सुप्रीम कोर्ट में एक और जज की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र को सिफारिश भेजी है. इसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस प्रसन्न बी वराले को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश की गई है. नियुक्ति के बाद जस्टिस वराले सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दलित जज होंगे.
CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस के कॉलेजियम का फैसला सरकार को भेज दिया गया है. इस नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की पूरी क्षमता यानी 34 जज हो जाएगी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस संजय किशन कौल के 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद कोर्ट की कुल स्वीकृत जज संख्या 34 में एक जज की कमी हो गई थी. अब कोलेजियम की सिफारिश मंजूर होने के बाद भरपाई हो जाएगी. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार दलित समुदाय से हैं. जस्टिस गवई 2025 में 14 मई से 23 नवंबर तक देश के मुख्य न्यायाधीश भी रहेंगे.
नवंबर 2024 में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की रिटायरमेंट भी निर्धारित है. सीजेआई चंद्रचूड़ का स्थान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना लेंगे, जो भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे. जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 11 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक रहेगा. अन्य देशों में न्यायाधीशों के कार्यकाल की तुलना में भारतीय न्यायाधीशों का सर्वोच्च न्यायालय में कार्यकाल बहुत छोटा होता है. यूनाइटेड किंगडम में न्यायाधीश 75 वर्ष की आयु में और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और नॉर्वे में 70 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं. दिलचस्प बात यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, न्यूजीलैंड और आइसलैंड में न्यायाधीशों का कार्यकाल उनके जीवनकाल के लिए होता है.
संजय शर्मा