किसी की सत्ता गई-किसी का पत्ता कटा, राज्यसभा में नहीं दिखेंगे अब ये बड़े चेहरे

विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेताओं के राज्यसभा पहुंचने के मंसूबों पर पानी फिरा है. वहीं बीजेपी के भी कई ऐसे नेता हैं, जिनका पत्ता पार्टी ने काट दिया है.

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अब राज्यसभा में नज़र नहीं आएंगे ये 10 चेहरे अब राज्यसभा में नज़र नहीं आएंगे ये 10 चेहरे

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST

देश के 16 राज्यों की 58 राज्यसभा सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस बार के कई दिग्गज चेहरे उच्च सदन पहुंचने से महरूम रह गए हैं. देश के कई राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने के चलते विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेताओं के राज्यसभा पहुंचने के मंसूबों पर पानी फिरा है. वहीं बीजेपी के भी कई ऐसे नेता हैं, जिनका पत्ता पार्टी ने काट दिया है. इसके अलावा कई नामित सदस्यों के भी कार्यकाल पूरे हो रहे हैं, जिनकी राज्यसभा में वापसी नहीं हो रही है.

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नरेश अग्रवाल

राज्यसभा में न पहुंचने वालों में पहला नाम नरेश अग्रवाल का है. सपा ने राज्यसभा के लिए अग्रवाल का पत्ता काटकर जया बच्चन को उच्च सदन में भेजने का फैसला किया तो उन्होंने पार्टी से बगावत करके बीजेपी का दामन थाम लिया. अग्रवाल को पहली बार बसपा ने 2010 में राज्यसभा भेजा था. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर ली. 2012 में सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा. वो तीसरी बार राज्यसभा पहुंचने से महरूम रह गए.

प्रमोद तिवारी

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले प्रमोद तिवारी की भी राज्यसभा में वापसी नहीं हो सकी है. तिवारी उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो कभी चुनाव नहीं हारे हैं. 1980 में वो पहली बार प्रतापगढ़ के रामपुर खास से विधायक चुने गए और लगातर 10 बार जीत का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज है. 2013 में वो राज्यसभा के लिए चुने गए, जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में राज्यसभा में उनकी फिलहाल वापसी नहीं हो पाई है. 1980 के बाद पहली बार होगा कि वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे.

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राजीव शुक्ला

पत्रकारिता के जरिए राजनीति में कदम रखने वाले राजीव शुक्ला भी इस बार राज्यसभा में दिखाई नहीं देंगे. कांग्रेस ने उनका उच्च सदन का टिकट काट दिया है. राजीव शुक्ला लगातार तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे. पहली बार 2000 में यूपी से राज्यसभा के सदस्य बने. इसके बाद 2006 और 2012 में महाराष्ट्र के कोटे से राज्यसभा पहुंचे. चौथी बार उच्च सदन में उनकी वापसी नहीं हो सकी है.

के. रहमान खान

कर्नाटक में कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले के. रहमान खान की राज्यसभा में वापसी नहीं हो सकी है.  रहमान खान पहली बार 1994 में राज्यसभा के सदस्य बने और इसके बाद से लगातार वो चार बार उच्च सदन के सदस्य रहे. कांग्रेस ने पांचवीं बार राज्यसभा से उनका पत्ता काट दिया है. पार्टी ने उनकी जगह दूसरे मुस्लिम चेहरों को उच्च सदन भेजने का फैसला किया है.

डीपी त्रिपाठी

एनसीपी के वरिष्ठ नेता डीपी त्रिपाठी की भी राज्यसभा में वापसी नहीं हो सकी है. त्रिपाठी शरद पवार के सबसे करीबी और वफादार नेताओं में गिने जाते हैं. वो एनसीपी से पहले कांग्रेस में रहे हैं. पूर्व पीएम राजीव गांधी के करीबी थे, लेकिन कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथों में आने के बाद 1999 में पार्टी छोड़कर एनसीपी के साथ हो गए.

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विनय कटियार

बीजेपी के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार की तीसरी बार राज्यसभा में वापसी नहीं हो सकी है. कटियार राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. अयोध्या से बीजेपी के लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं. पार्टी ने उन्हें 2006 में पहली बार राज्यसभा भेजा था और 2012 में दूसरी बार, लेकिन तीसरी बार उच्च सदन पहुंचने के मंसूबों पर पार्टी ने पानी फेर दिया है.

सत्यव्रत चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में सत्यव्रत चतुर्वेदी का नाम आता है. इसके बावजूद तीसरी बार राज्यसभा में उनकी वापसी नहीं हो सकी है. एमपी में कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. राज्यसभा में कांग्रेस ने पहली बार उन्हें 2006 में उत्तराखंड से भेजा था और 2012 में मध्य प्रदेश से दूसरी बार वापसी हुई. लेकिन तीसरी बार पार्टी ने उनका पत्ता काट दिया है.

रेणुका चौधरी

कांग्रेस महिला ब्रिगेड की तेज-तर्रार नेता के तौर पर गिनी जाने वालीं रेणुका चौधरी की राज्यसभा में वापसी नहीं हो रही है. वो आंध्र प्रदेश से कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में गिनी जाती हैं.  वो तीन बार लोकसभा सदस्य और तीन बार राज्यसभा सदस्य रही हैं. इतना ही नहीं मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री का भी जिम्मा उठा चुकी हैं. इसके बावजूद राज्यसभा से पत्ता कट गया है. कांग्रेस ने उन्हें पहली बार 1986 में राज्यसभा भेजा था. इसके बाद 1992 और 2012 में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा चुनी गई थीं.

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तपन कुमार सेन

राज्यसभा में वापसी न कर पाने वाले नेताओं में सीपीआई के तपन सेन भी शामिल हैं. सेन पहली बार 2006 में  राज्यसभा सदस्य बने और 2012 में दोबारा से उच्च सदन पहुंचने में कामयाब रहे. लेकिन तीसरी बार वो राज्यसभा से महरूम रह गए हैं. वो दोनों बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.

मुनकाद अली

बीएसपी की हालत ऐसी है कि अपने दम पर एक भी राज्यसभा सदस्य भेजने की हालत में नहीं है. ऐसे में बीएसपी के मुस्लिम चेहरे के तौर पर पहचाने जाने वाले मुनकाद अली की भी राज्यसभा में तीसरी बार वापसी नहीं हो सकी.  पार्टी ने 2006 में पहली बार राज्यसभा को तोहफा दिया था. इसके बाद 2012 में दूसरी बार राज्यसभा में पहुंचे थे.

रेखा और सचिन सहित ये चेहरे

इन दस चेहरों के अलावा कई और भी प्रमुख नेता हैं, जिनकी राज्यसभा में वापसी नहीं हो पा रही है. इनमें सपा के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, अभिनेता से नेता बने कांग्रेस नेता के चिरंजीवी, फिल्म अभिनेत्री रेखा और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर और समाजसेवी अनु आगा का कार्यकाल पूरा हो रहा है.

बता दें कि 16 राज्यों की जिन 58 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव हो रहे हैं. इनमें उत्तर प्रदेश की 10 सीटों के अलावा, बिहार की 6 राज्यसभा सीटें, महाराष्ट्र की 6, मध्य प्रदेश की 5, पश्चिम बंगाल की 5 और कर्नाटक की 4 सीटों समेत उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना और ओडिशा की सीटें शामिल हैं.

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