मुंबई में अब संपत्ति के मालिक को किरायेदार का वेरिफिकेशन करवाना जरूरी है. मुंबई पुलिस ने इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है.
मुंबई पुलिस ने इस आदेश में कहा है कि अगर आप अपनी कोई संपत्ति किराये पर दे रहे हैं तो उसकी सारी डिटेल देना होगी. ये आदेश 8 मार्च से लागू हो गया है और 60 दिनों के भीतर सभी संपत्ति मालिकों को किरायेदारों की डिटेल पुलिस को देनी होगी. ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इसका मकसद रिहायशी इलाकों में असामाजिक तत्वों को छिपने से रोकना है.
क्या है आदेश?
- मुंबई पुलिस का ये आदेश लैंडलॉर्ड, संपत्ति मालिक और प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े लोगों के लिए है. इसमें कहा गया है कि अगर संपत्ति या मकान को किराये पर दिया जाता है तो किरायेदार की सारी डिटेल पोर्टल पर देनी होगी.
क्यों जारी किया गया है ये आदेश?
- इसमें कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि असामाजिक तत्व रिहायशी इलाकों में ठिकाने की तलाश कर सकते हैं. इनसे शांति भंग होने या व्यवस्था बिगड़ने या मानव जीवन को खतरा होने के साथ-साथ निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने का खतरा है. इसलिए जरूरी है कि सभी किरायेदारों की डिटेल सिटीजन पोर्टल पर दर्ज करवाई जाए.
अगर किरायेदार विदेशी है तो?
- मुंबई पुलिस के आदेश में कहा गया है कि अगर किरायेदार कोई विदेशी नागरिक है तो उसकी भी सारी डिटेल देनी होगी. इसके अलावा ये भी बताना होगा कि वो मुंबई में क्यों रह रहा है?
कैसे देनी होगी डिटेल?
- मुंबई पुलिस की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, किसी भी मकान या कोई भी संपत्ति को किराये पर देने के लिए पुलिस की एनओसी की जरूरत नहीं है.
- हालांकि, किरायेदार का वेरिफिकेशन और डिटेल दे देना चाहिए. आप तीन तरीकों से किरायेदार की डिटेल पुलिस को दे सकते हैंः-
1. ऑनलाइन.
2. संबंधित पुलिस थाने में आवेदन देकर.
3. संबंधित पुलिस थाने में आवेदन को पोस्ट के जरिए भेजकर.
ऑनलाइन तरीका क्या है?
- सबसे पहले mumbaipolice.gov.in की वेबसाइट पर जाएं. यहां पर 'Report Us' मेन्यू पर जाकर 'Tenant Information' के टैब पर क्लिक करें.
- यहां फॉर्म खुल जाएगा. इसमें सबसे पहले मालिक को अपनी डिटेल देनी होगी. फिर संपत्ति की डिटेल भरनी होगी. उसके बाद किरायेदार की डिटेल और वो क्या करता है, वो बताना होगा. आखिरी में किरायेदार के किसी जान-पहचान वाले की जानकारी देनी होगी.
- यहां एक बात का ध्यान रखें कि संपत्ति मालिक और किराये पर दी जाने वाली संपत्ति का पता अलग-अलग होना चाहिए.
- इसके अलावा संपत्ति मालिक और किरायेदार को अपनी सभी जानकारी सही देना जरूरी है. अगर किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो लीगल एक्शन लिया जा सकता है.
क्यों जरूरी है किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन?
- कानून संपत्ति मालिक को किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना जरूरी है. ऐसा नहीं करना IPC की धारा 188 का उल्लंघन है. दोषी पाए जाने पर एक महीने की जेल या 200 रुपये या दोनों की सजा हो सकती है.
- हर पुलिस थाने में टेनेंट फॉर्म होता है, जिसमें किरायेदार की सारी डिटेल भर सकते हैं. इसमें किरायेदार की हर एक डिटेल देनी होती है. ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर किरायेदार का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड होगा तो पुलिस वेरिफिकेशन से इसका पता चल जाएगा. ये वेरिफिकेशन ऑनलाइन भी कराया जा सकता है.
- मॉडल टेनेंसी एक्ट 2021 के मुताबिक, संपत्ति मालिक और किरायेदार के बीच लिखित रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है. ये एग्रीमेंट 11 महीने के लिए होता है. इस एग्रीमेंट में किरायेदार कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, डिपोजिट की रकम कितनी होगी... ये सारी जानकारी देनी होती है.
- एग्रीमेंट की तारीख खत्म होने के बाद अगर मकान मालिक फिर उसी किरायेदार को रखना चाहता है तो दोबारा से एग्रीमेंट करवाना होगा. अगर एग्रीमेंट खत्म हो जाने के बाद किरायेदार घर खाली नहीं करता है या घर खाली करने में असमर्थ है तो उसे मकान मालिक को बढ़ा हुआ किराया देना होगा.
मकान मालिक और किरायेदार के क्या हैं अधिकार?
- मॉडल टेनेंसी एक्ट 2021 के मुताबिक, रेंट एग्रीमेंट की दो कॉपी बनेगी. संपत्ति मालिक और किरायेदार दोनों अपने पास एक-एक कॉपी रखेंगे. किरायेदार जो किराया देता है, उसे उसकी रसीद मकान मालिक से लेने का अधिकार है.
- अगर मकान में कोई टूट-फूट होती है तो उसकी मरम्मत करवाने की जिम्मेदारी किरायेदार की है. अगर किरायेदार मरम्मत नहीं करवाता तो मकान मालिक उसके सिक्योरिटी डिपोजिट से मरम्मत करवा सकता है और एक महीने के भीतर बचा हुआ सिक्योरिटी डिपोजिट जमा करने को कह सकता है. अगर मरम्मत की लागत सिक्योरिटी मनी से ज्यादा है, तो फिर किरायेदार को महीनेभर के भीतर सिक्योरिटी मनी के साथ-साथ अतिरिक्त रकम भी जमा करानी होगी.
- रेंट एग्रीमेंट में जो शर्तें और सुविधाएं लिखी हैं, वो किरायेदार को देना जरूरी है. अगर एग्रीमेंट में लिखी सुविधाएं किरायेदार को नहीं मिलती है तो वो मकान मालिक को 15 दिन का नोटिस देकर घर खाली कर सकता है.
- ये हर किरायेदार की जिम्मेदारी है कि वो संपत्ति या मकान में किसी तरह की तोड़-फोड़ न करे या नुकसान न पहुंचाए. फिर भी अगर कोई टूट-फूट हो जाती है तो इसकी जानकारी लिखित में मकान मालिक को देना होगा.
- कोई भी मकान मालिक बिना बताए किरायेदार के घर में नहीं आ सकता. अगर मकान मालिक आना चाहता है तो उसे कम से कम 24 घंटे पहले किरायेदार को अपने आने की जानकारी देनी होगी.
- मकान मालिक अचानक से किरायेदार को घर खाली करने को नहीं कह सकता. इसके लिए एक महीने का नोटिस देना जरूरी है. इतना ही नहीं, किरायेदार को घर खाली करने की सही वजह जानने का भी हक है. हालांकि, किरायेदार कुछ गलत काम कर रहा है या उसने लगातार दो महीने तक किराया नहीं दिया है तो मकान मालिक एग्रीमेंट में लिखी समय सीमा से पहले घर खाली करने को कह सकता है.
aajtak.in