5 घंटे एक्सरसाइज, 4 लोगों का खाना...वजन बढ़ाने के लिए सूमो पहलवान खाते हैं यह खास चीज

Sumo Wrestlers Diet & Workout: सूमो रेसलिंग जापान में काफी फेमस है. सूमो रेसलर अपने भारी-भरकम वजन के कारण जाने जाते हैं. इतने मोटे होने के बाद भी उमें मोटापे के लक्षण क्यों नहीं होत? सूमो रेसलर्स की डाइट और वर्कआउट क्या होता है? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

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(Image credit: Instagram/a_mikhakhanov) (Image credit: Instagram/a_mikhakhanov)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

Sumo Wrestlers Diet & Workout: सूमो फाइटिंग जापान का नंबर वन खेल है. इस फाइट के रेसलर इतने भारी होते हैं कि उनका वजन 150 से लेकर 300 किलो तक या फिर आम इंसान से दो-चार गुना अधिक होता है. आमतौर पर मोटापे से पीड़ित लोगों के शरीर का एक्स्ट्रा फैट उनके पेट के हिस्से के चारों ओर स्टोर होता है. यह फैट उनके अग्न्याशय, लिवर और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के चारों ओर जम जाता है जिसे फैटी लिवर कहते हैं. यही कारण है कि मोटापा हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज और दिल के दौरे जैसे समस्याओं का कारण बन जाता है. 

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लेकिन सूमो पहलवान आमतौर पर सूमो पहलवानों को स्वास्थ्य संबंधी यह लक्षण नजर नहीं आते और ना ही वे मोटापे की श्रेणी में नहीं आते. आखिर ऐसी क्यों होता है और सूमो पहलवान डाइट कैसी लेते हैं? वर्कआउट कैसा होता है? इस बारे में जान लीजिए.

नहीं पाए जाते मोटापे के लक्षण

सीटी स्कैन से पता चलता है कि सूमो पहलवानों में फैटी लिवर की बिल्कुल शिकायत नहीं होती क्योंकि उनका अधिकांश फैट त्वचा के ठीक नीचे जमा होता है ना कि अंगों के ऊपर. एक्सपर्ट बताते हैं कि सूमो पहलवान पूरी तरह सेहतमंद होते हैं. उनका ट्राइग्लिसराइड्स लेवल सामान्य होता है, कोलेस्ट्रॉल कम होता है, खून में फैट सेल्स नहीं होते, कोलेस्ट्रॉल कम होता है जो हृदय रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है.

दरअसल, सूमो पहलवानों की ट्रेनिंग और डाइट इतनी स्ट्रिक्ट होती है कि बचपन से ही इसकी ओर ध्यान दिया जाता है फिर सालों बाद जाकर ये सूमो पहलवान बन पाते हैं. तो आइए जानते हैं सूमो पहलवानों की डाइट कैसी होती है और उनका वर्कआउट कैसा होता है?

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सूमो पहलवानों की एक्सरसाइज (sumo wrestlers exercise)

रिसर्च बताती हैं कि इंटेंस एक्सरसाइज से लिवर में फैट जमने से रोका जा सकता है. मूल रूप से इसका संबंध इस बात से कि एक्सरसाइज करने से एडिपोनेक्टिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जो हमारे ब्लड स्ट्रीम से ग्लूकोज और फैट के अणुओं को जाने से रोकता है. इस कारण वह लिवर में फैट नहीं जमने देता और फैट सेल्स को त्वचा के नीचे ही रोककर रखता है.

सूमो पहलवानों को काफी एक्सरसाइज करनी होती है. जापान में सूमो स्टेबल या हेया (ट्रेनिंग सेंटर) में सूमो पहलवान सुबह 5 बजे से ट्रेनिंग शुरू कर देते हैं जो पांच घंटे तक चलती है. उदाहरण के लिए, बटसुकारी-गीको (Butsukari-geiko) नामक ट्रेनिंग सेशन के दौरान, पहलवान बार-बार एक-दूसरे को तब तक मारते हैं और धक्का देते हैं जब तक कि व थककर फर्श पर गिर नहीं जाते. 

इसके बाद कुश्ती की प्रैक्टिस होती  है जिसमें पहलवान अपने प्रतिद्वंद्वी को रिंग से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं या उन्हें अपने पैरों के तलवों के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से जमीन को छूने के लिए मजबूर करते हैं.

ऐसी होती है सूमो पहलवानों की डाइट (sumo wrestlers diet)

सूमो पहलवानों के बारे में बताया जाता है कि वे एक दिन में 2 बार खाना खाते हैं. उनके खाने में सुशी और तला हुआ खाना शामिल होता है. मूल रूप से मंगोलिया के उलानबटोर के रहने वाले ब्यंबजाव उलंबयार (Byambajav Ulambayar) ने जापान में पांच साल तक प्रोफेशनल सूमो ट्रेनिंग की थी. 6 फीट 1 इंच लंबे 30 साल के  ब्यंबजाव उलंबयार जिनका वजन 160 किलो था, उन्होंने बैक-टू-बैक सूमो विश्व चैंपियनशिप जीती हैं.

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ब्यंबजाव उलंबयार ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था, "दूसरे खेलों में जहां एथलीट हाई प्रोटीन फूड खाने पर ध्यान देते हैं लेकिन सूमो रेसलिंग में ऐसा नहीं है. मैंने कभी भी प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लिया. मैं हमेशा से हेल्दी डाइट और सूमो रेसलिंग की प्रैक्टिस पर ही ध्यान देता था. हम लोग सुबह खाली पेट 5 घंटे ट्रेनिंग करते थे और उसके बाद खाना खाते थे. वर्कआउट के बाद जो पहलवानों को चंको-नाबे खाने में दिया जाता है. चंकोनाबे एक जापानी स्टू है जिसे आमतौर पर सूमो पहलवानों द्वारा वजन बढ़ाने वाली डाइट के हिस्से के रूप में काफी अधिक मात्रा में खाया जाता है. यह शोरबा जैसा होता है जिसमें कई तरह की सब्जियां (बोक चोय, डाइकॉन, मशरूम आदि) के साथ चिकन, मछली, मीटबॉल, टोफू आदि के साथ मिलाकर बनाया जाता है."

ब्यंबजाव ने आगे बताया, "इसके बाद रात के खाने में मांस और मछली का संतुलन, चावल और नूडल्स जैसी स्टार्च वाली चीजें खाई जाती हैं. हेल्दी होने के कारण चंको-आबे सूमो पहलवानों की फेवरेट डिश होती है. इसमें काफी अधिक कैलोरी होती है. इसमें आम इंसान द्वारा ली जाने वाली कैलोरी की दोगुनी मात्रा से भी अधिक होती है."

 

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