'...तो रेलवे ट्रैक पार करके जाना लापरवाही नहीं', बॉम्बे HC ने ट्रिब्यूनल का आदेश पलटा, 8 लाख मुआवजे का आदेश

अगर किसी रेलवे स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज नहीं है तो ऐसी स्थिति में रेलवे ट्रैक पार करने जाना लापरवाही नहीं माना जाएगा. बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. इसी के साथ ही कोर्ट ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश को भी रद्द कर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने पीड़ित परिवार को मुआवजा भी देने का आदेश दिया है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल का फैसला रद्द किया (फाइल फोटो) बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल का फैसला रद्द किया (फाइल फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 15 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के एक आदेश को रद्द कर रेलवे को बड़ा झटका दिया है. हाई कोर्ट ने रेल दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को 6 हफ्ते में 8,00,000 रुपये देने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति अभय आहूजा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की- एक व्यक्ति जो नौकरी की तलाश में गांव से आता है, वैध टिकट लेकर यात्री ट्रेन में चढ़ता है, ट्रेन से उतरता है और ओवरब्रिज न होने के कारण रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के लिए मजबूरन पटरियां पार करके जाता है. तभी वह एक ट्रेन की चपेट में आ जाता है और उसकी मौत हो जाती है, इसे जानबूझकर लापरवाही नहीं कहा जा सकता है. न्यायमूर्ति अभय आहूजा मृतक मनोहर गजभिये के परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. मनोहर गोंदिया से महाराष्ट्र के रेवराल जा रहे थे. वह रेवराल स्टेशन पर हादसे हो शिकार हो गए थे.

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ट्रिब्यूनल ने मृतक को नहीं माना था यात्री

ट्रिब्यूनल ने अपने 2019 के आदेश में कहा था कि मनोहर लापरवाही से ट्रैक पर चल रहे थे. लापरवाही के कारण उनकी मृत्यु हो गई. ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि मनोहर गजभिये रेवराल में उतरने तक एक वास्तविक यात्री थे, लेकिन ट्रैक पर चलते समय जब वह एक ट्रेन की चपेट में आए, तो वह एक वास्तविक यात्री नहीं थे. इस प्रकार किसी भी मुआवजे का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं थी.

हादसे से पहले स्टेशन पर बना था पुल

मनोहर के परिवार के वकील आरजी बागुल ने दलील दी कि जक मनोहर हादसे का शिकार हुए तब वहां फुटओवर ब्रिज नहीं था. घटना के काफी दिन बाद 2018 में पुल अस्तित्व में आया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि यात्रियों के लिए फुट ओवरब्रिज खोले जाने से पहले हर बार यात्री ट्रेन के रेवराल स्टेशन पर यात्री प्लेटफॉर्म पर उतरे थे और फिर स्टेशन से बाहर निकलने के लिए उन्हें या तो रेलवे ट्रैक के साथ चलना पड़ता था या फिर इसे पार करना पड़ता था. इसमें स्पष्ट रूप से रेलवे अधिकारियों की ओर से लापरवाही का संकेत दिखता है. मृतक की उसकी गलती की वजह से नहीं हुई.

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इसके बाद न्यायमूर्ति आहूजा ने कहा कि एक यात्री एक वैध टिकट के साथ यात्रा कर रहा था. इस तथ्य को नकारा नहीं किया जा सकता कि घटना एक अप्रिय नहीं है. घटना के समय रेवराल स्टेशन पर ओवरब्रिज नहीं था. यात्रियों को ट्रेन से उतरने के बाद पटरियों के किनारे चलने या उन्हें पार करने के लिए मजबूर होना पड़ता था. इसके अलावा उनके पास और कोई विकल्प भी नहीं था.

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