सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले प्रशांत भूषण के एक ट्वीट का स्वत: संज्ञान लिया था और उसे अदालत की अवमानना माना था, हालांकि अदालत ने इस बाबत ट्विटर को कोई आपचारिक आदेश देकर इसे हटाने या रोकने के लिए नहीं कहा था.
विवादित ट्वीट पर रोक
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर के वकील से पूछा था कि इस अवमाननापूर्ण ट्वीट को ब्लॉक क्यों नहीं किया गया है. तब ट्विटर के वकील ने तर्क दिया था कि कोर्ट के आदेश के बिना ट्विटर ट्वीट को ब्लॉक नहीं कर सकता है, हालांकि तब ट्विटर इस बात पर सहमत हुआ था कि वो इस बाबत अपने मुवक्किल को सलाह जरूर दे सकता है. अब ट्विटर ने प्रशांत भूषण के इस ट्वीट पर रोक लगा दी है.
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सूचना हटाने के लिए कोर्ट का आदेश जरूरी
इस मामले में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सामान्य कानून के मुताबिक पब्लिक स्पेस में आ चुकी कोई भी सूचना को वापस लेने के लिए कोर्ट का आदेश जरूरी होता है. लेकिन अवमानना कानून में कोर्ट कथित अवमानना कर्ता को अपना बयान वापस लेने और खेद प्रकट करने का आदेश देता है. ऐसा मालूम होता है कि ट्विटर ने ऐसा ही करने का फैसला किया है.
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संजय हेगड़े ने कहा कि ट्विटर एक प्राइवेट प्लेटफॉर्म है और पब्लिक फोरम के रूप में काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उचित नियमन की जरूरत है.
अनीषा माथुर