दुनिया के 123 देशों के लिए बनी सूचना के अधिकार (RTI) की रैंकिंग में भारत एक पायदान पिछड़कर छठे स्थान पर पहुंच गया है. पिछले पांच साल में भारत इस रैकिंग में चार पायदान नीचे खिसक चुका है. भारत इस मामले में अब श्रीलंका, मेक्सिको और अफगानिस्तान से भी पीछे हो गया है. इस सूची में अफगानिस्तान इस साल पहले पायदान पर आ गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पिछले साल यानी 2017 में भारत इस रैंकिंग में पांचवें स्थान पर था. लेकिन ऐसा लगता है कि भारत सूचना के अधिकार के मामले में अब पिछड़ता जा रहा है. साल 2011 में भारत इस पायदान में दूसरे स्थान पर था. उसी साल वैश्विक स्तर पर यह रैंकिंग शुरू हुई थी.
यह रेटिंग एक्सेस इन्फो यूरोप और सेंटर फॉर लॉ ऐंड डेमोक्रेसी के द्वारा की जाती है. इससे इस बात का अंदाजा होता है कि RTI लागू करने वाले देशों में इसकी स्थिति क्या है.
शुरुआत से ही भारत की इसमें अच्छी स्थिति रही है. भारत 2011, 2012 और 2013 में लगातार दूसरे स्थान पर रहा है. हालांकि इसके बाद भारत की रैकिंग में लगातार गिरावट आती गई.
क्यों फिसला भारत
इसके लिए सर्वे करने वाली ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के मुताबिक भारत में केंद्रीय सूचना आयुक्त कार्यालय सहित कई राज्यों में सूचना आयुक्तों के कार्यालयों में खाली पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही. इनमें सूचना आयुक्तों के 156 में से 48 पोस्ट खाली हैं. इसके अलावा हाल में आरटीआई एक्ट में बदलाव की कोशिश से भी लोगों में नाराजगी है.
दिनेश अग्रहरि