विदेश मंत्री से बोले आनंद शर्मा- ट्वीट और बयानबाजी से नहीं बदल जाती जमीनी हकीकत

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को निशाने पर लिया और कहा कि बयानबाजी और ट्वीट करने के जमीनी हकीकत नहीं बदल जाती है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा (फोटो-IANS) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा (फोटो-IANS)

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 6:44 PM IST

  • सरकार की विदेश नीति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
  • कांग्रेस ने नेपाल से तनाव को बताया चिंताजनक

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता आनंद शर्मा ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को निशाने पर लिया और कहा कि बयानबाजी और ट्वीट करने से जमीनी हकीकत नहीं बदल जाती है. विदेश नीति पर सवालों के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को सिलेसिलेवार ट्वीट के जरिए राहुल गांधी को जवाब दिया था.

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आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, 'विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर दिशाहीन विदेश नीति का बचाव कर रहे हैं. बयानबाजी और ट्वीट जमीनी हकीकत नहीं बदलते. पड़ोसी पहले भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता रहे हैं, लेकिन मौजूदा दृष्टिकोण दुखी करने वाला है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक रूप से विश्वास, मित्रता और पारस्परिक सम्मान के आधार पर एक साझा रिश्ता रहा है. नेपाल के साथ मौजूदा तनाव की स्थिति चिंताजनक है. विदेश मंत्री इससे इनकार नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इन विफलताओं पर जवाब देना चाहिए.

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राहुल गांधी को दिए विदेशी मंत्री के एक जवाब पर आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश मंत्री का मुंबई आतंकी हमले को संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल करना बातचीत के दायरे से बाहर है. भारत के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिक के रूप में उन्हें भारत की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए.

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आनंद शर्मा ने राहुल गांधी को विदेश मंत्री की तरफ से दिए गए जवाब की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने और पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत की प्रतिक्रिया मजबूत थी. लेकिन बालाकोट, उरी और भारतीय सशस्त्र बलों की हर बहादुर कार्रवाई का उपयोग क्यों करें? यह प्रोपेगेंडा होगा. हर भारतीय को उन पर गर्व है.

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आनंद शर्मा ने विदेश मंत्री से कहा कि क्या मुझे यह याद दिलाना होगा कि भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना मई 2014 से पहले भी मौजूद थे और उनकी वीरता और शौर्य का विश्व स्तर पर सम्मान था. सेना राष्ट्र की होती है और तिरंगे के नीचे लड़ती है. राष्ट्रहित में सलाह दीजिए. हमारे रक्षा बलों का राजनीतिकरण या एकाधिकार न करें.

आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश नीति में ग्रेविटी और गहराई होनी चाहिए. रणनीतिक साझेदारों के साथ रिश्ते गंभीरता की मांग करते हैं. इसे कमतर न समझें. आप अभी भले ही भ्रमित कर लें लेकिन इतिहास आपका मूल्यांकन करेगा.

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