मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके है. वारासिवनी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) के योगेंद्र निर्मल और कांग्रेस के संजय सिंह मेसानी के बीच मुकाबला था. लेकिन कांग्रेस के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप अमृतलाल जायसवाल ने यहां जीत दर्ज की. उन्होंने बीजेपी के योगेंद्र निर्मल को हराया. उन्हें 57783 वोट मिले, जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 53921 वोट ही मिले.
शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी को इस सीट पर बुरी हार मिली. उन्हें 11 हजार 785 वोट ही मिल पाए हैं. बहुजन समाज पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन करते दिखी. उन्हें 21,394 वोट मिले.
Madhya Pradesh election results: यहां देखें सबसे तेज नतीजे
2013 में विधानसभा की क्या थी तस्वीर
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 35 सीट अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 165 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
2008 और 2013 में क्या थे इस सीट पर नतीजे
विधानसभा चुनाव-2013
भाजपा- योगेन्द्र निर्मल-66806 (46.88%)
कांग्रेस-प्रदीप अमृतलाल जायसवाल-48868 (34.30%)
बसपा-अजब लाल-18992 (13.33%)
विधानसभा चुनाव-2008
कांग्रेस-प्रदीप अमृतलाल जायसवाल- 50984 (41.77%)
भाजपा-बोध सिंह भगत- 35994 (29.49%)
बसपा-अजबलाल तुलाराम- 24104 (19.75%
वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार मध्य प्रदेश में 75.05 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 74.03 प्रतिशत रहा. 2013 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 70.11 रहा था.
इसके पहले कैसा रहा है वोटिंग का प्रतिशत
1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में बीजेपी मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी.
वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 रहा था जो 1993 के बराबर ही था. उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. लेकिन 2003 में उमा के नेतृत्व में बीजेपी सामने आई और दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. उस वक्त भी 7.03 प्रतिशत वोट बढ़े थे.
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देवांग दुबे गौतम