ये हैं हिमवीर, ITBP तैयार कर रहा है खास 'मार्शल आर्ट ग्रुप'

भारत और चीन सीमा की सुरक्षा का जिम्मा ITBP पर है. औली के ट्रेनिंग इस्टीट्यूट में दुश्मनों के खतरनाक मिशन को कामयाब न होने देने के लिए तैयार किये जाते हैं खास कमांडो.

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ये हैं हिमवीर ये हैं हिमवीर

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:00 AM IST

आम लोग इस साल की बर्फबारी से कराह रहे हैं. आम जन जीवन अस्त व्यस्त है. पर एक ऐसी जगह भी हैं जहां पर देश की सुरक्षा के लिए ये कमांडो इस बर्फीले रेगिस्तान में भी अपना पसीना बहा रहे हैं. 'आजतक' आपको औली के उस ट्रेनिंग इस्टीट्यूट में लेकर आया है, जहां पर दुश्मनों के खतरनाक मिशन को कामयाब न होने देने के लिए तैयार किये जाते हैं खास कमांडो. ये खास कमांडों ऐसे बर्फिस्तान में तैयार होते हैं, जहां पर पानी मिलना मुहाल रहता है. जहां सांस लेने के लिए ऑक्सीजन न के बराबर होती है, जहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है.

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भारत-चीन सीमा की निगहबानी करना कितना कठिन है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक कई ऐसी जगहें हैं, जहां पर सालभर बर्फ जमी रहती है. इस बर्फ़ीले बंजर में जिन इंसानी कदमों की आहट गूंजती है, वो होती है ITBP के इन हिमवीरों की. ITBP के ये हिमवीर जब तैयार होकर इस हिमालय की सफ़ेद चादर से निकलते हैं, तो इनका मुकाबला करने वाले दुश्मन इनके सामने टिक नहीं पाते है. भारत-चीन सरहद पर चीन जब-जब घुसपैठ करता है तो वह घुसपैठ के दौरान फेस ऑफ करने की कोशिश करता है, जिसका जवाब आईटीबीपी के खास कमांडो देते हैं. अब इन खास कमांडो को जहां चीन की भाषा तो सिखाई ही जा रही है वहीं दूसरी तरफ इनको मार्शल आर्ट में भी दक्ष किया जा रहा है.

मार्शल आर्ट में दक्ष होने के साथ-साथ इन जवानों को अपने शरीर को इस इलाके में मजबूत करने के लिए स्नो बाथ यानी बर्फ में स्नान कराया जाता है. यह वह तरीका है, जिसके जरिए आइटीबीपी के जवान अपने आपको शारीरिक तौर पर बेजोड़ और मजबूत बनाते हैं. इससे जहां इनके अंदर धैर्य पैदा होता है तो वहीं दूसरी तरफ किसी भी वातावरण में रहने की हिम्मत देता है. इन जवानों के पास एक खास तरह की गोली होती है, जिसे पिघले पानी में डाल कर उसे पीने लायक बनाया जाता है. मुश्किल ट्रेनिंग और जज्बे के बावजूद सैनिकों को हाइपोक्सिया, हाई एल्टीट्यूड एडीमा जैसी बीमारियां हो जाती हैं, जिससे फेफड़ों में पानी भर जाता है, शरीर के अंग सुन्न हो जाते हैं, लेकिन वतन पर मर मिटने वाले जवान कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटते.

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इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों के पास इस समय स्नो स्कूटर भी मौजूद है. अगर दुश्मन सीमा पर किसी तरीके की हरकत करता है तो उस दुश्मन के पास तेजी से कैसे पहुंचना है, उसके लिए आईटीबीपी ने अमेरिका से 15 लाख कीमत की पोलारिस नाम का स्नो स्कूटर खरीदा है. यह इस बर्फीले रेगिस्तान में तेजी से दौड़ सकता है और एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पहुंचने में कुछ ही समय लगता है. इसका इस्तेमाल तेजी से अब आईटीबीपी के कमांडो अलग-अलग जगहों पर कर रहे हैं.

बर्फिस्तान के इन हिमवीरों को तैयार करने के लिए किन किन चरणों से गुजरना होता है-

- आईटीबीपी पर्वतारोहण में दक्ष बल है

- बेसिक ट्रेनिंग से ही दी जाती है पर्वतारोहण की ट्रेनिंग

- आईटीबीपी जवानों को एडवेंचर स्पोर्ट्स की विशेष ट्रेनिंग

- जवानों को हाई एल्टीट्यूड में सर्वाइवल की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है

- आईटीबीपी में माउंटेन वारफेयर की विशेष तैयारी ट्रेनिंग का हिस्सा

- माउंटेनियरिंग, स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइम्बिंग में दक्षता

- जंगल वारफेयर की ट्रेनिंग दी जाती है

- हाई एल्टीट्यूड में रेंजर्स की ट्रेनिंग विशेष है

- रॉक क्राफ्ट और आइस क्राफ्ट और ग्लेशियर ट्रेनिंग आईटीबीपी में माउंटेन ट्रेनिंग का अहम हिस्सा हैं

- आईटीबीपी में हाई एल्टीट्यूड में रेस्क्यू ऑपरेशन की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है

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बर्फ के कमांडो ऐसे बनते हैं-

- पहले बेसिक स्किल्स, शारीरिक और मानसिक रूप से तैयारी

- माउंटेनियरिंग, स्कीइंग

- पहाड़ों में सहन शक्ति विकसित करना, हाई एल्टीट्यूड में मनोबल बनाये रखना

- टीम में काम करना

- स्नो कॉम्बैट स्किल

- गुरिल्ला लड़ाई की सिखलाई, सर्वाइवल

- अलग अलग अभियानों आदि की ट्रेनिंग

- कॉन्फिडेंस बिल्डिंग

- फायरिंग

- लगातार अभ्यास- जो काम दिया जाता है उसको कई बार दोहराते हैं.

ITBP ने अपने इस औली इंस्टीटूट से 19250 लोगों को ट्रेंड किया है.

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