दुश्मन होगा नाकाम: अब सीमा की निगरानी के लिए आ रहा है ये रोबोट

सार्वजनिक कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के वैज्ञानिक एक ऐसे रोबोट पर काम कर रहे हैं जो हर तरह के इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी में इस्तेमाल हो सकता है. इस तरह के रोबोट का एक प्रोटोटाइप दिसंबर तक तैयार हो सकता है.

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BEL द्वारा रोबोट का किया जा रहा विकास BEL द्वारा रोबोट का किया जा रहा विकास

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2019,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

भारतीय वैज्ञानिक एक ऐसे रोबोट पर काम कर रहे हैं जो हर तरह के इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी में इस्तेमाल हो सकता है. इस तरह के रोबोट का एक प्रोटोटाइप दिसंबर तक तैयार हो सकता है. डिफेंस क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) इस तरह के रोबोट के विकास पर काम कर रही है. कंपनी को इसके विकास के बाद सेना से अच्छे ऑर्डर मिलने की उम्मीद है.

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बेल के इस रोबोट में ऐसे सेंसर और प्रोग्राम होंगे, जो कंट्रोल सेंटर को तत्काल कोई जानकारी भेज सकेंगे. यह रोबोट श्रीलंका में हाल में हुई आतंकवादी घटनाओं जैसे हालात को रोकने के लिए भी कारगर हो सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, सीमा पर गश्ती के लिए ऐसे रोबोट तैनात करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे सीमा पर हमारे जांबाज सैनिकों की शहादत या उनके घायल होने की घटनाएं कम होंगी. छोटे ऑर्डर के लिए इन रोबोट की अनुमानित लागत 70 से 80 लाख रुपये की होगी. लेकिन ज्यादा संख्या में ऑर्डर मिलने पर इस रोबोट की लागत और कम हो जाएगी. फिलहाल बेल की बेंगलुरु और गाजियाबाद स्थ‍ित सेंट्रल रिसर्च लाइब्रेरी और बेंगलुरु के बेल सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी सेंटर (BSTC) के 80 वैज्ञानिक और इंजीनियर निगरानी रोबोट तैयार करने में लगे हुए हैं.

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इस टीम ने एक बेसिक रोबोट तैयार भी कर लिया है, लेकिन निगरानी के लिए जिस रोबोट का विकास किया जा रहा है, वह अगली पीढ़ी का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस होगा. ऐेसे रोबोट के विकास के लिए काफी रॉ डेटा की जरूरत होती है, लेकिन डेटा मिलने के बाद उनका इस्तेमाल इस तरह से किया जा सकता है कि रोबोट हर तरह का काम कर सके.

खबर के अनुसार, बेल की योजना दिसंबर के पहले हफ्ते में तैयार हो जाने वाले पहले प्रोटोटाइप रोबोट की आंतरिक समीक्षा करने की है. इसके लिए यूजर ट्रायल फरवरी 2020 तक शुरू हो सकता है. बेल इस साल के अंत तक कई और एआई क्षमता वाले उत्पाद तैयार करेगा. हालांकि ऐसे उत्पादों के लिए उसे सेना से कोई मांग नहीं मिली है, लेकिन वह खुद ही ऐसे उत्पाद कर रही है जो कि सेना के लिए उपयोगी हो सके.

करीब सवा तीन हज़ार किमी का बॉर्डर भारत को पाकिस्तान से अलग करता है. इसमें से ज़्यादातर एरिया को भारत ने फेंसिंग लगाकर महफूज़ कर रखा है. मगर 146 किमी का बॉर्डर एरिया अभी भी ऐसा है जहां तारबंदी कर पाना मुमकिन नहीं है. और यही वो जगह हैं जहां से घुसकर आतंकी भारत में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देते हैं.

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हाल में ही सरहद की निगरानी के लिए स्मार्ट फेंसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई है. इसका नाम है कॉप्रीहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम यानी CIBMS. इस सिस्टम में एक अदृश्य लेज़र वॉल रहेगी, जो सरहद की निगरानी करेगी. इस दौरान एक साथ कई सिस्टम काम कर रहे होंगे, जो हवा, जमीन और पानी में देश की सीमा की रक्षा करेंगे.

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