Weight loss Journey: वजन घटाने का नाम आते ही अक्सर दिमाग में जिम की हैवी मशीनें, वर्कआउट के बाद का बदन दर्द, उबला हुआ बेस्वाद खाना आने लगता है. लेकिन क्या बिना एक्सरसाइज और बिना किसी 'क्रैश डाइट' के भी वजन कम किया जा सकता है? जवाब है, हां. हाल ही में एक लेडी ने 10 महीने में करीब 21 किलो वजन कम किया है. प्रेग्नेंसी के बाद इनका वजन 81 किलो हो गया था और अब वह 60 किलो की हैं. उन्होंने कैसी डाइट ली, फिजिकली एक्टिव बने रहने के लिए क्या किया, इस बारे में हम आपको बताते हैं.
एक सोच से बदल गई लाइफ
वजन कम करने वाली लेडी का नाम स्मारिका पंत है. उनका कहना है, 'मैं कोई न्यूट्रिशनिस्ट, फिटनेस कोच या हेल्थ एक्सपर्ट नहीं हूं. मैं बस एक सिंपल वुमन हूं जिसने अपनी हेल्थ और शरीर की जिम्मेदारी धीरे-धीरे, ईमानदारी से और बिना किसी शॉर्टकट के उठाने का फैसला किया.'
'मैं कॉलेज के दिनों से ही थोड़ी गोल-मटोल रही हूं लेकिन असलियत का अहसास तब हुआ जब मेरा वजन नॉर्मल से 10 किलो और बढ़ गया. कई महिलाओं की तरह, प्रेग्नेंसी मेरी लाइफ का काफी अच्छी स्टेज थी लेकिन वजन बढ़ने का कॉन्फिडेंस और पर्सनैलिटी पर कितना गहरा असर पड़ता है, इसे मैं अच्छे से समझती हूं.'
'बेटी के जन्म के बाद मैंने जल्दबाजी न करने का फैसला किया और मैंने अपने शरीर को रिकवर होने के लिए पूरे 3 महीने का समय दिया. इसके बाद मैंने अपनी वेट लॉस जर्नी शुरू की जिसमें मैंने अपने आपसे कुछ प्रॉमिस किए और अपने आपको छोटे-छोटे गोल्स दिए.'
'बच्चे के जन्म के बाद मैंने घर पर वर्कआउट करने की कोशिश की लेकिन सच कहूं तो छोटे बच्चे के साथ रोजाना वर्कआउट करना बेहद मुश्किल है. नींद पूरी नहीं होती, एनर्जी कम रहती है और रूटीन का कुछ पता नहीं होता. खुद पर बेवजह दबाव बनाने के बजाय मैंने हकीकत को स्वीकार किया. मैंने फैसला लिया कि अगर वर्कआउट मैनेज करना मुश्किल है तो मैं अपने खाने (Food) पर ध्यान दूंगी. बस मेरी इस सोच ने ही सब कुछ बदल दिया.'
कैलोरी काउंट और पोर्शन कंट्रोल
स्मारिका ने बताया, 'मैंने खुद न्यूट्रिशन के बारे में सीखना शुरू किया जिसके लिए मैं घंटों तक इंटरनेट पर सर्च करती थी और वीडियोज देखती थी. मैंने कैलोरी इंटेक, प्रोटीन की जरूरत और पोर्शन कंट्रोल (हिसाब से खाना) के बारे में पढ़ा. मैंने कोई 'क्रैश डाइट' या पेड प्रोग्राम फॉलो नहीं किया. इसके बजाय मैंने यह समझने पर ध्यान दिया कि मैं क्या खा रही हूं और उसका मेरे शरीर पर क्या असर हो रहा है.'
'मैंने एक सिंपल फूड चार्ट बनाया और ऐसे खाने के साथ प्रयोग किए जो बनाने में आसान, पेट भरने वाले और पौष्टिक हों. मैंने जंक फूड, चीनी और प्रोसेस्ड फूड को पूरी तरह बंद कर दिया. शुरुआत में यह मुश्किल था, लेकिन धीरे-धीरे अनुशासन ने क्रेविंग की जगह ले ली.'
डाइट में किए ये बड़े बदलाव
'मुझे समझ आ गया था कि वजन घटाने की शुरुआत घर के खाने से ही होगी. मैंने धीरे-धीरे हाई-कैलोरी वाली चीजों को हेल्दी ऑपशंस से बदला. सफेद चावल और नॉर्मल गेहूं की रोटी की जगह क्विनोआ (Quinoa) और ब्राउन राइस लेनी लगी. मैदे वाली ब्रेड की जगह मल्टीग्रेन ब्रेड खाई.'
'नाश्ते को काफी सिंपल रखा जिसमें उबले अंडे या ओवरनाइट ओट्स खाए. स्नैक्स में पैकेट बंद स्नैक्स की जगह घर के भुने हुए मखाने और चने खाने शुरू किए. इन छोटे बदलावों ने मुझे 'कैलोरी डेफिसिट' (जरूरत से कम कैलोरी लेना) बनाए रखने में मदद की.'
'मैंने अपने खाने में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा बढ़ाई, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है.'
इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो की
'मैंने इंटरमिटेंट फास्टिंग की शुरुआत बहुत सावधानी से की. पहले 14 घंटे के फास्टिंग विंडो से शुरू किया, फिर इसे 16 घंटे और अंत में 18 घंटे तक ले गई. यह आसान नहीं था. कई बार भूख लगी और क्रेविंग भी हुई लेकिन धीरे-धीरे शरीर को इसकी आदत हो गई.'
'सबसे बड़ा बदलाव यह आया कि इसने मेरी बेवजह खाने की आदत को खत्म कर दिया. अब मैं केवल तभी खाती हूं जब मुझे सच में भूख लगती है न कि डिप्रेशन या खाने की आदत के कारण. इससे मेरा डाइजेशन सुधरा और मैं दिन भर एनर्जेटिक फील करने लगी.'
'मैंने मोटिवेशन के भरोसे अपनी जर्नी शुरू नहीं की थी क्योंकि वो कभी भी खत्म हो सकता है लेकिन डिसीप्लीन नहीं. यह खुद के प्रति लॉयल्टी, पेशेंस और डिसिप्लिन का ही परिणाम है.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क