EXCLUSIVE: मोदी सरकार की ‘स्किल इंडिया’ स्कीम को पलीता लगा रहे हैं बिचौलिए ठग

इंडिया टुडे की जांच से सामने आया है कि तारा चंद्र अकेले नहीं हैं जिन्हें केंद्र के फ्लैगशिप कार्यक्रम के नाम पर बिचौलियों ने ठगा. बांदा के चौकिन पुरवा गांव के दो और लोगों से भी ‘स्किल इंडिया’ के नाम पर बिचौलियों ने ठगी की.

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स्किल इंडिया स्किल इंडिया

देवांग दुबे गौतम / खुशदीप सहगल / मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:49 AM IST

तारा चंद्र को ‘प्रमाणित दर्जी’ का ठप्पा तो मिल गया लेकिन इसे लेकर उनकी घबराहट-परेशानी छुपाए नहीं छुपती. तारा चंद्र के नाम के साथ ये ‘हुनर’ सिलाई के लिए ट्रेनिंग सेंटर में नाम लिखाए बिना, कभी वहां जाए बिना ही जुड़ गया. वो ट्रेनिंग सेंटर जो 15 जुलाई 2015  को लॉन्च किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुप्रचारित कार्यक्रम ‘स्किल इंडिया’ का हिस्सा है.   

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कपड़ा मंत्रालय की एकीकृत कौशल विकास योजना (ISDS)  का रिकॉर्ड बताता है कि तारा चंद्र ने सोनीपत स्थित मॉडर्न एजुकेशन सोसाइटी में सिलाई का हुनर सीखा. इसके लिए तारा चंद्र को 13 सितंबर को बाकायदा प्रमाणपत्र भी जारी हुआ जिसका नंबर 17210867803 है.

तारा चंद्र का कहना है, “मैंने सिलाई या कशीदाकारी (एम्ब्रायडरी) की कभी कोई ट्रेनिंग नहीं ली. मैंने राजमिस्त्री के काम के लिए सात दिन की कार्यशाला में हिस्सा लिया था लेकिन कभी बांदा ट्रेनिंग सेंटर नहीं गया. मैं कपड़े सिलना (टेलरिंग) नहीं जानता.”

‘स्किल इंडिया’ के नाम पर बिचौलियों ने की ठगी

इंडिया टुडे की जांच से सामने आया है कि तारा चंद्र अकेले नहीं हैं जिन्हें केंद्र के फ्लैगशिप कार्यक्रम के नाम पर बिचौलियों ने ठगा. बांदा के चौकिन पुरवा गांव के दो और लोगों से भी ‘स्किल इंडिया’ के नाम पर बिचौलियों ने ठगी की. स्किल इंडिया यानि वो कार्यक्रम जिसके तहत 2022 तक 40 करोड़ लोगों को विभिन्न हुनरों के लिए प्रशिक्षत करना है.

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दिहाड़ी मजदूर के नाते पसीना बहाने वाला राकेश भी कागज़ पर ‘प्रमाणित’ दर्जी है. राकेश भी उसी मॉडर्न एजुकेशन सोसाइटी में प्रशिक्षु नंबर 1507398 के तहत भर्ती दिखाया गया. ISDS की वेबसाइट के मुताबिक राकेश को 5 फरवरी को 6,500 रुपए मासिक भत्ते पर नियुक्त किया गया.

राकेश का कहना है, “मैं गुजारे के लिए मजदूरी करता हूं. कोई और मेरे नाम का इस्तेमाल कर पैसे बना रहा है.” स्किल इंडिया की सिर्फ नाम की ही एक और लाभार्थी अनिता देवी हैं. वो भी ऊपर बताए गए सेंटर में अपनी ट्रेनिंग के बारे में रत्ती भर भी नहीं जानती. 23 सितंबर 2017 को जारी किए प्रमाणपत्र नंबर 17210867810 के बारे में भी अनिता देवी कुछ नहीं जानतीं.

अनिता देवी कहती हैं, “वो हमारी सारी जानकारी ले गए. लेकिन किसी ने भी हमें नहीं बताया कि कहां और कब ट्रेनिंग कराई जानी है. मेरा परिवार है. मैं भी काम कर सकती थी और कुछ पैसे कमा सकती थी.”

स्किल इंडिया का ये है मकसद

स्किल इंडिया में मंत्रालयों, गैर सरकारी संगठनों (NGOs),  निजी हितधारकों को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए साथ जोड़ा गया कि देश में हुनरमंदों की कमी को दूर किया जा सके. इसके लिए लोगों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत ट्रेंड करने का रास्ता चुना गया. हर प्रशिक्षु के लिए 10,000 रुपए की स्वीकृत राशि में से पार्टनर एजेंसियां 75 फीसदी सरकारी सब्सिडी पाने की हकदार हैं. लेकिन बिचौलिए सीधे-साधे लोगों के आधार नंबर जैसी जानकारियों का इस्तेमाल कर उन्हें स्किल इंडिया के लाभार्थियों की तरह प्रोजेक्ट कर रहे हैं. बांदा की अतर्रा तहसील से भी ऐसी ही तस्वीर सामने आती है.

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ISDS के तहत आधिकारिक तौर पर प्रमाणित दर्जी रामानुज कहते हैं, “छेदीलाल (बिचौलिया) मेरा आधार कार्ड ये कह कर ले गया था कि ट्रेनिंग के बाद मेरी नौकरी लगवा देगा. तीन महीने बाद मुझे पता चला कि ट्रेनिंग तो हो भी चुकी है और मेरे नाम का इस्तेमाल किया गया.” रामानुज का प्रमाणपत्र नंबर 17130665810  है. इस प्रमाणपत्र के मुताबिक रामानुज ने पुणे स्थित महाराष्ट्र एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग और एजुकेशनल रिसर्च (MAEER)  से 2016 में ट्रेनिंग ली.

MAEER के समन्वय अधिकारी महेश देशपांडे स्किल इंडिया के खुले दुरुपयोग को महज़ ‘गलतफहमी’ कह कर खारिज करते हैं. देशपांडे कहते हैं- “नहीं, नहीं, जरूर कहीं कोई गलतफहमी हुई है. छात्र जो ट्रेनिंग के लिए आवेदन करते हैं, परीक्षा में बैठ सकते हैं, मंत्रालय उन्हें आंकता है. आधार कार्ड से समन्वय के हिसाब से प्रमाणपत्र तैयार किया जाता है. उसी के बाद मंत्रालय की ओर से प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं.” लेकिन इंडिया टुडे टीवी की पहुंच में मौजूद दस्तावेज और गवाहियों ने योजना के नाम पर चल रहे घोटाले को बेनकाब किया है.

सामाजिक कार्यकर्ता रूबी ज़ैनब अलफीजा के नाम से एनजीओ चलाती हैं. ये एनजीओ बांदा के अलीगंज में वंचित लोगों को वोकेशनल ट्रेनिंग देती हैं. रूबी को ठगों ने ये विश्वास दिला दिया कि वे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की हिस्सेदार हैं. एक बार फिर मॉडर्न एजुकेशन सोसाइटी का नाम सामने आया जिसने पिछले साल अलफीजा को 150 युवतियों को टेलरिंग में प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी.

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रूबी ने बताया, “हमें युवतियों को सिखाने के लिए कहा गया. उनका इंस्पेक्टरों (मॉडर्न एजुकेशन सोसाइटी से जुड़े) ने आंकलन भी किया.” रूबी के मुताबिक उन्होंने सरकार की ओर से प्रायोजित योजना को भरोसेमंद मानते हुए क्लास लेना शुरू कर दिया. अचानक चार महीने बाद इंस्पेक्टर गायब हो गए. रूबी ने कहा, “हमने कई चिट्ठियां लिखीं, सरकारी दफ्तरों के भी चक्कर लगाए लेकिन सब बेकार रहा. अब प्रशिक्षुओं की ओर से हमें कॉल आते रहते हैं.”

रूबी का कहना है कि जब से उन्होंने महिलाओं की आधार कार्ड डिटेल और फोटोग्राफ शेयर किए तब से इंस्पेक्टरों ने यहां आना बंद कर दिया. चिंतित रूबी ने कार्यक्रम की स्थिति जानने के लिए मंत्रालय में आरटीआई याचिका भी दाखिल की. 23  अगस्त को मिले जवाब ने रूबी को हिला कर रख दिया. जवाब में बताया गया: 146 महिलाएं उनके एनजीओ में पहले ही ट्रेनिंग ले चुकी हैं. इनमें से 95 को नियुक्ति मिल चुकी है! हालांकि ना तो प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र मिले और ना ही रूबी को ट्रेनिंग के संचालन के लिए कोई भुगतान मिला. लेकिन आरटीआई से मिले जवाब ने ये दिखाया कि माडर्न एजुकेशन सोसाइटी को विभिन्न जगहों पर ISDS कोर्सों को चलाने के बदले 1.12 करोड़ रुपए का मोटा भुगतान किया गया.

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20 वर्ष के आसपास की शबनम ने एनजीओ में खुद को एनरोल कराया था. शबनम कहती हैं, “मैंने 50 सहेलियों के साथ प्रमाणपत्र हासिल करने, लोन मिलने और अंतत: दुकानें खोलने की उम्मीद के साथ ट्रेनिंग की थी. मैं हताश हूं. मेरी सहेलियां मुझसे प्रमाणपत्र के लिए कहती रहती हैं.”

माडर्न एजुकेशन सोसाइटी के तत्कालीन अध्यक्ष मोहिंदर गौड़ किसी भी तरह की अनियमितता होने से इनकार करते हैं. वो मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देकर कहते हैं- “मंत्रालय की वेबसाइट पर सारे प्रशिक्षुओं और प्लेसमेंट्स का रिकॉर्ड मौजूद है. किसी तरह की अनियमितता का सवाल ही नहीं है. प्रशिक्षुओं की हाजिरी बायोमीट्रिक है और हर बात की निगरानी होती है.”

अतार्रा के सामाजिक कार्यकर्ता राजा भैया ने राज्य सरकार के कार्यक्रम के तह सेंटर की शुरुआत की. राज्य सरकार का ये क्रार्यकर्म स्किल इंडिया मिशन के साथ एकीकृत था. राजा भैया को कथित भ्रष्टाचार की वजह से सेंटर बंद कर देना पड़ा. राजा भैया को उम्मीद थी कि सेंटर से रोजगार सृजन होगा. लेकिन बाबुओं और अधिकारियों की ओर से कथित तौर पर स्वीकृति देने के लिए 10,000 रुपए मांगे जाने से राजा भैया को झटका लगा. राजा भैया का आरोप है कि परीक्षा पास आने पर 10,000 रुपए की और मांग की गई.

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 राजा भैया ने कहा, “दलाल और बिचौलिए एक तरह से कौशल विकास योजनाओं के नाम पर गावों में आधार कार्ड चुरा रहे हैं. इसके बाद पीड़ितों को फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभार्थी दिखाया जाता है और उनकी जानकारिया सरकारी वेबसाइटों पर चढ़ा दी जाती हैं.”

 कांग्रेस का पीएम मोदी पर हमला

इंडिया टुडे टीवी के इस खुलासे पर कांग्रेस ने त्वरित प्रतिक्रिया दी. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी  (AICC) के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री मोदी पर उनके उस बयान के लिए निशाना साधा कि अगर दिल्ली से एक रुपया जारी होता है तो पूरे 100 पैसे गरीब के घर पहुंचते हैं. ” सुरजेवाला ने इंडिया टुडे टीवी की आंखें खोलने वाली जांच के लिए प्रशंसा की.

उन्होंने स्किल इंडिया को ‘डीस्किल इंडिया की योजना’ बताया. सुरजेवाला ने कहा, “इंडिया टुडे टीवी को साधुवाद, सच ये है कि मोदी जो भी रुपया भेजते हैं उसका 100 फीसदी बेइमानी की भेंट च़ढ़ जाता है. फर्जी रिकॉर्ड, जालसाज कंपनियां और एजेंसियां बीजेपी समर्थकों को स्किल इंडिया का पैसा हड़पने के लिए दिए जाना, साबित करता है कि ये स्कीम डीस्किल इंडिया के लिए है.”  

झारखंड के लिए AICC प्रभारी आरपीएन सिंह ने भी सुरजेवाला की बात का समर्थन किया. उन्होंने कहा, “ मैं इंडिया टुडे टीवी को इस खुलासे के लिए बधाई देता हूं. इससे पता चलता है कि लाभार्थियों तक कोई पैसा नहीं पहुंच रहा है. मोदी ने हाल में कहा था कि केंद्र से जारी एक रुपया गांव में आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचता है. लेकिन गांव वालों तक एक पैसा भी नहीं पहुंच रहा है.’’

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वहीं केंद्रीय कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंडिया टुडे टीवी के खुलासे पर कहा, "हम इस मामले को देखेंगे. अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी."

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