नहीं था कोई बेटा तो पिता को मुखाग्नि देने श्मशान तक गईं 9 बेटियां, अर्थी को कंधा दिया तो रो पड़ा हर कोई

Sagar News: बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था. हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटी-बड़ी बहनों (अनीता, तारा, जयश्री, कल्पना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी और दुर्गा) ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला किया. पिता ही हमारा संसार थे. 

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9 बेटियों ने किया अपने पिता का अंतिम संस्कार. 9 बेटियों ने किया अपने पिता का अंतिम संस्कार.

हिमांशु पुरोहित

  • सागर ,
  • 27 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

MP News: सागर जिले में पिता के निधन पर 9 बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए मुखाग्नि दी. यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गईं. इन बेटियों ने न सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि बेटों की तरह ही अर्थी को भी कंधा दिया. अर्थी के साथ घर से चलीं और शमशान घाट पहुंचकर पिता की मुक्ति के लिए हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया. कुछ लोग इस दृश्य को देखकर फफक फफककर रो पड़े.  

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यह नजारा उपनगरीय क्षेत्र मकरोनिया के मुक्तिधाम में देखने को मिला. दरअसल, पुलिस एएसआई हरिश्चंद्र अहिरवार वार्ड क्रमांक 17 के 10वीं बटालियन क्षेत्र निवासी थे. उनका सोमवार को ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया था. हरिश्चंद्र की 9 बेटियां हैं. बेटा नहीं है. इसलिए हरिश्चंद्र ने ही बेटों की तरह ही अपनी बच्चियों की परवरिश की. 7 बेटियों की शादियां कीं. अब उन्हीं बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया. 

पिता की मौत के बाद गमगीन बेटियां.

बेटियों ने अपने पिता को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कंधा दिया और अन्य क्रियाएं कराईं. इस दौरान समाज के लोगों ने गर्व से कहा कि पुत्र ही सब कुछ नहीं होते. 7 बेटियों की शादी हो चुकी है जबकि पुत्री रोशनी और गुड़िया अविवाहित हैं. 

बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था. हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटी-बड़ी बहनों (अनीता, तारा, जयश्री, कल्पना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी और दुर्गा) ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला किया. पिता ही हमारा संसार थे. 

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पिता को मुखाग्नि देने बेटा बन गईं 9 बेटियां.

बता दें कि बुंदेलखंड में बेटियों-महिलाओं का शमशान घाट जाना वर्जित रहता है. लेकिन अब लोग समाज के पुरानी परंपराओं और मान्यताओं को तोड़कर आगे आ रहे हैं. इस तरह से बेटियों के हाथों पिता को मुखाग्नि देना दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणा है.

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