Hair Transplant is Risky or Safe: हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन कैसे सीखते हैं सिर पर बाल लगाना? डॉक्टर ने बताया ये सर्जरी कितनी सुरक्षित

Hair Transplant: कानपुर में एक इंजीनियर की हेयर ट्रांसप्लांट से मौत के बाद से हर किसी के मन में ये सवाल है कि हेयर ट्रांसप्लांट कितना सुरक्षित है और इसे करने के लिए डॉक्टर्स की ट्रेनिंग कैसे होती है. तो आइए इस बारे में डिटेल में जान लीजिए.

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हेयर ट्रांसप्लांट में माइनर सर्जरी होती है. हेयर ट्रांसप्लांट में माइनर सर्जरी होती है.

मृदुल राजपूत

  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

Hair Transplant is Risky or Safe: हेयर फॉल या गंजापन एक ऐसी समस्या है जो महिला और पुरुष दोनों में बढ़ती जा रही है. लाख कोशिशों के बाद भी जिन लोगों का हेयर फॉल नहीं रुकता वो लोग हेयर ट्रांसप्लांट कराते हैं. हेयर ट्रांसप्लांट माइनर सर्जरी होती है जिसे कोई हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन, स्किन सर्जन या फिर प्लास्टिक सर्जन करते हैं. हाल ही में कानपुर का एक मामला सामने आया है जिसमें एक इंजीनियर की हेयर ट्रांसप्लांट के बाद जान चली गई है. ऐसे में हर हेयर ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के मन में सवाल पैदा हो गए हैं कि ये कितना सुरक्षित है?

हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली के हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन और डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. गौरांग कृष्णा से बात की और जाना कि हेयर ट्रांसप्लांट कितना सुरक्षित होता है और ट्रांसप्लांट करने की ट्रेनिंग कैसे होती है. 

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कानपुर वाले मामले में डॉक्टर की राय

हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. गौरांग कृष्णा ने इस केस के बारे में बात करते हुए कहा, 'अभी तक जितनी भी जानकारी सामने आई हैं, उन्हें देखकर लग रहा है कि इस मामले में एनेस्थीसिया बहुत ज्यादा प्रयोग हुआ है या फिर हो सकता है कि उसे एनेस्थीसिया की एलर्जी भी हुई हो. क्योंकि मैंने इस केस के बारे में पढ़ा था कि सिर पर तुरंत स्वेलिंग आ गई थी और उसके बाद उनकी सर्जरी भी काफी लंबी चली. सर्जरी में गर्दन को हाइपर एक्सटेंशन यानी कि टेढ़ी पोजीशन में बहुत देर तक रखा गया जो नहीं करना चाहिए क्योंकि उससे सर्वाइकल प्रॉब्लम भी आती है और उससे ब्लड फ्लो भी रुकता है. तो हो सकता है, बहुत देर तक उसी स्थिति में गर्दन रही हो और इंफेक्शन हो गया हो, जिसकी वजह से ये सारी प्रॉब्लम आईं.'

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'सुनने में आया है कि हेयर ट्रांसप्लांट करने वाली जो डॉक्टर थीं वो डेंटिस्ट थीं. अब सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है कि हेयर ट्रांसप्लांट सिर्फ डर्मेटोलॉजिस्ट या प्लास्टिक सर्जन करें. या फिर इंडिया में ENT सर्जन भी हेयर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. लेकिन अब इस केस में डेंटल डॉक्टर कर रहे थे. डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने एड जारी कर रखा है कि जो मैक्सिलोफेशियल सर्जन हैं वो हेयर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं क्योंकि वो फेस की सर्जरी करते हैं तो हेयर ट्रांसप्लांट भी कर सकते हैं.'

'मेरे हिसाब से ये थोड़ा सा गलत हो सकता है क्यों कि जब स्किन सर्जरीज, प्लास्टिक सर्जरी की ट्रेनिंग दी जाती है तो ब्लड कैसे और कितना निकलना चाहिए, एनेस्थीसिया कितना यूज होना चाहिए, एनेस्थीसिया इंजेक्ट करने की सही जगह क्या है. मतलब एकदम पहले दिन से ही हमें इसकी ट्रेनिंग जी जाती है. तो धीरे-धीरे ये फाइनल लेवल में आ जाता है. हो सकता है डेंटल ट्रेनिंग में शायद इतना ना आता हो.' 

हेयर ट्रांसप्लांट में प्रॉब्लम

डॉ. गौरांग ने बताया, 'एक होती है क्वालिफिकेशन कि ठीक है आप क्वालिफाइड हो करने के लिए. दूसरा होता है एक्सपीरियंस. जो अच्छे सर्जन्स हैं, 10-10, 12-12 साल प्रैक्टिस के बाद उन्हें लगता है कि हां, अब ट्रांसप्लांट करना आया है. अब ऐसे में एक बंदा है जो क्वालिफाइड तो है लेकिन उसे पता ही नहीं है कि क्या करना है, कैसे करना है. प्रॉब्लम को अर्ली डायग्नोज कैसे करना है?'

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'जो अच्छी प्रैक्टिस कर चुके होते हैं, उन्हें 1 सेकंड के अंदर पता चल जाता है कि कुछ गड़बड़ है और हम तुरंत उसके मुताबिक एक्शन लेते हैं. लेकिन जिन्हें इतनी प्रैक्टिस नहीं होते उन्हें पता चलने में ही सारा समय चला जाता है. दूसरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम आजकल ये हो गई है ट्रांसप्लांट में कि टेक्नीशियन के ऊपर ही सारा काम छोड़ दिया जाता है.'

'टेक्नीशियन से पैशेंट ने बोला कि दर्द हो रहा है, उसने तुरंत एनेस्थीसिया लगा दिया. ना वो ये देखते हैं कि वो स्किन में ही जा रहा है, खून में तो नहीं जा रहा. ये सारी प्रॉब्लम जो कि हेयर ट्रांसप्लांट में आनी नहीं चाहिए. जब ये प्रॉब्लम्स आती हैं तो उसका खामियाजा पैशेंट को भुगतना पड़ता है. यदि किसी को ट्रांसप्लांट करना आता ही नहीं है तभी ये सारी प्रॉब्लम आती हैं. ट्रांसप्लांट में या माइनर स्किन प्रोसीजर में ये सब प्रॉब्लम आती नहीं हैं.'

कैसे होती है हेयर ट्रांसप्लांट की ट्रेनिंग?

डॉ. गौरांग ने कहा, 'MBBS के बाद हम लोग सुपर स्पेशलाइजेशन करते हैं तो डर्मेटोलॉजी में करते हैं. डर्मेटोलॉजी में अलग से एक ब्रांच होती है, डर्मेटो सर्जरी की. इसमें हमें स्किन और हेयर की सर्जरीज की बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है. उसमें एक अलग से एक मॉड्यूल होता है जिसको हम लोग डर्मेटो सर्जरी पोस्टिंग बोलते हैं जिसमें हम लोग स्किन कैंसर निकालना, ट्यूमर निकालना, सिस्ट निकालना, सफेद दाग की सर्जरी करना सीखते हैं. आजकल जो अच्छे सेंटर हैं, जैसे मेरी ट्रेनिंग AIIMS की है तो हमने उस समय वहां पर हेयर ट्रांसप्लांट भी शुरू कर दिया था कि पता चल जाए कि वो कैसे करते हैं.' 

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'बाकी कॉस्मेटिक सर्जरी तो आप बाहर जा कर फिर अपना स्पेशलाइज करके देश के बाहर कर सकते हो. अब इंडिया में भी ट्रेनिंग होने लगी हैं लेकिन आद से 15 साल पहले नहीं होती थी. हम लोग बाहर जा कर ही करते थे और सीखते थे कि क्या सही तरीका है, क्या सेफ्टी मेजर्स हैं. तो ये सब सीखा जाता था और उसमें बहुत टाइम लगता है. अच्छी हेयर ट्रांसप्लांट ट्रेनिंग में 2 साल लग जाते हैं.' 

'ट्रांसप्लांट ट्रेनिंग में प्रॉब्लम ये है कि आजकल लोग यूट्यूब देखकर भी सर्जरी करने लगे हैं कि अरे ये तो आसान है, चलो कर लेते हैं. वहीं कोई टेक्निशियन है जिसे 4-5 साल का एक्सपीरियंस है, उसे रख लेते हैं और उसकी मदद से सर्जरी शुरू कर देते हैं लेकिन ये इतना सिंपल नहीं होता.' 

'हेयर ट्रांसप्लांट और प्लास्टिक सर्जन की ट्रेनिंग भी बड़ी एक्सपेंसिव होती है. वो लोग जनरली अपना रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी में ट्रेनिंग करते हैं लेकिन ऑपरेशन थियेटर में प्रोटोकॉल कैसे फॉलो करना है, साफ-सफाई कैसी होनी चाहिए. अगर कोई प्रॉब्लम आ जाए तो इमरजेंसी  रेडी होनी चाहिए. ये सब आपको वही डोमो सर्जरी या प्लास्टिक सर्जरी ट्रेनिंग के दौरान ये सब सारी ट्रेनिंग होती है.'

'हम पहले से ट्रेनिंग लेकर आते हैं तो हम लोगों को इस प्रकार के कॉम्प्लीकेशंस नहीं आते. वहीं ऑपरेशन थियेटर में आपके इक्यूपमेंट कैसे हैं, कितनी एडवांस हैं, ये भी सक्सेसफुल सर्जरी का हिस्सा हैं. हेयर ट्रांसप्लांट माइनर प्रोसीजर है. इसे बेहोश करके नहीं बल्कि सुन्न करके होता है लेकिन फिर भी गाइडलाइन है कि आपको हर पॉसिबल कॉम्प्लिकेशंस के लिए रेडी होना है. इसलिए हमारी ट्रेनिंग, हमारे हर स्टाफ की ट्रेनिंग बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग, एडवांस लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग में भी होती है.'

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'आपके पास वो इक्विपमेंट भी होने चाहिए जिनकी इमरजेंसी में जरूरत होनी चाहिए. कई क्लीनिक ऐसे इक्यूपमेंट में इन्वेस्ट करते हैं जिनकी अगले 5000 दिन तक भी जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन हो सकता है 5001 वें दिन जरूरत पड़ जाए. अनफॉर्च्यूनेटली 90 पर्सेंट जगह नियम फॉलो नहीं होते और फिर ऐसी दुखद घटनाएं सामने आती हैं.'

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