स्कूल फीस में छूट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लोग, कहा- बिना सेवा दिए शुल्क की मांग 'अवैध'

याचिका में कहा गया है कि अब तक किसी भी स्कूल के एडमिशन फॉर्म में ये क्लॉज नहीं है कि महामारी/प्रतिकूल स्थिति/राष्ट्रीय लॉकडाउन आदि के मामले में स्कूल प्रशासन ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेगा. साथ ही उसके लिए फीस और अन्य खर्च भी अदा करने होंगे.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:59 PM IST

  • याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन कक्षा तो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से अलग
  • याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि सरकार को फीस में छूट का निर्देश दे

कोरोना लॉकडाउन के दौरान स्कूल फीस में छूट दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बिना कोई सेवा दिए स्कूलों का फीस और अन्य खर्चों की मांग करना 'अवैध' है. स्कूल के एडमिशन फॉर्म में ऐसा कोई फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है. स्कूल अपने यहां के एडमिशन फॉर्म के नियमों और शर्तों को मानने के लिए बाध्य है.

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याचिका में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उक्त एडमिशन फॉर्म में ऐसा कोई फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है. इसलिए बिना सेवा के फीस और अन्य खर्च की मांग करना गैरकानूनी है. इसके अलावा याचिका में यही भी कहा गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं का एडमिशन फॉर्म में कोई उल्लेख है ही नहीं.

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याचिका में कहा गया है कि अब तक किसी भी स्कूल के एडमिशन फॉर्म में ये क्लॉज नहीं है कि महामारी/प्रतिकूल स्थिति/राष्ट्रीय लॉकडाउन आदि के मामले में स्कूल प्रशासन ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेगा. साथ ही उसके लिए फीस और अन्य खर्च भी अदा करने होंगे.

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याचिकाकर्ताओं की दलील है कि ऑनलाइन कक्षा तो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से पूरी तरह से अलग है, इसके कई दुष्प्रभाव और अवगुण हैं. इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि उन छात्रों के लिए जिन्होंने पूर्व सहमति दी है और ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हुए हैं, माता-पिता से उक्त ऑनलाइन कक्षाओं के खर्च के लिए 'आनुपातिक' शुल्क लिया जा सकता है.

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याचिका में अदालत से आग्रह किया है कि वह मौजूदा परिस्थितियों में फोर्स मेजर क्लॉज की एक व्याख्या दे और सरकार को निर्देश दे कि वह स्कूल की फीस में अधिकतम छूट दे.

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