विपक्षी जिन्हें कहते थे 'मुल्ला मुलायम', उन नेताजी के हिंदूवादी नेताओं संग ऐसे थे रिश्ते 

मुलायम सिंह यादव एक ऐसे राजनेता रहे जिनकी राजनीतिक दोस्तियां भी राजनीति से ऊपर रहीं. उनकी पार्टी में ही नहीं विपक्षी दलों में भी कई ऐसे दोस्त रहे जो भले ही विचारधारा और सियासत में उनसे अलग थे लेकिन ये वजह कभी उनकी दोस्ती के आड़े नहीं आई. इस तरह मुलायम ने कल्याण से लेकर साक्षी महाराज तक के साथ रिश्ते कायम रखा.

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मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST

मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की सियासत में ऐसे नेता थे, जिन्हें न तो विवादों से परहेज रहा और न विरोधियों से. उन्हें जो अच्छा लगा वही किया. छुपाकर नहीं बल्कि डंके की चोट पर किया. राम मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाकर 'मुल्ला मुलायम' के नाम से पुकारे गए, लेकिन हिंदूवादी नेताओं के साथ उनकी दोस्ती भी साथ साथ चलती रही. 

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मुलायम सिंह यादव ने आरएसएस नेताओं के साथ मंच साझा करने से कभी परहेज नहीं किया. न ही कल्याण सिंह और साक्षी महाराज जैसे कट्टर हिंदूवादी नेताओं को गले लगाने से ही वो कतराए. मुलायम सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो यारों के ऐसे यार थे, जिनकी यारी में न विचाराधारा आड़े आती थी, न राजनीति. 

अयोध्या की एक घटना ने ज्यादातर हिंदुओं की नजर में मुलायम सिंह यादव को खलनायक बना दिया. राममंदिर आंदोलन के दौरान गोली चलवाने और कारसेवकों की मौत से नाराज तमाम लोगों ने मुलायम के नाम के आगे मुल्ला जोड़ दिया था, जिसके बाद उनका नाम मुल्ला मुलायम पड़ा था. इस तरह उन्हें देशभर में हिंदुओं का विरोधी और मुसलमानों का हितैषी के रूप में देखा जाने लगा था. लेकिन रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान जिस बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद से उनका टकराव रहा उसके प्रमुख लोगों से भी उनकी गहरी दोस्ती अतीत के पन्नों में दर्ज है. 

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मुलायम-कल्याण की दोस्ती

मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह राजनीति में एक-दूसरे के धुर विरोधी हुआ करते थे, लेकिन राजनीति में दोनों के बीच जितनी वैचारिक कटुता थी, उनकी दोस्ती उतनी ही पक्की थी. दोनों ही नेताओं के राजनीतिक सफर की शुरुआत 60 के दशक में एक साथ हुई. मुलायम सिंह इटावा से थे तो कल्याण सिंह पड़ोसी जिले एटा से थे. 1967 में मुलायम सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने तो कल्याण सिंह जनसंघ से चुने गए. 1977 में जनता पार्टी की सरकार में मुलायम और कल्याण एक साथ मंत्री बने. ये वो दौर था जब दोनों के बीच दोस्ती परवान चढ़ी, जो हमेशा कायम रही. 

बीजेपी से कल्याण सिंह के जब रिश्ते बिगड़े तो मुलायम सिंह यादव उन्हें गले लगाने से पीछे नहीं हटे. 2009 में कल्याण ने अपनी नई पार्टी बनाकर सपा से गठबंधन किया और सपा के साथ एक मंच पर खड़े नजर आए. कल्याण-मुलायम की दोस्ती के चलते सपा के कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, लेकिन मुलायम ने कल्याण का साथ नहीं छोड़ा. उनके बेटे राजवीर सिंह को मुलायम सिंह ने अपनी पार्टी ज्वाइन भी कराई. मुलायम सिंह ने भी कभी इसे गठबंधन नहीं माना, बल्कि वह इसे हर बार दोस्ती ही बताते रहे.

साक्षी महाराज को भेजा राज्यसभा

राम मंदिर आंदोलन से कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर उभरे साक्षी महाराज के साथ भी मुलायम सिंह ने खुलकर दोस्ती निभाई. साक्षी महाराज ने अपना सियासी सफर बीजेपी से शुरू किया, लेकिन बाद में मुलायम के साथ हो गए. 1999 में उन्हें सपा के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके. ऐसे में साल 2000 में मुलायम सिंह ने साक्षी महाराज को राज्यसभा भेजा जबकि इसे लेकर सपा के मुस्लिम नेता खफा हो गए थे. मुलायम सिंह ने मुस्लिम नेताओं की परवाह नहीं की और साक्षी महाराज को राज्यसभा भेजा. 

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मुलायम के निधन पर साक्षी महाराज ने कहा कि मुलायम सिंह जिसका सहयोग करते थे तो दिल खोलकर करते थे. उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह उन्हें राज्यसभा में भेज रहे थे तो सपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता ने कहा कि यदि साक्षी महाराज को टिकट दिया जाएगा तो पार्टी छोड़ देंगे. इस पर नेताजी ने कहा था कि आप कल पार्टी छोड़ते हैं तो आज ही छोड़ दीजिए. वे साक्षी महाराज को राज्यसभा में भेजेंगे और उन्होंने करके दिखाया. 

पीएम मोदी के साथ मुलायम के रिश्ते

मुलायम सिंह यादव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती काफी पुरानी है. यह बात पीएम मोदी ने खुद ही स्वीकार किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह ने संसद में भाषण के दौरान नरेंद्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था. पीएम मोदी ने कहा, "हमारे राजनीतिक मतभेदों के बीच भी पिछली लोकसभा के अंतिम सत्र में सदन में मुलायम सिंह जैसे वरिष्ठ नेता के खरे-खरे शब्द आशीर्वाद की तरह थे. 

मुलायम सिंह और नरेंद्र मोदी

मुलायम को याद करते हुए पीएम ने कहा कि उनके साथ मेरा रिश्ता बेहद खास किस्म का था. मुलायम की सलाह मेरे लिए अमानत है. इतना ही नहीं मुलायम के भतीजे की शादी में पीएम मोदी खुद इटावा पहुंचकर आशीर्वाद दिया था. नरेंद्र मोदी ने कभी भी मुलायम की सार्वजनिक अलोचना नहीं की बल्कि कांग्रेस-सपा के गठबंधन किए जाने पर यह जरूर कहा कि जिन लोगों ने मुलायम सिंह यादव को मारने के लिए गोली चलवाया था, उनके साथ अखिलेश ने हाथ मिला लिया.  

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राजनाथ-लालजी टंडन से संबंध 

मुलायम यादव के रिश्ते बीजेपी नेता राजनाथ सिंह और लालजी टंडन के साथ भी रहे हैं. केंद्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. इस नाते उनका राजनीतिक विरोध मुलायम सिंह यादव ने हमेशा किया, लेकिन कभी ये विरोध दोस्ती पर असर नहीं डाल पाया. मुलायम सिंह जब गुरुग्राम के मेदांता में भर्ती थे तो विपक्षी नेताओं में सबसे पहले राजनाथ सिंह ही उनका हाल जानने पहुंचे थे. राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनीति में विरोधी होने के बावजूद मुलायम सिंह के साथ सबसे अच्छे संबंध थे. 

मुलायम सिंह और राजनाथ सिंह

लालजी टंडन के साथ भी मुलायम सिंह यादव के रिश्ते काफी मधुर रहे हैं. एक बार लालजी टंडन मुरादाबाद में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तभी तबीयत खराब हो गई और वो मंच पर ही गिर पड़े. उन्हें मुरादाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाया गया. ऐसे में यह खबर तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह को पता चली तो तुरंत उन्होंने फोन कर हालचाल जाना और उनके लिए हेलिकॉप्टर भेजने की पेशकश की. इसके बाद लालजी टंडन के लखनऊ आने के बाद भी मुलायम सिंह उनका हालचाल जानने के लिए घर गए थे. ऐसे ही केशरीनाथ त्रिपाठी से लेकर बृजभूषण सिंह के साथ भी मुलायम के रिश्ते काफी गहरे रहे हैं. 

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अशोक सिंघल से आडवाणी तक के रिश्ते

राममंदिर आंदोलन के दौरान अशोक सिंघल से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक का मुलायम सिंह सार्वजनिक रूप से विरोध भी करते रहे, लेकिन सपा कार्यकर्ताओं को इनसे समर्पण और सेवा का भाव सीखने की नसीहत भी दी. जब उनसे हिंदू पक्ष ने किसी मुद्दे पर उनसे बातचीत करने की कोशिश की, उन्होंने उनका भी ख्याल रखा. अखिलेश सरकार के दौरान प्रशासन ने अयोध्या में चौरासी कोसी परिक्रमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस पर विश्व हिंदू परिषद के सबसे बड़े नेता रहे अशोक सिंघल ने मुलायम सिंह से मिलने का टाइम मांगा तो फौरन बुला लिया. सिंघल को मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव के पांच कालीदास मार्ग पर बुलाकर डेढ़ घंटे बैठक की थी. प्ररिक्रमा को हिंदुओं की भावनाओं के साथ अन्याय बताया. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से फौरन आदेश जारी कर इस प्रतिबंध को समाप्त करने के लिए कहा. 

सुदर्शन से भागवत तक के साथ मंच शेयर किया

मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सार्वजनिक रूप से घोर आलोचना करते, लेकिन उसी संगठन के प्रमुख किसी सरसंघचालक का अपने आवास पर स्वागत करने से भी गुरेज नहीं किया. संघ के सरसंघचालक रहे के सुदर्शन से लखनऊ में मुलायम सिंह से मुलाकात हुई थी और करीब सवा घंटे बंद कमरे में दोनों नेताओं ने बातचीत की थी. संघ प्रमुख के साथ मीटिंग को लेकर काफी चर्चा हुई थी. इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव की दिल्ली में संघ सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी, जिसकी फोटो भी सामने आई थी. इस तरह मुलायम सिंह ने भी आरएसएस नेताओं के साथ मुलाकात को छिपाया नहीं. 

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बीजेपी नेताओं को दे दिया राज्य अतिथि का दर्जा

मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी नेताओं को राज्य के अतिथि का दर्जा दिया था. 2006 में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यसमिति की लखनऊ में बैठक थी. उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सरकार ने 60 से ज्यादा बीजेपी नेताओं को राज्य अतिथि का दर्जा देकर सियासी गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी. कारण, राज्य अतिथि का दर्जा पाने वालों में कई नियमानुसार इस श्रेणी में नहीं आते थे. इसी तरह जब उन्होंने अपनी सरकार में बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं तथा पूर्व मंत्रियों के बंगलों को बरकरार रखा तो भी भाजपा  को सफाई देते नहीं बना था. इतना ही नहीं उनकी सरकार के दौरान बीजेपी नेताओं पर पुलिस लाठीचार्ज हुआ तो मुलायम ने भाजपा नेताओं से घर पर मुलाकात की और ऊपर से उनकी आवभगत की. साथ ही प्रत्येक नेता को रसगुल्ला खिलाया था. इस तरह वह अपनी दोस्ती के दांव से विरोधियों को असमंजस में डाल देते और उन्हें सफाई देते नहीं बनता था. 

मुलायम सिंह के साथ बाबा रामदेव

रामदेव के साथ मुलायम के रिश्ते

योग गुरु बाबा रामदेव के भी मुलायम सिंह के साथ रिश्ते काफी गहरे रहे हैं. रामदेव यूपी में अखिलेश सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए कहा करते थे कि सूबे में कई ऐसे विकास कार्य किये जा रहे हैं, जो देश के किसी भी दूसरे राज्य में नहीं हो रहे हैं. बाबा रामदेव को उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार ने जमीन आवंटित की थी. इतना ही नहीं रामदेव जब भी घिरे तो मुलायम सिंह यादव सबसे पहले बचाव में खड़े नजर आए. मुलायम सिंह के अंतिम संस्कार में शिरकत करने के लिए रामदेव भी सैफई पहुंचे. 

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