सुप्रीम कोर्ट खुला, लेकिन 3 महीने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही होगी सुनवाई

हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई का सिलसिला कम से कम सितंबर तक तो जारी रहेगा.

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सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

  • ग्रीष्मावकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट सोमवार से खुल गया
  • SC में 23 मार्च से शुरू है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई

पचास दिनों की बजाय हफ्ते भर के 'सांकेतिक ग्रीष्मावकाश' के बाद सुप्रीम कोर्ट सोमवार से खुल तो गया, लेकिन ये भी साफ हो गया कि सितंबर तक तो कोर्टरूम में पहले की तरह सामान्य सुनवाई नहीं हो सकेगी. मतलब अगले तीन महीने तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई होगी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई लॉकडाउन से दो दिन पहले 23 मार्च से शुरू है.

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हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई का सिलसिला कम से कम सितंबर तक तो जारी रहेगा.

कोर्ट खुलने से पहले सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने वकीलों को ऑनलाइन सूचना वाला सर्कुलर भेज दिया कि जिन वकीलों को कोर्ट में वर्चुअल रूप से पेश होना हो वो सुनिश्चित कर लें कि उनके मोबाइल, लैपटॉप, पीसी या फिर आईपैड में 4जी तकनीक से युक्त डेडीकेटेड लाइन वाला इंटरनेट कनेक्शन है. जिसमें डाटा ट्रांसफर की रफ्तार कम से कम 2 एमबी प्रति सेकेंड हो ताकि सही तस्वीर और आवाज़ कोर्ट तक पहुंच सके.

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गर्मी की छुट्टियों से पहले हुई सुनवाई में ऑडियो-वीडियो की समस्या सबसे ज़्यादा आई. इसके अलावा सीनियर एडवोकेट्स के ज़्यादा टेक्नो सेवी यानी तकनीक में माहिर ना होने की वजह से भी समय ज़्यादा लगता था. क्योंकि कई बार अदालत का लंबा समय वकील को यही समझाने में खराब हो जाता था कि माइक म्यूट है. उसे ऑन करें या फिर बेवजह की चिल्लपों हो रही है. लिहाज़ा माइक म्यूट करें.

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कई बार तो गरमा गरम दलीलें देते देते वकील अचानक अंतर्धान हो जाते थे. कभी मूक फिल्म की तरह दृश्य होते थे तो कभी वकील की जगह घुप अंधेरे से आकाशवाणी ही सुनाई पड़ती थी.

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अब नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक दलील पूरी होने पर वकील अपना हाथ उठाकर संकेत देंगे. अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई मुवक्किल भी देख सकेंगे. इसके लिए अपने वकील के ज़रिए अदालत प्रशासन को पहले ही सूचित करना होगा. फिर वकील को दो लिंक मिलेंगे. एक के ज़रिए बहस होगी. दूसरे से मुवक्किल कार्यवाही देख सकेंगे. यानी हम और पूरा सिस्टम रफ्ता रफ्ता परिस्थितियों के मुताबिक ढल रहे हैं.

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