आपराधिक कानूनों के एक जुलाई से लागू होने के मद्देनजर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सभी हितधारकों के साथ आगे विचार-विमर्श होने तक कानूनों को स्थगित करने की मांग की है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 पेश किए हैं. ये आधिकारिक तौर पर एक जुलाई से लागू होंगे. जयसिंह ने कानून मंत्री को लिखे पत्र में कहा है,'वकील होने के नाते हम जानते हैं कि मूल आपराधिक कानून को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है, जबकि प्रक्रियात्मक कानून लंबित मामले पर लागू हो सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि अभियुक्त के प्रति पूर्वाग्रह पैदा होता है या नहीं.
हर मामले में उठेगा एक सवाल
उन्होंने आगे कहा,'हर लंबित मामले में यह सवाल उठेगा कि किसी विशेष मामले में कौन सा कानून लागू होगा. यह तीन नए आपराधिक कानूनों के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने के सवाल से बिल्कुल अलग है, जो लोगों के दिमाग में मंडरा रहा है. हालांकि, मैं इस पहलू पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही हूं क्योंकि ये न्यायपालिका के लिए तय करने के लिए सवाल हैं.'
... तक तक किया जाए स्थगित
पत्र में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में मैं आपसे यह अनुरोध करती हूं कि उपरोक्त आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को तब तक स्थगित किया जाए, जब तक कि सभी स्तरों पर न्यायपालिका, जांच एजेंसियां, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और इस देश के नागरिकों सहित सभी हितधारकों को इन कानूनों के क्रियान्वयन और न्याय तक पहुंच पर इसके प्रभाव पर बहस और चर्चा करने का अवसर न मिल जाए.
1 जुलाई से लागू हो जाएंगे कानून
इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा,'आपराधिक कानूनों के लागू होने का मतलब है कि देश में दो आपराधिक न्याय कानून काम करेंगे. 1 जुलाई 2024 से हमारे पास दो आपराधिक न्याय प्रणाली होंगी. 30 जून को दर्ज की गई एफआईआर पुराने कानूनों के तहत होगी, जबकि 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे.'
कनु सारदा