दिमाग की नस के फूलने से खतरे में आ गया था मरीज, डॉक्टरों ने किया हाई रिस्क ऑपरेशन, बचा ली जान

Health News: एन्यूरिज़्म बहुत ही घातक स्थिति होती है, क्योंकि फूली हुई नस के किसी भी समय फटने का खतरा बना होता है, जिससे मरीज की तत्काल मौत हो जाती है. इस तरह की स्थिति से जूझ रहे काफी मरीज तो अस्पताल ही नहीं पहुंच पाते.

Advertisement
(सांकेतिक तस्वीर) (सांकेतिक तस्वीर)

aajtak.in

  • भोपाल ,
  • 03 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 10:26 PM IST

MP News: राजधानी भोपाल में एक 60 साल के बुजुर्ग के मस्तिष्क के अतिसंवेदनशील हिस्से की नस एक हिस्सा गुब्बारे की तरह फूल गया था. इसकी वजह से उन्हें मिर्गी के दौरे आने लगे थे और जान भी जोखिम में आ गई थी. इस हिस्से में सर्जरी करना बहुत ज्यादा रिस्की था, लेकिन भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (BMHRC) के डॉक्टरों ने रेडियोलॉजिकल इन्टरवेंशन प्रक्रिया के जरिए मरीज का इलाज़ किया. मरीज की हालत में अब काफी सुधार है.  

Advertisement

BMHRC के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सौरभ सोरते ने बताया, मरीज तेज सिर दर्द और मिर्गी के दौरे की शिकायत के साथ अस्पताल आया था. जांच के जरिए पता चला कि उनकी बाईं कैरोटेड आर्टरी का एक हिस्सा फूल गया है. इस बीमारी को आईसीए एन्यूरिज्म कहा जाता है. 

उन्होंने बताया कि एन्यूरिज़्म बहुत ही घातक स्थिति होती है, क्योंकि फूली हुई नस के किसी भी समय फटने का खतरा बना होता है, जिससे मरीज की तत्काल मौत हो जाती है. डॉ सोरते ने बताया कि इस तरह की स्थिति से जूझ रहे काफी मरीज तो अस्पताल ही नहीं पहुंच पाते. 

न्यूरो सर्जरी विभाग में ही एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सौरभ दीक्षित ने बताया कि मरीज का तत्काल उपचार करना आवश्यक था. हमने रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ राधेश्याम मीणा के साथ मिलकर रेडियोलॉजिकल इंटरवेंशनल प्रक्रिया एंडोवस्क्युलर तकनीक का इस्तेमाल कर मरीज का ऑपरेशन किया. इस तकनीक में पैरों की नस से एक कैथेटर मस्तिष्क की कैरोटेड आर्टरी के प्रभावित हिस्से तक पहुंचाई गई और यहां एक विशेष तरह की सामग्री प्लैटिनम कॉइल के जरिए नस के फूले हुए हिस्से को भर दिया गया. इस प्रक्रिया को कॉइलिंग कहा जाता है. 

Advertisement

मरीज की हालत में अब काफी सुधार

न्यूरो सर्जरी विभाग में ही सहायक प्रोफेसर डॉ अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज को करीब 15 दिन तक गहन मॉनिटरिंग में रखा गया. मरीज की हालत में अब काफी सुधार है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. डॉक्टर ने बताया कि शहर के चुनिंदा अस्पतालों में ही यह सुविधा उपलब्ध है. बीएमएचआरसी में भी पहली बार इस तरह का केस किया गया है. 

इनका कहना 

बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव के अनुसार, मस्तिष्क की नस में एन्यूरिज्म होना बहुत गंभीर स्थिति होती है. बीएमएचआरसी के न्यूरो सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर की टीम ने इस कठिन प्रोसीजर को अंजाम दिया. इस तरह की सर्जरी अस्पताल में पहली बार हुई है, इसके लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement