आय से अधिक संपत्ति मामले में उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में याचिकाकर्ता गौरी भिड़े की तरफ से आरोप लगाया गया था कि उद्धव की तरफ से आय से अधिक संपत्ति अर्जित की गई थी. उनकी पत्नी और परिवार के दूसरे सदस्यों पर भी ऐसे ही आरोप लगाए गए थे. लेकिन इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अभी कोई फैसला नहीं सुनाया है.
उद्धव और आदित्य ठाकरे के लिए पेश हो रहे वकील ने कहा है कि याचिकाकर्ता के आरोपों में कोई दम नहीं है और ये आरोप तथ्यों से मेल नहीं खाते हैं. याचिका में अनुमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. एक अनुमान के आधार पर कैसे कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार हुआ, पैसों की लेन देन हुई. सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि ठाकरे परिवार अब सत्ता में नहीं है, ऐसे में उनकी तरफ से किसी भी स्तर पर जांच को प्रभावित नहीं किया जा सकता है.
इस मामले में याचिकाकर्ता गौरी भिड़े ने जोर देकर कहा था कि ठाकरे परिवार के खिलाफ परमबीर सिंह केस की तरह जांच होनी चाहिए. उनकी तरफ से ये जानकारी भी दी गई कि मुंबई पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज करवाई गई थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई जवाब नहीं दिया गया. इस आरोप पर उद्धव के वकील ने कहा कि अगर पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती है तो उस स्थिति में मेजिस्ट्रेट कोर्ट जाया जाता है. जिसके खिलाफ शिकायत की जा रही है, अगर वो काफी प्रभावशाली है, उस स्थिति में सीधे हाई कोर्ट का भी रुख किया जा सकता है. लेकिन उद्धव ठाकरे या उनका परिवार प्रभावशाली नहीं है, वे अब सत्ता में भी नहीं हैं. इस मामले में उद्धव की पत्नी की तरफ से एडवोकेट Ashok Mundargi पेश हुए थे. उन्होंने अपने क्लाइंट का बचाव करते हुए साफ कहा था कि सिर्फ शक के आधार पर शिकायत की गई है, तथ्यों का कोई सहारा नहीं लिया गया.
अब याचिकाकर्ता ने याचिका में शिवसेना के मुखपत्र सामना का भी जिक्र किया गया था. कहा गया था कि जब कोरोना काल में दूसरे मीडिया हाउस नुकसान झेल रहे थे, तब सामना का टर्नओवर 42 करोड़ के करीब रहा था और मुनाफा भी 11.5 करोड़ से ज्यादा रहा. आरोप लगाया गया कि काली कमाई को सभी से छिपाकर सफेद करने का काम हुआ. लेकिन अभी इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
विद्या