आधे भारतीय अपनी सेहत को लेकर कर रहे हैं ये बड़ी गलती, WHO की चौंकाने वाली रिपोर्ट

साल 2000 में तकरीबन 22 प्रतिशत भारतीय वयस्क जरूरी न्यूनतम शारीरिक श्रम भी नहीं करते थे. 2010 में यह आंकड़़ा बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया. अब 2022 में ऐसे लोगों की संख्या तकरीबन 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट भारतीयों के लिए आंख खोलने वाली है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

ग्लोबल हेल्थ मैगजीन लैंसेट ने भारतीयों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 50 प्रतिशत भारतीय वयस्क इतने आलसी हो गए हैं कि वो रोजाना के लिए जरूरी निम्नतम शारीरिक श्रम भी नहीं करते हैं. इनमें भारतीय महिलाओं की संख्या तकरीबन 57 प्रतिशत है जो पर्याप्त फिजिकली एक्टिव नहीं हैं. वहीं, पुरुषों में ये दर 42 प्रतिशत है.

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पर्याप्त तौर पर फिजिकली एक्टिव न होने के मामले में साउथ एशिया रीजन में महिलाओं की संख्या पुरुषों से 14 प्रतिशत ज्यादा है. भारत में भी लगभग यही आंकड़ा है.

आलसी होने के मामले में साउथ एशिया दूसरे स्थान पर

WHO के मुताबिक, वयस्कों के पर्याप्त रूप से फिजिकली एक्टिव नहीं होने के मामले में साउथ एशिया का दूसरा स्थान है. हाई इनकम वाला एशिया पैसिफिक रीजन एडल्ट्स के फिजिकली एक्टिव नहीं होने के मामले में पहले स्थान पर काबिज है.

दुनियाभर में 31.3% वयस्क पूरी तरह फिजिकल एक्टिव नहीं

शोधकर्ताओं ने विश्व स्तर पर भी पर्याप्त रूप से फिजिकली एक्टिव न रहने वाले वयस्क को लेकर भी डेटा दिया है. उनके मुताबिक विश्व भर में एक तिहाई वयस्क (31.3 प्रतिशत) निम्नतम शारीरिक श्रम भी नहीं करते हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि पर्याप्त शारीरिक श्रम करने वालों को सप्ताह में 150  मिनट की मॉडरेट इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी या फिर सप्ताह में 75 प्रतिशत हाई इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए.

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फिजिकली एक्टिव ना होने के आंकड़ों में लगातार वृद्धि

रिसर्च के मुताबिक, 2010 में फिजिकली एक्टिव नहीं रहने वाले वयस्कों की संख्या 26.4 प्रतिशत थी. 2022 के आंकड़े में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

साल 2000 में तकरीबन 22 प्रतिशत भारतीय वयस्क जरूरी निम्नतम शारीरिक श्रम भी नहीं करते थे. 2010 में यह आंकड़ा बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया. 2022 में ऐसे लोगों की संख्या तकरीबन 50 प्रतिशत हो गई.

साल 2030 तक 60 प्रतिशत भारतीय हो जाएंगे 'आलसी'

शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर शारीरिक श्रम ना करने वालों की संख्या भारत में यूं ही बढ़ती रही तो साल 2030 तक ऐसे लोगों की संख्या 60 प्रतिशत हो जाएगी.  शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अध्ययन के दौरान जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षणों में वयस्कों (कम से कम 18 वर्ष की आयु) की तरफ से बताई गई शारीरिक सक्रियता के आंकड़ों का विश्लेषण किया है ताकि 2000 से 2022 तक 197 देशों और क्षेत्रों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि करने वाले वयस्कों की संख्या का अनुमान लगाया जा सके.

लोगों में बढ़ रही है डायबिटीज और हार्ट संबंधित बीमारियां

शोधकर्ताओं ने ये भी पाया है कि विश्व स्तर पर 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष और महिलाएं दोनों में शारीरिक निष्क्रियता की दर बढ़ रही है. फिजिकली कम एक्टिव होने के चलते लोगों में डायबिटीज, हार्ट संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इंडिया डायबिटीज' (ICMR-INDIAB) का एक अनुसंधान 'द लैंसेट' के जर्नल में प्रकाशित हुआ था. इसके मुताबिक, 2021 में भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे. हाई बीपी के शिकार लोगों की संख्या 31.5 करोड़ थी. इस अध्ययन के मुताबिक, तकरीबन 25.4 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे, जबकि 18.5 करोड़ लोग हाई कोलेस्ट्रोल से जूझ रहे थे.

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