EVM- VVPAT को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला, की गई है हर वोट के सत्यापन की मांग

चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है

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सुप्रीम कोर्ट ईवीएम और वीवीपैट से डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन की याचिका पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट ईवीएम और वीवीपैट से डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन की याचिका पर फैसला सुनाएगा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट  इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ सभी वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की सभीपर्चियों के मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुना सकता है. बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने EVM- VVPAT मामले में इस तकनीक से जुड़े चार- पांच और बिंदुओं पर जानकारी मांगी और निर्वाचन आयोग के अफसरों को दोपहर दो बजे बाद बुलाया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें और जानकारी चाहिए क्योंकि हम मामले की तह तक यानी इसमें गहन में जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने चार सवालों पर जवाब मांगा है-
1) नियंत्रण इकाई या वीवीपैट में क्या माइक्रो कंट्रोलर स्थापित है?
2) माइक्रो कंट्रोलर क्या एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है?
3) मशीन में सिंबल लोडिंग इकाइयाँ कितने उपलब्ध हैं?
4) चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि आपके अनुसार 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है.

वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जिसमें वोटर यह देख सकते हैं कि उनका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं.

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ आज उस याचिका पर निर्देश सुनाने वाली है जिसमें शीर्ष अदालत ने 18 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था. चुनावी प्रणाली में मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को सर्वोपरि मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर बात पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए.

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की गई है ये मांग

चुनाव प्रणाली में मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को रेखांकित करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि  हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है. याचिकाकर्ताओं में से एक, एनजीओ 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव पैनल के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की, जिसके माध्यम से एक मतदाता केवल तभी तक (सात सेंकेड) पर्ची देख सकता है जब रोशनी चालू है.

यह भी पढ़ें: अग्निपरीक्षा में खरी उतरी EVM, सही पाए गए वीवीपैट से 100 फीसदी मिलान

कोर्ट ने कही ये बात

लगभग दो दिनों तक चली सुनवाई के दौरान, पीठ ने ईवीएम की कार्यप्रणाली को समझने के लिए वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त नितेश कुमार व्यास के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत की और एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण से कहा कि चुनावी प्रक्रिया का मूल मतदाताओं की संतुष्टि और भरोसा है.

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन मानवीय त्रुटि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. 16 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने ईवीएम की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने की मांग की निंदा करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक "बहुत बड़ा काम" है और "सिस्टम को गिराने" का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.

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आयोग का जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है? इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता. यह एक फर्मवेयर है. यानी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं. राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में उन्हें लॉक किया जाता है.

यह भी पढ़ें: विपक्ष के टारगेट पर ईवीएम... इंडिया ब्लॉक के नेता बोले, सत्ता में आए तो वोटिंग प्रक्रिया से हटा देंगे ईवीएम

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