उत्तराखंड सरकार ने बढ़ाया UCC कमेटी का कार्यकाल, कमेटी तैयार कर रही है ड्राफ्ट

उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की ड्राफ्ट कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया है. रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में इस कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया गया है. अब 27 मई 2023 तक के लिए उत्तराखंड सरकार ने कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया है. यह कमेटी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से पहले ड्राफ्ट तैयार कर रही है.

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुषकर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुषकर सिंह धामी

अंकित शर्मा

  • देहरादून,
  • 02 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने से पहले एक कमेटी गठित की थी. यह कमेटी UCC का ड्राफ्ट तैयार कर रही थी. अब धामी सरकार ने इस UCC कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया है.

रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में इस कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया गया है. अब 27 मई 2023 तक के लिए उत्तराखंड सरकार ने कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया है. यह कमेटी यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार कर रही है. बता दें कि अब तक इस UCC कमेटी को ढाई लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं. 

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इतने लोग कमेटी में शामिल

इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई कर रही हैं. साथ ही इसमें पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रमोद कोहली, मनु गौड़ और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल हैं. यह कमेटी इस कानून का एक ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी जिसे जल्द से जल्द लागू किया जाएगा.

सीएम धामी ने की थी घोषणा

बता दें कि राज्य में सरकार बनते ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक के बाद सीएम पुष्कर धामी ने कहा था कि 12 फरवरी 2022 को हमारी सरकार ने संकल्प लिया था कि राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे. इसकी वजह बताते हुए धामी ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा पूरे भारत के लिए अहम है. इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा.

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आर्टिकल 44 की दिशा में प्रभावी कदम 

सीएम धामी ने कहा था कि ये 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा. ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है. साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी जिसने एक प्रकार का 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है.

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