15 अगस्त से कुछ राज्यों में शुरू होगी 'मोदीकेयर', UP-बिहार अभी शामिल नहीं

हालांकि, पहले दिन से ही मरीज चयनित अस्पतालों में इलाज के लिए जा सकेंगे. जिसके तहत 5 लाख रुपए प्रति परिवार का बीमा तय किया गया है.

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15 अगस्त से शुरू होगी मोदीकेयर 15 अगस्त से शुरू होगी मोदीकेयर

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम योजना 'आयुष्मान भारत' इस साल 15 अगस्त से शुरू हो जाएगी. केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए जोर शोर से तैयारी की जा रही है. इसे मोदी केयर भी कहा जा रहा है. लेकिन 15 अगस्त को ये योजना सिर्फ 12 से 15 राज्यों में ही शुरू हो पाएगी.

इस स्कीम के चीफ आर्किटेक्ट डॉ. विनोद पॉल ने आजतक को बताया कि इस योजना को पहले ही दिन लागू करने के लिए अभी सभी राज्य तैयार नहीं हैं. इसलिए शुरू में 12-15 राज्य ही शामिल होंगे. हालांकि, पहले दिन से ही मरीज चयनित अस्पतालों में इलाज के लिए जा सकेंगे. जिसके तहत 5 लाख रुपए प्रति परिवार का बीमा तय किया गया है.

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कौन राज्य पहले फेज़ में शामिल नहीं होंगे -

1. उत्तर प्रदेश

2. बिहार

3. असम

4. पश्चिम बंगाल

बताया जा रहा है कि इन राज्यों को अभी पूरी तैयारी करने के लिए और समय चाहिए. इसलिए ये राज्य करीब 6 महीने या फिर इससे अभी अधिक का समय ले सकते हैं.

उन्होंने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों को इस योजना की शिकायत करने का कोई मौका नहीं है. कुछ अस्पताल तय दामों से 40 फीसदी अधिक चार्ज कर सकते हैं. लेकिन उनके लिए कुछ कंडिशन होंगी.

- 10 फीसदी जो अस्पताल NABH से मान्यता प्राप्त हो.

- 10 फीसदी जिन अस्पतालों में पीजी कोर्स चलता हो.

- 10 फीसदी जो पिछड़े जिलों में मौजूद हो.

- 10 फीसदी अगर राज्य एडिशनल मदद करें तो.

इसके अलावा उन्होंने बताया कि हर अस्पताल में आयुष्मान मित्र होगा, जो कि योजना की जानकारी के तहत मरीजों की मदद करेगा. इन अस्पतालों का रेगुलर ऑडिट होगा और मॉनिटर भी किया जाएगा.

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और क्या सुविधाएं होंगी?

# किसी भी तरह की शिकायत के लिए अलग से सिस्टम बनेगा.

# सरकार ने अप्रैल से ही ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के जरिए लोगों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है.

# इस योजना में सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों को पहले तवज्जो दी जाएगी.

# जिन राज्यों जिन राज्यों में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की बिड बराबरी पर छूटेगी वहां 50-50 बांट दिया जाएगा.

# इस योजना की कीमत करीब 12000 करोड़ रुपए तक जा सकती है.

# जीएसटी लागू करने के दौरान जो गलतियां हुई थीं, सरकार उन गलतियों को दोहराना नहीं चाहती है.

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