भवानी और चण्डी की कहानी... तेंदुए के बच्चे जिन्हें CM योगी ने अपने हाथों से पिलाया दूध

बुधवार को गोरखपुर चिड़ियाघर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तेंदुए के दो शावकों को दूध पिलाते दिखे. उन्होंने दो शावकों का नामकरण भी किया. मेरठ के गांव भगवानपुर बांगर के जंगल से रेस्क्यू कर लाई गई शावक का नाम 'चंडी' रखा गया, जबकि बिजनौर के जंगल से रेस्क्यू करके लाई गई दूसरी मादा शावक का नाम 'भवानी' रखा गया.

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भवानी और चंडी को दूध पिलाते सीएम योगी भवानी और चंडी को दूध पिलाते सीएम योगी

aajtak.in

  • गोरखपुर,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (गोरखपुर चिड़ियाघर) में तेंदुए के दो मादा शावकों को दूध पिलाकर उनका नामकरण (भवानी और चंडी) किया. सीएम योगी ने रामचरित मानस की पंक्तियों 'हित अनहित पसु पच्छिउ जाना, मानुष तनु गुन ग्यान निधाना' का स्मरण करते हुए कहा कि कौन हितैषी है और कौन हानि पहुंचाने वाला पशुओं में इसका स्पंदन होता है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वन में माता सीता व अपने अनुज लक्ष्मण के साथ ही गए थे, लेकिन वनवास काल में उनकी मदद वनवासियों, भालू, वानर, गिद्ध यहां तक कि पेड़, पौधों, व जंगल के नदी नालों ने की. मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य भी तभी संरक्षित रहेगा जब वह प्रकृति के प्रति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग रहेगा. उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण हेतु सभी लोगों के योगदान की अपील की.

इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तेंदुए के दो शावकों को दूध पिलाते दिखे. उन्होंने दो शावकों का नामकरण भी किया. मेरठ के गांव भगवानपुर बांगर के जंगल से रेस्क्यू कर लाई गई शावक का नाम 'चंडी' रखा गया, जबकि बिजनौर के जंगल से रेस्क्यू करके लाई गई दूसरी मादा शावक का नाम 'भवानी' रखा गया. दोनों मादा शावक गोरखपुर चिड़ियाघर में रहेंगी.

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कैसे मिली थी चंडी?

मेरठ जिले के किठौर थानाक्षेत्र के गांव भगवानपुर बांगर में 2 अप्रैल 2022 को रतनवीर, कर्मवीर और राजू के साथ अपने खेत में काम कर रहे थे, तभी थोड़ी दूरी पर तेंदुआ भी दिखा. किसान भागकर गन्ने के खेत में जा छिपे. तेंदुए के हटने के बाद किसान बाहर निकले. इस दौरान किसान भूरे के खेत में तेंदुए का शावक मिला. उसकी उम्र मात्र दो-तीन सप्ताह थी.

वन विभाग ने शावक का नाम 'सिंबी' रखा था. शावक को आठ अप्रैल को गोरखपुर प्राणि उद्यान भेज दिया गया था. गोरखपुर में ही अब उसे नया नाम 'चंडी' दिया गया है. अब शावक की उम्र 6 माह 18 दिन हो चुकी है. उसका वजन भी 11.65 किलोग्राम है. भोजन में उसे उबला व कच्चा मांस और चिकन सूप आदि दिया जा रहा है.

कैसे मिली थी भवानी?

बिजनौर के जंगल में 11 जून को 'भवानी' अपने एक भाई और बहन के साथ मिली थी. भवानी सात दिन की थी. उसकी आंख भी ठीक से नहीं खुली थी. वजन भी 670 ग्राम था. अधिकारियों ने तीनों शावकों को अपनी निगरानी में दो रात खेत में ही रखा. मादा तेंदुआ पहली ही रात नर शावक को ले गई और फिर वापस नहीं लौटी. इसके बाद भवानी और उसकी बहन को गोरखपुर भेजा गया. भवानी को भी उबला व कच्चा मांस और चिकन सूप आदि दिया जा रहा है.

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(रिपोर्ट- रवि गुप्ता)

 

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