Sahitya Aaj Tak Lucknow 2025: अदब और तहजीब के शहर लखनऊ में साहित्य, कला और मनोरंजन का मेला 'साहित्य आजतक लखनऊ' का आज दूसरा दिन है. साहित्य के सितारों का ये महाकुंभ गोमती नगर के अंबेडकर मेमोरियल पार्क में आयोजित हो रहा है. इस महाकुंभ में 'कविता, कहानी और कल्पना' शीर्षक पर बातचीत के लिए मुकुल कुमार और राकेश धर द्विवेदी ने शिरकत की.
पेशे से नौकरशाह, दिल से कवि और जुनून से उपन्यासकार मुकुल कुमार वरिष्ठ नौकरशाह हैं और वर्तमान में रेल मंत्रालय में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि यथार्थ और कल्पना मिलकर ही कला का सृजन करती है. मुकुल कुमार ने कहा कि यथार्थ बहुत कुछ कल्पना के लिए छोड़ जाता है. यहीं से कल्पना आती है.
जब उनसे पूछा गया कि आखिर एक नौकरशाह होकर भी वह साहित्य के लिए समय कैसे निकालते हैं तो उन्होंने कहा कि जुनून की वजह से समय निकल जाता है. उन्होंने कहा कि प्रकृति आपको साहित्यकार बनाती है. मुकुल कुमार ने अपने हिंदी प्रेम को लेकर कहा कि मैंने अपनी मां और पिता से इसी भाषा में प्रेम पाया है. इसलिए मुझे इस भाषा से काफी नजदीकी है.
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वहीं, इस दौरान राकेश धर द्विवेदी जो क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के साथ एक लेखक भी हैं उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी कविता 'और मैं लखनऊ हो जाता हूं' सुनाई. अपनी कविताओं के जरिए राकेश धर ने समाज की कई चिंताओं पर प्रकाश डाला. अपनी कविता 'सुनो सुन रहे हो न तुम' के जरिए उन्होंने महानगरों की महिलाओं का दर्द साझा किया. उनकी कविता कंक्रीट के जंगल काफी लोकप्रिय है.
अश्लील कंटेंट पर क्या बोले दोनों कवि
जब दोनों से पूछा गया कि आज के दौर में सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट की भरमार है. इसे वो कैसे देखते हैं. इसपर मुकुल कुमार ने कहा कि ये अभिव्यक्ति की क्रांति का दौर है. लोग आसानी से अपनी बात कह देते हैं. उन्हें कहनी भी चाहिए. लेकिन अपनी बात को जिम्मेदारी से कहना चाहिए. बात कहने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके तरीकों पर ध्यान देना चाहिए. मर्यादा ध्यान में रखना जरूरी है.
वहीं, राकेश धर द्विवेदी ने कहा कि मूल्यों को ध्यान में रखकर ही अपनी बात कहनी चाहिए. इससे आपकी बात में वजन आता है और उसका संदेश भी अच्छा जाता है.
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