DGP का सहयोगी बताकर कर रहे थे वसूली, उत्तराखंड पुलिस ने यूपी से 15 लोगों को किया गिरफ्तार

उत्तराखंड पुलिस ने पुलिस अधिकारी का सहयोगी बताकर ठगी करने वाले 15 लोगों को यूपी से गिरफ्तार किया है. इनके पास से पुलिस अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नीली बत्ती की गाड़ी भी बरामद की गई है.

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सांकेतिक फोटो सांकेतिक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:19 AM IST

उत्तराखंड पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो पुलिस अधिकारी का सहयोगी बताकर लोगों से पैसे वसूलता था. पुलिस ने गुरुवार को यूपी के रहने वाले ऐसे 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये आरोपी खुद को डीजीपी स्तर के पुलिस अधिकारी का सहयोगी बताकर वसूली कर रहे थे. 

पुलिस ने पांच वाहनों को भी जब्त किया, जिनमें से एक में नीली बत्ती और नंबर प्लेट के पास तीन स्टार लगे हुए थे. ये गाड़ी सीनियर पुलिस अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली है. उधम सिंह नगर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी ने बताया कि सिडकुल इलाके के एक मॉल में जाने और हंगामा करने के बाद उन्हें पकड़ा गया. 

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फर्जी डिग्री तैयार करने का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

इससे पहले उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने फर्जी बीएमएस डॉक्टर की डिग्री तैयार करने वाले मास्टर माइंड इमलाख को राजस्थान के अजमेर से अरेस्ट किया था. आरोपी से एसटीएफ ने कई फर्जी डिग्रियां,  जाली दस्तावेज ,जाली मोहरें बरामद की थीं.  

आरोपी पर था 25 हजार का इनाम

इमलाख बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज का चेयरमैन था, जिस पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया था. बताते चलें कि बीएएमएस की फर्जी डिग्री लेकर इलाज करने की शिकायत मिलने के बाद पुलिस पहले ही कई फर्जी डॉक्टरों को अरेस्ट कर चुकी थी. ये सभी वो डॉक्टर थे जो फर्जी डिग्रियां लेकर देहरादून में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक एक फर्जी डिग्री के साढ़े 6 लाख रुपये तक दिए जाते थे वहीं एसटीएफ ने फरार मुख्य आरोपी इमलाख को गिरफ्तार कर लिया था.  

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एसटीएफ के एसएसपी ने बताया कि जांच में आयुर्वेदिक डॉक्टर के फर्जीवाड़े में करीब 36 लोगों को चिन्हित किया गया था, जांच में सामने आया कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों की फर्जी डिग्री राजीव गांधी हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी कर्नाटका के नाम से इमरान और इमलाख द्वारा तैयार की जा रही थी. इसको लेकर नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था जिसकी जांच देहरादून एसआईटी कर रही है.  

 

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