सैनिटरी नैपकिन से हो सकता है कैंसर, इस तरह करें सही पैड का चुनाव

देश में करोड़ों लड़कियां और महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं. पीरियड्स में इसका इस्तेमाल सुरक्षित माना जाता है और इससे संक्रमण और बीमारियों से बचाव होता है. लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च ने भारत में बनने वाले सैनिटरी पैड्स पर सवाल उठाए हैं. इस रिसर्च में दावा किया गया है कि बाजार में बिकने वाले कई बड़ी-बड़ी कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन्स में खतरनाक केमिकल पाए जाते हैं जो कैंसर और बांझपन का कारण बन सकते हैं.

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सैनिटरी पैड से कैंसर का खतरा सैनिटरी पैड से कैंसर का खतरा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

क्या आप भी बाजार में बिकने वाले रंग-बिरंगी पैकेटों में बंद सैनिटरी पैड्स को अब तक बिना जांच-पड़ताल के लिए खरीदती आई हैं तो अब आपको सावधाएं होने की जरूरत है. एक नई स्टडी से खुलासा हुआ है कि भारत में बनने वाले नामी-गिरामी कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का कारण बन सकते हैं. अध्ययन में ये सामने आया है कि कई कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन को बनाने में खतरनाक केमिकल इस्तेमाल किए जा जाते हैं जो कैंसर देने के साथ महिलाओं को बांझ भी बना सकते हैं. इसके अलावा ये केमिकल डायबिटीज और दिल की बीमारी के लिए भी जिम्मेदार होते हैं.

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क्या कहती है रिसर्च
दिल्ली स्थित टॉक्सिक्स लिंक नाम के एनजीओ की ओर से की गई यह स्टडी इंटरनेशनल पोल्यूटेंट एलिमिनेशन नेटवर्क के टेस्ट का एक हिस्सा है जिसमें भारत में सैनिटरी नैपकिन बेचने वाले 10 ब्रांड्स के प्रॉडक्ट्स को शामिल किया गया था. स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं को सभी सैंपलों में थैलेट (phthalates) और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOCs) के तत्व मिले. चिंता की बात है कि यह दोनों दूषित पदार्थ कैंसर सेल्स बनाने में सक्षम होते हैं. ये रिसर्च 'मैन्स्ट्रुअल वेस्ट 2022' रिपोर्ट में प्रकाशित की गई है.

पैड्स में इस्तेमाल होने वाले केमिकल इन खतरनाक बीमारियों को देते हैं दावत

थैलेट्स केमिकल का त्वचा से संपर्क कैंसर, डायबिटीज और दिल के रोग का कारण बनता है और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालता है. वहीं, VOCs के संपर्क में आने से मानसिक क्षमता प्रभावित होती है. ये अस्थमा और कुछ प्रकार के कैंसर का भी कारण बन सकता है. इसके अलावा ये प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है. रिसर्च टीम ने बताया कि दरअसल, महिला के शरीर के अन्य अंगों की त्वचा के मुकाबले वजाइना की त्वचा पर इन गंभीर केमिकलों का असर ज्यादा होता है. इस वजह से यह खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है. 

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भारत में कितनी महिलाएं करती हैं सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 से 24 साल की 64.4 फीसदी महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. पिछले कुछ सालों में सैनिटरी पैड्स पर जागरूकता बढ़ने की वजह से इनका उपयोग बढ़ा है. मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है. लेकिन रिसर्च के दौरान सैनिटरी नैपकिन्स में जो केमिकल पाए गए, वो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं सैनिटरी पैड्स चुनते वक्त सावधानी बरतें और ऐसे प्रॉड्क्स ना खरीदें जिनमें खतरनाक केमिकल पाए जाते हैं.

सही सैनिटरी पैड का चुनाव कैसे करें
आज के समय में कपड़े, बैग्स, जूते, घर का कोई सामान और यहां तक कि ग्रॉसरी खरीदने से पहले भी हम इंटरनेट पर रिसर्च जरूर करते हैं लेकिन जब सैनिटरी नैपकिन खरीदने की बात आती है तो हममें ज्यादातर लोग ब्रांड की लोकप्रियता के आधार पर या फिर कई बार बिना सोचे-समझे ही उसे खरीद लेते हैं. क्या आपके मन में एक बार भी ये सवाल आता है कि आप जो सैनिटरी पैड खरीद रही हैं वो आपके स्वास्थ्य के लिए सही है. यहां हम आपको सही सैनिटरी पैड का चुनाव करने के तरीके बता रहे हैं जिनको ध्यान में रखकर ही आप अगली बार इसकी खरीददारी करें.

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ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स का चुनाव करें
ये रिसर्च बताती है कि भारत में बनने वाले बड़ी-बड़ी कंपनियों के सैनिटरी पैड्स में भी खतरनाक केमिकल होते हैं. इसलिए महिलाओं को केमिलकल फ्री ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स ही खरीदने चाहिए. आजकल बाजार में कई कंपनियों के ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स मिलते हैं जो बाइओडिग्रेड्डबल होने की वजह से पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छे हैं. आप चाहें तो कॉटन के सैनिटरी पैड्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. कभी भी पैड्स को ऊपर का पैकेट देखकर ना खरीदें बल्कि उसमें दी गई जानकारी को पढ़कर सही पैड का चुनाव करें. 

खुशबूदार नैपकिन्स के बहकावे में ना आएं
कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स को बेचने के लिए मार्केटिंग के नए-नए तरीके आजमाती हैं. सैनिटरी नैपकिन्स को बेचने के लिए भी यही रूल फॉलो किया जाता है. आपने टीवी पर अक्सर ऐसे सैनिटरी पैड के विज्ञापनों को देखा होगा जिनमें खुशबू होती है. ये दावा करते हैं कि इन पैड्स का इस्तेमाल करने से आप दिन भर महकती रहेंगी लेकिन वास्तव में पीरियड्स की महक को दूर करने के लिए खुशबू वाले सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करना आपके जीवन की सबसे बड़ी गलती हो सकती है. ये पैड्स आपके लिए काफी खतरनाक हो सकते हैं. 

दरअसल, सेनेटरी नैपकिन तरलता को सोखने वाले मटीरियल से बनाए जाते हैं जो नमी को ब्लॉक करते हैं और गर्मी पैदा करते हैं जिससे पैड ज्यादा से ज्यादा ब्लड सोख सके. लंबे समय तक सुगंधित सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करने से पैड्स में बैक्टीरिया के पनपने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही इस तरह के पैड्स की टॉप लेयर में खुशबू पैदा करने के लिए खतरनाक केमिकल्स का उपयोग किया जाता है जो आपकी वैजाइना की नाजुक त्वचा पर बुरा असर डालते हैं.

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सिंथेटिक पैड्स के इस्तेमाल से बचें
सैनिटरी पैड खरीदते वक्त सिंथेटिक पैड्स के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इसका सख्त और कई तरह के केमिकल से बना बेस वैजाइना की नाजुक त्वचा के लिए हानिकारक है. पैड्स का चुनाव अपने ब्लड फ्लो के आधार पर करें. हमेशा रैश-फ्री सैनिटरी नैपकिन ही खरीदें.

पीरियड्स और सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल करते वक्त ये गलतियां करने से बचें
माहवारी में हर चार से पांच घंटे के अंदर पैड्स को बदलें. एक ही पैड पूरे दिन इस्तेमाल ना करें. पैड बदलते वक्त अपनी वैजाइना को भी पानी से साफ करें. पीरियड्स के दौरान खासतौर पर सही सैनिटरी पैड्स के साथ ही सही अंडरवियर का इस्तेमाल करना भी जरूरी है. इसलिए हमेशा कॉटन की पैंटी का चुनाव करें क्योंकि इसमें आसानी से हवा पास होती है. साथ ही माहवारी में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए रेन किलर्स जैसी दवाओं का इस्तेमाल ना करें बल्कि गर्म पानी से नहाएं या फिर दर्द वाली जगहों पर सिकाई करें. 

 

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