सुरंग में अटकी 41 मजदूरों की जान... 9 दिन में पहली बार भेजा खाना! रेस्क्यू में देरी पर कोर्ट ने सरकार मांगा जवाब

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे लोगों के रेस्क्यू ऑपरेशन में कई सरकारी एजेंसियां ​जुटी हुई हैं और उन्हें अलग-अलग काम सौंपे गए हैं. ये एजेंसियां मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि वर्टिकल रेस्क्यू टनल को बनाने के लिए क्या तैयारी है... 

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टनल में फंसे 41 मजदूर टनल में फंसे 41 मजदूर

aajtak.in

  • उत्तरकाशी,
  • 20 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:22 AM IST

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जोरों पर जारी है. सभी मजदूरों की जिंदगियों को बचाने के लिए सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और 2 किमी लंबी सुरंग में फंसे मजदूरों का मनोबल बनाए रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है. सुरंग का यह 2 किमी का हिस्सा कंक्रीट कार्य सहित पूरा हो गया है, जिसके बीच मजदूर अभी तक सुरक्षित हैं. 

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सुरंग के इस हिस्से में बिजली और पानी मौजूद है और मजदूरों को 4 इंच कंप्रेसर पाइपलाइन के जरिए खाना-पानी और दवाएं आदि दी जाती रही हैं. लेकिन आज, एक बड़ी सफलता यह हासिल हुई कि एनएचआईडीसीएल ने खाना, दवाओं और अन्य जरूरी चीजों को नीचे पहुंचाने के लिए 6 इंच चौड़ी एक और पाइपलाइन की ड्रिलिंग पूरी कर ली है. इसके अलावा, आरवीएनएल जरूरी सामान को पहुंचाने के लिए एक और वर्टिकल पाइपलाइन पर काम कर रहा है. 

इस रेस्क्यू ऑपरेशन में कई सरकारी एजेंसियां ​जुटी हुई हैं और उन्हें अलग-अलग काम सौंपे गए हैं. ये एजेंसियां मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि वर्टिकल रेस्क्यू टनल को बनाने के लिए क्या तैयारी है... 

मजदूरों के बचाव के लिए कुछ यूं चलाया जा रहा ऑपरेशन

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- ऑगुर बोरिंग मशीन के जरिए मजदूरों के बचाव के लिए सिल्क्यारा छोर से NHIDCL द्वारा हॉरिजॉन्टल बोरिंग शुरू होने को है.

- वर्टिकल रेस्क्यू टनल के निर्माण के लिए SJVNL की पहली मशीन पहले ही सुरंग स्थल पर पहुंच चुकी है और BRO द्वारा पहुंच मार्ग का काम पूरा होने के बाद परिचालन शुरू किया जा रहा है. वर्टिकल सुरंग निर्माण के लिए दो अन्य मशीनों की आवाजाही सड़क मार्ग के जरिए गुजरात और ओडिशा से शुरू हुई.

- THDC द्वारा बड़कोट छोर से 480 मीटर लंबी बचाव सुरंग के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है.

- मजदूरों के बचाव के लिए RVNL द्वारा हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के जरिए माइक्रो-टनलिंग के लिए मशीनरी नासिक और दिल्ली से पहुंचाई जा रही है.

- वर्टिकल बोरिंग के लिए ओएनजीसी द्वारा यूएसए, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनरी जुटाई जा रही है.

- BRO ने सराहनीय कार्य किया है जब RVNL और SJVNL की वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एप्रोच रोड का निर्माण 48 घंटे के भीतर किया गया है. इसके अलावा, अब ONGC के लिए भी एप्रोच रोड पर काम जारी है.

आज क्या कामयाबी मिली?

अब आपको ये बताते हैं कि सुरंग में फंसे इन मजदूरों को खाना पहुंचाने के लिए आज से क्या नया इंतजाम किया गया है. अब रेस्क्यू टीम मजदूर तक 6 इंच मोटी पाइप पहुंचने में कामयाब रही है. लंबी मशक्कत के बाद 60 मीटर दूर मजदूर तक मलबा पार कर पाइप पहुंचा है. ये सफलता मिलने के बाद अब मजदूरों की जरूरत के अनुसार खाना बनाया गया. अब इस पाइप के जरिए प्लास्टिक की बोतलों में खाना भेजा गया. इसमें आलू के टुकड़े, दलिया और खिचड़ी भेजी जाएगी. डॉक्टर की सलाह लेकर इन मजदूरों के स्वास्थय का ख्याल रखते हुए उन्हें खाना भेजा गया. 

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मजदूरों को आज खाने में क्या भेजा गया? 

आज की सफलता मिलने के बाद अब मजदूरों की जरूरत के अनुसार खाना बनाया गया. अब इस नए बने 6 इंच चौड़े पाइप के जरिए प्लास्टिक की बोतलों में खाना भेजा गया. इसमें आलू के टुकड़े, दलिया, दाल और खिचड़ी भेजी गई. डॉक्टर की सलाह लेकर इन मजदूरों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए उन्हें खाना भेजा जा रहा है. बताते चलें कि मजदूरों को खाना बोतलों में भरकर भेजा जा रहा है. क्योंकि उन्हें 6 इंच के पाइप के जरिए ही भेजा जाना है. 

मशीन के सामने ये रोड़ा

नेशनल हाइवेज और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDLC) के डायरेक्टर अंशू मनीष खालगो ने बताया कि Auger मशीन 23 मीटर पर रुकी हुई है. क्योंकि उसके आगे बड़ा सा बॉर्डर आ गया है, लेकिन मैं वादा करता हूं कि हम डिलीवर करेंगे. हमारी पहली प्राथमिकता है कि यह अंदर हार्ड फूड पहुंचाया जाए, मजदूर तक आज प्रॉपर खाना भेजा जाएगा.

9 दिनों से सुरंग में ही फंसे हैं मजदूर 

दरअसल, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए 9 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है.

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सुरंग के बाहर बनाया गया मंदिर

सुरंग के बाहर बनाया गया मंदिर

जहां एक ओर मजदूरों को सुरंग से निकालने का काम जारी है तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने सुरंग के बाहर अस्थाई मंदिर बना दिया है. जहां मजदूरों को निकालने के लिए स्थानीय लोग और उनके परिजन पूजा-अर्चना कर रहे हैं. 

राज्य सरकार को 48 घंटे में दाखिल करना है जवाब

साथ ही आपको यह भी बताते चलें कि टनल में फंसे मजदूरों का मामला अब अदालत पहुंच चुका है. उत्तराखंड हाई कोर्ट में मजदूरों को जल्दी बाहर निकालने को लेकर दायर जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से 48 घंटे के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 22 नवंबर की तिथि नियत की है. कोर्ट ने मिनिस्ट्री ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, सचिव लोक निर्माण विभाग, केंद्र सरकार, नेशनल हाइवे विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.

NGO ने कहा- सरकार असफल 

समाधान एनजीओ कृष्णा विहार देहरादून ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में पिछले 12 नवंबर से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हुए हैं. लेकिन सरकार उनको अभी तक बाहर निकालने में अफसल साबित हुई है. सरकार व कार्यदायी संस्था टनल में फंसे लोगों की जान पर खिलवाड़ कर रही है.

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ठीक से नहीं हुई थी इस जगह की जांच

NGO ने अपनी याचिका में कहा कि हर दिन उनको निकालने के लिए नए नए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं. जिस वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है, उन पर आपराधिक मुदकमा दर्ज किया जाए. पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराई जाने की मांग भी उठाई गई है. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि टनल के अंदर काम शुरू होने से पहले मजदूरों को जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाए, जैसे रेस्क्यू पाइप, जनरेटर, मशीन और अन्य सामान. टनल के निर्माण के वक्त  इस क्षेत्र की भूगर्भीय जांच ढंग से नही की गई. जिसकी वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी.

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