महाराष्ट्र के पुणे के राजीव गांधी प्राणी उद्यान (आम बोलचाल में चिड़ियाघर) में इन दिनों दो हथनियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. गर्मियों के मौसम में ये दोनों अपने लिए बने खास स्विमिंग पूल में जिस तरह धमाचौकड़ी मचाती हैं, वो नजारा देखने वाला होता है.
मीरा और जानकी नाम की इन दोनों हथनियों की उम्र 25 साल है. इनकी देखभाल का जिम्मा 55 साल के महावत ताजुद्दीन पर है. वे पिछले 18 साल से ‘मीरा’ और ‘जानकी’ का रखरखाव कर रहे हैं. ताजुद्दीन का कहना है कि इतने साल से जुड़े होने की वजह से उन्हें बेटियों की तरह ही मीरा और जानकी से लगाव हो गया है.
सुबह 9 बजे के करीब ताजुद्दीन बाड़ा परिसर में पहुंचते हैं तो करीब 150-200 मीटर की दूरी पर ही मीरा और जानकी को उनके आने का पता चल जाता है. दोनों खुशी में चिंघाड़ने लगती हैं. ताजुद्दीन इनके पास पहुंचने के बाद दोनों की सूंड पर हाथ फेर कर इन्हें दुलार देते हैं. फिर दोनों को तरबूज, पपीता या संतरे खिलाकर तरोताजा किया जाता है.
इसके बाद आती है सैर-सपाटे की बारी. ताजुद्दीन मीरा और जानकी को कटराज इलाके में बड़े क्षेत्र में फैले प्राणी उद्यान की सैर कराने ले जाते हैं. एक-डेढ़ घंटे बाद इनका सैर से मन भर जाता है तो इन्हें वापस बड़े से स्विमिंग पूल के पास लाया जाता है. स्विमिंग पूल में उतरने से पहले दोनों को पानी के पाइप से नहलाया जाता है. इस वक्त दोनों हथनियों को दीवार से शरीर भी रगड़ते देखा जा सकता है, जिससे कि अगर कोई मिट्टी वगैरहा लगी हो तो पूरी उतर जाए. 15 से 20 मिनट तक यही सिलसिला चलता है.
इसके बाद आती है वो घड़ी, जिसका दोनों हथनियों को बेसब्री से इंतजार रहता है. यानि स्विमिंग पूल में उतर कर बच्चों की तरह मस्ती करने का. कभी ये एक दूसरे को टक्कर मारती हैं. तो कभी सूंड से एक दूसरे पर पानी का फव्वारा मारती हैं. हर दिन 11 से 12.30 बजे तक दोनों की स्विमिंग पूल में उछल कूद चलती है.
ताजुद्दीन बताते हैं पिछले साल की शुरुआत में ये स्विमिंग पूल मुंबई से आए इंजीनियर की देखरेख में बनवाया गया. ये 50 फीट लंबा, 30 फीट चौड़ा और चार फीट गहरा है. स्विमिंग पुल का फर्श कहीं हाथियों के वजन से क्रैक न हो जाए, इसलिए कंक्रीट और लोहे का सरिया डालकर विशेष स्लैब बनवाया गया. अभी तक आम लोगों को इस स्विमिंग पूल के बारे में खास पता नहीं था क्योंकि पिछले साल इसके बनने के तत्काल बाद ही मार्च में लॉकडाउन शुरू हो गया था.
राजीव गांधी प्राणी उद्यान की वेटरनरी डॉक्टर सुचित्रा सूर्यवंशी पाटिल ने आजतक से बातचीत में कहा कि इस स्विमिंग पुल के निर्माण के पीछे सोच यही थी कि हाथियों को उनके कुदरती माहौल जैसा एहसास हो. नेचुरल हैबिटेट में जैसे हाथी नदी या तालाब में रोजाना पानी में जाकर बैठ जाते हैं, मस्ती करते हैं, कुछ ऐसा ही माहौल इस प्राणी उद्यान में बनाया गया है. डॉक्टर सुचित्रा के मुताबिक हर दिन इन दोनों हथनियों के लिए फलों समेत तकरीबन 100 किलो खाद्य सामग्री का इंतजाम किया जाता है. गर्मियों में तापमान बढ़ने पर इन दोनों हथनियों को स्विमिंग पूल के पानी में रहना और नहाना बहुत अच्छा लगता है.
महावत ताजुद्दीन बताते हैं कि मीरा और जानकी दोनों बहुत अनुशासित हैं. जैसे ही उन्हें निर्देश दिया जाता है कि अब स्विमिंग पूल से निकल कर अपने बाड़े में जाने का वक्त है तो दोनों तुरंत उसका पालन करती हैं. फिर दोनों को इंतजार रहता है अगले दिन सुबह ताजुद्दीन के आने का, जिससे उन्हें फिर सैर-सपाटे और स्विमिंग पूल में जाने का मौका मिल सके.
ताजुद्दीन ने बताया कि कोरोनावायरस के दौर में सीमित संख्या में ही लोगों को प्राणी उदयान में आने की अनुमति है. पुणे में कोरोना केसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्राणी उद्यान में नहीं के बराबर ही लोग आ रहे हैं.
पंकज खेळकर