Pollen and dust allergies: देश के कई हिस्सों में गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. तेज धूप और गर्मी के साथ ही लोगों को आंखों में खुजली, नाक बहना, छींक आना और नाक बंद होना जैसी समस्याएं भी हो रही हैं जो अक्सर सर्दी के मौसम में अधिक देखी जाती हैं. इन समस्याओं के कारण हॉस्पिटल्स में मरीजों की संख्या में भी बढ़त देखी जा रही है.
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकित सिंघल के मुताबिक, रोजाना ओपीडी में कम से कम 5 से 7 मामले इन्हीं समस्याओं के देख जा रहे हैं जिनमें छींकना, बहती या बंद नाक, गले में खुजली या पानी आना जैसी समस्याएं कॉमन हैं.'
दरअसल ये एक एलर्जी है और कई लोग इसे वायरल इंफेक्शन समझ रहे हैं क्योंकि इसमें भी गले में खराश या नाक संबंधित समस्याएं हो रही हैं. अब ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ऐसा क्यों हो रहा है. तो आइए जानते हैं ये एलर्जी क्या है जिसके कारण छींकना, बहती या बंद नाक जैसी समस्याएं हो रही हैं.
कौन सी एलर्जी है?
डॉ. अंकित सिंघल के मुताबिक, 'वायरल संक्रमण आमतौर पर बुखार, शरीर में दर्द और थकान के साथ आते हैं जबकि एलर्जी लंबे समय तक बनी रहती है और बुखार नहीं लाती है. इसलिए ये एक तरह की एलर्जी है जिसके कारण लोगों को ये समस्याएं हो रही हैं.'
मैक्स हॉस्पिटल की पल्मोनोलॉजिस्ट और एलर्जी एक्सपर्ट डॉ. रितु मालानी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, 'श्वसन संबंधी एलर्जी मुख्य रूप से पराग और घर की धूल के कणों से होती है. दरअसल, फूल वाले पेड़-पौधों के पराग के कारण ये समस्याएं सामने आ रही हैं. ये मौसम आम तौर पर फरवरी, अप्रैल और अगस्त-सितंबर के दौरान होता है.'
'पेड़ फरवरी से अप्रैल तक सबसे ज़्यादा पराग छोड़ते हैं, जबकि खरपतवार और घास अगस्त से अक्टूबर तक मुख्य रूप से पराग पैदा करती है. कुछ पराग पूरे साल सक्रिय रहते हैं, घास के पराग गर्मियों के महीनों में ज्यादा आम होते हैं और कुछ खास खरपतवार के पराग सर्दियों में होते हैं. घर की धूल के कण (सर्दियों में ज्यादा खराब), मोल्ड बीजाणु (मानसून और सर्दियों में समस्याग्रस्त), पालतू जानवरों की रूसी और खाद्य पदार्थ शामिल हैं.'
इस एलर्जी को कैसे पहचानें ?
आकाश हेल्थकेयर के रेस्पिरेट्री और स्लीप मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट और हेड डॉ. अक्षय बुधराजा के मुताबिक, 'स्ट्रेस, कुछ खाद्य पदार्थों, एसिड रिफ्लक्स, दवाओं, धूम्रपान और शराब के सेवन के कारण पूरे साल एलर्जी बनी रह सकती है. पर्यावरणीय कारक पराग, पालतू जानवरों के बाल भी एलर्जी का कारण बनते हैं. यदि आपको कारण स्पष्ट नहीं होता है तो ब्लड टेस्ट कराकर एलर्जी का पता लगाया जा सकता है.'
'हालांकि कुछ मानक परीक्षण, वायु प्रदूषक या पीएम 10 कणों जैसे कुछ ट्रिगर्स का पता नहीं लगा सकते हैं इसलिए आप मास्क पहनना और उत्तेजक पदार्थों से बचने जैसे उपाय भी अपना सकते हैं.'
'एलर्जी तब होती है जब इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से हानिरहित पदार्थों, जैसे पराग, धूल के कण, मोल्ड बीजाणु या पालतू जानवरों के बाल या रूसी के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया करते हैं. जब शरीर की रक्षा प्रणाली गलती से इन एलर्जी को खतरे के रूप में जान लेती है तो यह हिस्टामाइन और अन्य कैमिकल रिलीज करती है जिससे ये लक्षण पैदा होते हैं.'
'एलर्जिक राइनाइटिस के सामान्य लक्षणों में छींकना, नाक बंद होना या बहना, अत्यधिक आंसू आने के साथ आंखों में जलन शामिल है. इस एलर्जी से बचना, दवा लेना और कुछ मामलों में वैक्सीनेशन या इम्यूनोथेरेपी भी इसका इलाज हो सकता है.'
एलर्जी का ट्रीटमेंट
नाक की एलर्जी को नाक के स्प्रे का उपयोग करके मैनेज किया जा सकता है. कुछ मामलों में एंटीहिस्टामाइन या हल्के स्टेरॉयड दिए जाते हैं. साथ ही मौखिक एंटीहिस्टामाइन भी होते हैं. ब्रोन्कियल अस्थमा के लिए, ब्रोन्कोडायलेटर्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी नेबुलाइज्ड दवाओं का आमतौर पर उपयोग किया जाता है. अधिक गंभीर मामलों में, मौखिक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के छोटे कोर्स निर्धारित किए जा सकते हैं.
यदि लक्षण संक्रमण के कारण होते हैं, तो विशेष एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल की जरूरत पढ़ सकती है. यह महत्वपूर्ण है कि मरीज अपनी स्थिति को समझें, ट्रिगर्स की पहचान करें और बार-बार एलर्दी के संपर्क को रोकने के लिए और क्वालिटी वाली लाइफ के लिए सुरक्षा बनाए रखें.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क