आजकल बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज के शिकार बन रहे हैं. इसके चलते कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है. शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से किडनी में मौजूद रक्त कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं जिससे किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती. लाइफस्टाइल से जुड़ी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. इसे ठीक नहीं किया जा सकता है. हालांकि, अपनी आदतों में सुधार लाकर इसे कंट्रोल जरूर किया जा सकता है.
अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको अपनी लाइफस्टाइल से लेकर खानपान पर खास ध्यान देने की जरूरत है. खुद को एक्टिव रखना होगा. व्यायाम पर जोर देना होगा. खाने में ऐसी चीजों को शामिल करनी होगी, जिसके सेवन से शुगर लेवल में इजाफा ना हो. ऐसे में आप अपनी डाइट में बेसन को भी शामिल कर सकते हैं, जिसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.
डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद चने का आटा?
अगर आप डायबिटीज से परेशान हैं तो सबसे जरूरी है इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि आप रोटियां या अन्य डिशेज बनाने के लिए किस तरह के आटे का इस्तेमाल कर रहे हैं. गेहूं और चावल के आटे से बनी रोटियां और पकवान आपके शुगर लेवल में इजाफा कर सकता है. ऐसे में आप डायबिटीज के मरीजों के लिए बेसन यानी चने के आटे से बनी डिशेज का सेवन कर सकते हैं.
बेसन कैसे डायबिटीज को करेगा कंट्रोल
बेसन को चने पीसकर बनाया जाता है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है. चने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 6 होता है जबकि इससे बनने वाले बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है. बता दें कि कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं.
किस तरह की डिशेज को दें तरजीह
अगर आपको डायबिटीज है तो बाहर के बेसन से परहेज करना चाहिए. उसमें मिलावट भी हो सकती है, जो आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. भुने हुए चने से आपको घर पर ही बेसन बनाने का प्रयास करना चाहिए. इससे बनी हुई रोटी डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होती है.
खाने की बार-बार क्रेविंग नहीं होती
बेसन में प्रोटीन और फाइबर होते हैं, जिससे आपका पेट काफी वक्त तक भरा हुआ महसूस होता है. ऐसे में आपको बाहर की चीजों को खाने की क्रेविंग नहीं होती है. इसमें मौजूद आपके खून में ग्लूकोज का अब्सॉर्प्शन धीमा करने में मदद करता है, जिससे शुगर लेवल कंट्रोल होता है.
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