103वें संवैधानिक संशोधन की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर को बड़ा फैसला सुना सकता है. सीजेआई यूयू ललित के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% कोटा प्रदान करने वाले संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएंगे. 7 नवंबर को सीजेआई का आखिरी कार्य दिवस है, क्योंकि वह 8 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे.
सीजेआई उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट दो अलग-अलग फैसले सुनाएंगे. इस मामले में सीजेआई के अलावा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी , जस्टिस एस रवींद्र भट्ट , जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जे बी पादरीवाला की बेंच ने सुनवाई की है.
याचिका में केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामलों को चुनौती दी गई है. वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने ईडब्ल्यूएस को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को सही बताया था.
103वें संविधान संशोधन में यह की गई है व्यवस्था
जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया था. संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित कर नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया. अनुच्छेद 15(6) में राज्य द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण समेत नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
इसमें कहा गया है कि इस तरह का आरक्षण अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर निजी संस्थानों समेत किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किया जा सकता है फिर चाहे वह सहायता प्राप्त हो या गैर-सहायता प्राप्त हो. संविधान संशोधन के बाद EWS के लिए आरक्षण की ऊपरी सीमा 10 प्रतिशत होगी, जो मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगी.
सृष्टि ओझा / संजय शर्मा