अमरोहा लोकसभा सीट: कौन-कौन है उम्मीदवार, किसके बीच होगी कड़ी टक्कर

अमरोहा लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास की बात करें तो 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर शुरुआती तीन बार कांग्रेस ने और इसके बाद दो बार सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. 1977 और 1980 में जनता पार्टी, 1984 में कांग्रेस और 1989 में एक बार फिर जनता दल को जीत मिली. 1991 के बाद 1998 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान सांसद चुने गए. चेतन चौहान के कारण भी यह सीट चर्चा में रही थी.

Advertisement
अमरोहा में बीजेपी पर सीट बचाने का होगा दबाव (फोटो-ट्विटर) अमरोहा में बीजेपी पर सीट बचाने का होगा दबाव (फोटो-ट्विटर)

सुरेंद्र कुमार वर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST

कमाल अमरोही और जौन एलिया जैसे दिग्गज साहित्याकारों की धरती कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट पर सभी की नजरें हैं. मुस्लिम बहुल इस सीट पर पिछले चुनाव में सभी को चौंकाते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ी और शानदार जीत दर्ज की थी. इस सीट पर मुस्लिमों समाज के अलावा जाटों का भी वर्चस्व रहा है.

Advertisement

अमरोहा लोकसभा सीट पर 18 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होना है और यहां पर 15 उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर के साथ-साथ हाल ही में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए दानिश अली, कांग्रेस के सचिन चौधरी और शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अलावा 7 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि 4 अन्य प्रत्याशी छोटे-छोटे दलों के हैं.

क्रिकेटर चेतन चौहान के कारण चर्चित

मेरठ, मुरादाबाद और संभल से सटा अमरोहा बीते दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की छापेमारी के कारण खासा सुर्खियों में भी रहा था.

अमरोहा लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास की बात करें तो 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर शुरुआती तीन बार कांग्रेस ने और इसके बाद दो बार सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. 1977 और 1980 में जनता पार्टी, 1984 में कांग्रेस और 1989 में एक बार फिर जनता दल को जीत मिली. 1991 के बाद 1998 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान सांसद चुने गए. चेतन चौहान के कारण भी यह सीट चर्चा में रही थी.

Advertisement

इस लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटों में वर्चस्व रखने वाली समाजवादी पार्टी महज एक बार 1996 में चुनाव जीत सकी है. 1999 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर राशिद अल्वी ने चुनाव जीता था. 2004 में यह सीट निर्दलीय और 2009 में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के खाते में गई.

मुस्लिम वोटर 20 फीसदी

अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में करीब 16 लाख वोटर हैं, इनमें से 8,29,446 वोटर पुरुष और 7,14,796 महिला वोटर हैं. 2014 के चुनाव में करीब 71 फीसदी मतदान हुआ था. इस सीट पर दलित, सैनी और जाट वोटर अधिक मात्रा में हैं, मुस्लिम वोटरों की संख्या 20 फीसदी से ऊपर है.

अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें (धनौरा, नौगावां सादत, अमरोहा, हसनपुर और गढ़मुक्तेश्वर) भी शामिल हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ अमरोहा सीट ही समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी, अन्य सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा था.

2014 में बीजेपी जीती

2014 में अमरोहा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कंवर सिंह तंवर जीत कर आए, उन्होंने समाजवादी पार्टी के हुमैरा अख्तर को करीब 1 लाख मतों के अंतर से हराया था. तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी रही, जिसे पंद्रह फीसदी वोट मिला.

बीजेपी के कंवर सिंह तंवर को 5,28,880 (48.3%), सपा के हुमैरा अख्तर को 3,70,666 (33.8%) और बसपा के फरहत हसन को 1,62,983 (14.9%) वोट मिले.

Advertisement

कंवर सिंह तंवर देश के सबसे अमीर सांसदों में गिने जाते हैं. उन्हें महंगी गाड़ियां रखने का काफी शौक है. इनके काफिले में लैंड क्रूज, बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियां शामिल हैं. 2014 में वह पहली बार सांसद चुने गए. 2011 में कंवर सिंह तंवर के बेटे की शादी हुई थी, जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके बेटे की शादी में करोड़ों का खर्च हुआ था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement