनाओं में कुछ काम तो हो चुका है, लेकिन बाकी कामों के लिए राज्यों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

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मंत्री ने कहा कि सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि लगभग हर राज्य की यही स्थिति है. चुनावी वादों और कमिटमेंट के चलते राज्यों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है. ऐसे में केंद्र सरकार की मदद से ही इन योजनाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है.

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