महाराष्ट्र के पालघर में आदिवासी समुदाय के सखाराम की पत्नी को प्रसव पीड़ा के दौरान समय पर एंबुलेंस और इलाज नहीं मिला, जिसके परिणामस्वरूप उनके नवजात शिशु की गर्भ में ही मृत्यु हो गई. इसके पश्चात, सखाराम को अपनी मृत बच्ची का शव प्लास्टिक की थैली में रखकर 80 किलोमीटर तक बस में ले जाने के लिए विवश होना पड़ा.