इंदौर के बेलेश्वर शिव मंदिर को तोड़ने के लिए नगर निगम की टीम पहुंच गई है. मंदिर परिसर में बने अवैध निर्माण पर बुलडोजर चल रहा है. सुबह 6 बजे से कार्रवाई शुरू हुई है. 36 लोगों की जान लेने वाली बावड़ी को भर दिया गया. अतिक्रमण तोड़ने से जो मलबा निकला, उसी मलबे से बावड़ी को पूरा भर दिया गया है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए 4 पुलिस थानों का बल वहां मौजूद है. इसके अलावा ढक्कन वाला कुआं, गडरा खेड़ी ओर सुखलिया में नगर निगम का बुलडोजर चल रहा है.
इस बीच लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया है. लोग मंदिर तोड़ने का विरोध कर रहे हैं. गौरतलब है कि बेलेश्वर मंदिर में रामनवमी के दिन हादसा हुआ था, जिसमें 36 लोगों की जान गई थी. इस बेले बिलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट को 2 महीने पहले इंदौर नगर निगम ने नोटिस के जरिए चेताया था. इसमें लिखा था कि आप बावड़ी पर आरसीसी निर्माण न करें. बावजूद इसके मंदिर प्रशासन ने बावड़ी के ऊपर आरसीसी का निर्माण किया था.
दरअसल, नगर निगम ने बावड़ी पर आरसीसी निर्माण को लेकर 2022 में मंदिर ट्रस्ट समिति के लिए नोटिस भेजा था. इस पर मंदिर द्वारा जवाब भी दिया गया था, जिस पर नगर निगम द्वारा फाइनल ऑर्डर भी जारी किया था लेकिन अभी इसकी जांच जारी है. हालांकि कलेक्टर ने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए हैं, जिसमें सारे तथ्य सामने आएंगे.
घटना के बाद इंदौर नगर निगम कमिश्नर ने इलाके के बिल्डिंग ऑफिसर और बिल्डिंग इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया था. इन सबके बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे थे. यहां घायलों के परिजनों ने उनका विरोध करते हुए नारेबाजी भी की थी.
सीएम शिवराज का लोगों ने किया था विरोध
सीएम शिवराज सिंह चौहान का विरोध कर रहे लोगों ने कहा था कि इंदौर नंबर वन है, लेकिन जब साधन व्यवस्था ही नहीं है तो कैसे नबंर वन है. लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सेना को पहले ही बुला लिया होता तो लोगों की जान बच जाती.
उधर, मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि यह जो घटना है, वह काफी दुखद है.
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पूरे मध्यप्रदेश में अब इस तरह के जो भी खुले स्थान हैं, उनको लेकर भी सरकार ने निर्देश दिए हैं. कहा गया है कि अगर कोई भी बोरिंग खुला पाया जाता है और वह निजी जमीन पर होता है तो उसके मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जल्द से जल्द इस मामले में जांच कर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
कैसे हुआ था हादसा
ये शिवमंदिर करीब 50 साल पुराना है, जबकि बावड़ी करीब 100 साल पुरानी. पहले यह बावड़ी खुली थी. करीब 25 साल पहले उसके ऊपर एक स्लैब डाल दिया गया और इसके बाद वो धीरे-धीरे मंदिर का हिस्सा बन गया, जो कि असल में अवैध था. रामनवमी के दिन जब श्रद्धालु बड़ी तादाद में वहां इकट्ठे हुए तो वो बावड़ी पर बना स्लैब टूट गया.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, रामनवमी को देखते हुए यहां हवन का कार्यक्रम रखा गया था, हवन संपन्न होते ही जब आरती के लिए श्रद्धालु खड़े हुए, उसी दौरान स्लैब टूट गया और कई लोग बावड़ी में गिर गए. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
रवीश पाल सिंह