Digital Arrest 'डिजिटल अरेस्ट' के लगातार सामने आ रहे मामलों ने देश में हड़कंप मचा दिया है. साइबर ठग देश-दुनिया में घर बैठे निर्दोष लोगों से लाखों-करोड़ों रुपए ऐंठ चुके हैं. इसके लिए सरकारें जागरूकता अभियान चला रही हैं. साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी अपने स्तर पर जनता को साइबर ठगी के नए तरीकों से आगाह कर रहे हैं. इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर फेमस डीएसपी संतोष पटेल का नाम जुड़ गया है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पदस्थ डीएसपी 'डिजिटल अरेस्ट' के बारे में जानने के लिए वकीलों के पास पहुंच गए.
डीएसपी संतोष पटेल ने जिला अदालत में एक वकील से पूछा, कितने साल हो गए आपको वकालत करते हुए? जवाब में वकील कहते हैं कि 34 साल हो गए. फिर पटेल पूछते हैं, 'डिजिटल अरेस्ट' कौन से एक्ट और किस धारा में प्रावधान है? सही जवाब देंगे तो आपको 500 रुपए इनाम दूंगा.
वहीं, इसके बाद डीएसपी एक सीनियर वकील के पास भी पहुंचते हैं. वहां वकील बताते हैं, डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है. सही गिरफ्तारी यही है कि पुलिस का अधिकारी सामने आकर गिरफ्तार करे. उसके अलावा सारी गिरफ्तारियां फर्जी हैं. जो भी साइबर ठगों से डर रहा है वो शिकंजे में फंस रहा है और जो नहीं डर रहा वो बच जाता है और अपराधियों को पकड़वाने में मदद करता है. देखें Video:-
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
'डिजिटल अरेस्ट' साइबर ठगी का नया तरीका है. हालांकि, 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता. ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं. फिर अपने फर्जी खातों में ऑनलाइन ही बड़ी रकम ट्रांसफर करवा लेते हैं.
DSP संतोष पटेल ने लिखा, डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंता जता चुके हैं. साथ ही इस तरह के स्कैम से सतर्क रहने के लिए देशवासियों को आगाह किया.पुलिस वाला होने के नाते निवेदन करता हूं कि
- पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे.
-पुलिस अधिकारी कभी भी आपको कोई एप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहेंगे.
-पहचान पत्र, FIR की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन नहीं साझा नहीं किया जाएगा.
-पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं करते हैं.
-पुलिस अधिकारी कॉल पर पैसे या पर्सनल जानकारी देने के लिए डराते-धमकाते नहीं हैं.
-पुलिस कॉल के दौरान अन्य लोगों से बात करने से नहीं रोकती है.
-कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है, क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है.
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