हमारा घर एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर बात करते हैं. किसी के बारे में राय रखनी हो, पैसे की तंगी हो या फिर कोई मौज मस्ती की बात, बहुत कम लोग ही सोच पाते हैं कि उनके बड़े हो रहे बच्चे उनकी बातों को कैसे ले रहे हें.पेरेंटिंग एक्सपर्ट इसे लेकर स्पष्ट रूप से गाइडलाइन देते हैं कि बच्चों के सामने कैसी बातें नहीं करनी चाहिए. वहीं कुछ ऐसे विषय भी हैं जिन्हें लेकर माता-पिता अनजाने में झिझकते हैं, जबकि उन पर बच्चों से बात करना फायदेमंद हो सकता है. आइए एक्सपर्ट से समझते हैं.
बच्चे अक्सर उन चीजों को भी समझ लेते हैं, जिन्हें बड़े लोग नजरअंदाज कर देते हैं. वो सिर्फ वो बातें नहीं सुनते जो आप उन्हें सीधे कहते हैं बल्कि उनके आसपास क्या बातचीत हो रही है, वो भी जल्दी पकड़ लेते हैं. आपको हो सकता है कि वो किसी खेल में मगन दिखें या टीवी देख रहे हों.
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ विधि एम पिलनिया कहती हैं कि ये मुद्दा अक्सर इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह बात करते हैं. जैसे आप अपने बच्चे के सामने अपनी आर्थिक परेशानियों को ऐसे नहीं बता सकते जिससे वो डर जाए लेकिन आप यह कह सकते हैं कि इस साल नई कार या महंगी छुट्टी का बजट नहीं है.
वो विषय जो बच्चों के सामने नहीं करने चाहिए
बॉडी को लेकर नेगेटिव बातें
अगर आप अपने शरीर या दूसरों के शरीर को लेकर नकारात्मक बातें करते हैं तो बच्चे इन्हें झट-से पकड़ लेते हैं. इससे उनके आत्मविश्वास और बॉडी इमेज पर असर पड़ सकता है. यहां तक कि बार-बार वजन या शरीर की तारीफ करना भी बच्चों को अपने लुक्स को लेकर जरूरत से ज्यादा सजग बना सकता है.
बच्चों के माता-पिता या केयरगिवर की बुराई
किसी भी बच्चे के सामने उसके माता-पिता या देखभाल करने वाले की बुराई करना सही नहीं. इससे बच्चा खुद को दो हिस्सों में बंटा महसूस करता है और उसे इन सिक्योरिटी की भावना होती है.
भाई-बहन के बीच तुलना
भाई-बहनों की तुलना से बच्चों के बीच कंपटिशन और जलन पैदा होती है. भले ही आप किसी बच्चे की तारीफ कर रहे हों, इससे दूसरे बच्चे के मन में हीन भावना पैदा हो सकती है.
पैसे की चिंता
पैसों को लेकर तनावपूर्ण बातें बच्चों के सामने नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो उसे समझ नहीं पाते और खुद से जुड़े डर पाल लेते हैं. वो सोच सकते हैं कि कहीं घर छिन न जाए या खाने को न मिले.
शराब या ड्रग्स को मजाक या ग्लैमर की तरह पेश करना
शराब या ड्रग्स को लेकर मजाक या इसे सामान्य मानना बच्चों के लिए गलत संकेत देता है. इससे वे इन चीजों के प्रति जिज्ञासु हो सकते हैं.
बच्चों के सामने जिन विषयों पर खुलकर बात करें
हेल्दी डिसएग्रीमेंट
बच्चों को यह दिखाना ठीक है कि बड़ों के बीच भी कभी मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उसे प्यार और सम्मान के साथ सुलझाया जा सकता है।
ईमानदार भावनाएं
अपने दुख, गुस्से या निराशा को बच्चों से छुपाने की जरूरत नहीं. जब वे देखते हैं कि आप कैसे अपनी भावनाओं को संभालते हैं तो वे भी अपनी फीलिंग्स को समझ पाते हैं.
अपनी गलतियां
अगर आप अपनी गलतियों को बच्चों के सामने स्वीकार करते हैं तो वो ये सीखते हैं कि गलती करना सामान्य है और उसे सुधारना महत्वपूर्ण है.
पैसे के बेसिक्स
बच्चों को बजट, बचत, खर्च की समझ देना जरूरी है. इससे वे वित्तीय रूप से जिम्मेदार बनते हैं. बस उन्हें पैसों की चिंता में उलझाना नहीं है.
यौन शिक्षा, सहमति और शारीरिक बदलाव
शरीर, सहमति और प्यूबर्टी जैसी चीजों पर बच्चों से खुलकर बात करना उनकी समझ को बेहतर बनाता है और उन्हें सुरक्षित रहने में मदद करता है.
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