साहित्य आजतक में उर्दू अदब के तीन नामवरों ने की गुफ्तगू

फारूकी ने कहा कि जो बातें लिटरेरी कल्चर में पहले मौजूद थीं, वो बातें शायर या राइटर और सुनने वाले में बहुत साफ थीं. वो समझ लेते थे कि मैं क्या कह रहा हूं और वो क्या सुन रहे हैं. फिर जमाना बदला. वो रिश्ते कमजोर पड़ गए.

Advertisement
साहित्य आजतक के मंच पर शम्स उर रहमान फारूकी, प्रेम कुमार नज़र और अहमद महफूज़. साहित्य आजतक के मंच पर शम्स उर रहमान फारूकी, प्रेम कुमार नज़र और अहमद महफूज़.

राहुल विश्वकर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

साहित्य आजतक 2018 का मंच फिर सज गया है. साहित्य के इस महाकुंभ के पहले दिन हिंदी और उर्दू जुबान की कई अजीम शख्सियतों ने मंच की शोभा बढ़ाई. साहित्य आजतक के तीसरे संस्करण में पहले दिन ‘दस्तक दरबार’ कार्यक्रम में सरस्वती सम्मान से नवाजे गए उर्दू ज़बान व अदब के नामवर आलोचक शम्सुर्रहमान फारूकी ने शिरकत की. साहित्यिक समीक्षा में नए मापदंड कायम करने वाले फारूकी साहित्य जगत के कई बड़े सम्मान पा चुके हैं. फारूकी को 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (ऊर्दू) भी दिया जा चुका है.

Advertisement

फारूकी से उर्दू अदब पर गुफ्तगू करने के लिए मंच पर मौजूद थे प्रख्यात कवि और लेखक प्रेम कुमार नजर और अहमद महफूज. ‘एक चांद है सर-ए-आसमान’ सत्र में प्रेम कुमार ने कहा कि जब फारूकी साहेब ने साहित्यिक आलोचना शुरू की तब पूरा जमाना हैरान हो गया था कि इस तरह की बातें कौन कह रहा है. प्रेम ने कहा कि फारूकी साहब ने नई दिशा और नई सोच के साथ लिखना शुरू किया.

LIVE: साहित्य आजतक 2018- मालिनी अवस्थी ने बहाई भक्ति की गंगा

फारूकी ने कहा कि पहले के जमाने में आलोचना में किसी के लिए कुछ भी कह दिया जाता था. लेकिन क्या किसी ने ये  कहा कि गालिब और मीर में अंतर क्या है? मैंने ये सवाल खड़ा किया. फारूकी ने कहा कि बदलते समय के साथ लिखने और पढ़ने वालों का रिश्ता कमजोर हो जाता है. फारूकी ने कहा कि आमतौर पर आलोचना में उन्हीं शब्दों को घुमा-फिरा कर लगभग एक जैसी चीजें किसी के बारे में कह दिया जाता है और यह आलोचना एक कारोबार बन कर रह गई है.

Advertisement

पीयूष मिश्रा ने क्यों छोड़ दी थी राजश्री की 'मैंने प्यार किया'?

मीर के आलोचकों पर फारूकी ने कहा कि उन्होंने मीर के उन शेरों को देखा ही नहीं जिसमें उन्हें लगा कि गंदगी या गलत बात लिखी गई है. यदि कहीं क्लास पर तंज दिखा तो उसे बाहर कर दिया गया या फिर महिलाओं के लिए कुछ लिखा गया तो उसे गंदगी कहकर बाहर कर दिया गया. लिहाजा फारूकी ने दलील दी कि यदि मीर की आलोचना करनी हो तो मीर को पूरा पढ़ने की जरूरत है.

‘साहित्य आजतक’ का यह कार्यक्रम फ्री है, पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है. इसके लिए आप ‘आजतक’ और हमारी दूसरी सहयोगी वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर जाकर या फिर 7836993366 नंबर पर मिस्ड कॉल करना भर होगा, और आपका पंजीकरण हो जाएगा. तो आइए साहित्य के इस महाकुंभ में, हम आपके स्वागत के लिए तैयार हैं.

To License Sahitya Aaj Tak Images & Videos visit www.indiacontent.in or contact syndicationsteam@intoday.com

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement