मद्रास हाईकोर्ट की CBI पर बड़ी टिप्पणी, केंद्र से कहा- पिंजरे में बंद तोते को 'ज्यादा' आजाद करें

मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई को और ज्यादा अधिकार और स्वायत्तता की जरूरत है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीबीआई को वैधानिक दर्जा देने के लिए जल्द से जल्द अलग कानून बनाने का निर्देश भी दिया है.

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मद्रास हाईकोर्ट (फाइल फोटो) मद्रास हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

अक्षया नाथ / अनीषा माथुर

  • चेन्नई,
  • 18 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST
  • हाईकोर्ट ने केंद्र को जारी किए निर्देश
  • कहा- CBI को और ज्यादा अधिकार मिले

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने सीबीआई को लेकर एक अहम टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि सीबीआई (CBI) को ज्यादा अधिकारी और स्वायत्तता की जरूरत है. सीबीआई को चुनाव आयोग और कैग (CAG) की तरह 'ज्यादा आजाद' किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना था कि उनका ये निर्देश 'पिंजरे में बंद तोते' को आजाद कराने की कोशिश है.

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मद्रास हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी एक चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान की. इस मामले की जांच हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया, लेकिन सीबीआई में सुधार लाने को लेकर कई निर्देश दे दिए.

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) की मदुरै बेंच के जज किरूबकारन और जस्टिस बी. पुगालेंधी ने 17 अगस्त को ये निर्देश दिए हैं. बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि सीबीआई को ज्यादा शक्तियों और ज्यादा अधिकार के साथ-साथ वैधानिक दर्जा देने के लिए जल्द से जल्द एक अलग कानून बनाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि लोगों को CBI पर बहुत भरोसा है, इसलिए और ज्यादा आजाद बनाने की जरूरत है.

हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई के ऊपर सरकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए, उसे स्वतंत्र होना चाहिए. सीबीआई को भी सरकार के सचिव की तरह ही शक्तियां होनी चाहिए और सीबीआई के डायरेक्टर को सीधे प्रधानमंत्री या मंत्री को ही रिपोर्ट करना चाहिए. कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि सीबीआई का अलग बजट भी होना चाहिए. इसके अलावा ये भी कहा कि सीबीआई की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) को अमेरिका की FBI और यूके की स्कॉटलैंड यार्ड की तरह एडवांस बनाया जाए.

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हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई में डिविजन और विंग बढ़ाए जाने चाहिए. अधिकारियों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए. कोर्ट ने इसको लेकर 6 हफ्ते के अंदर सरकार को प्रस्ताव भेजने को कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र से भी कहा है कि वो प्रस्ताव पर 3 महीने के भीतर सहमति दे.

 

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