देश की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले मलप्पुरम में मस्जिदें अभी भी बंद

देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले केरल के मलप्पुरम जिले में मस्जिदें अभी तक बंद हैं. केंद्र व राज्य सरकार ने इन मस्जिदों को बंद नहीं करा रखा बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही खुद से ही पहल कर बंद रखा है और अपने-अपने घरों में ही इबादत कर रहे हैं.

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मलप्पुरम की मस्जिद मलप्पुरम की मस्जिद

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

  • केरल के मलप्पुरम में 72.4 फीसदी मुस्लिम आबादी
  • मलप्पुरम जिले में करीब 5000 मस्जिद हैं, जो बंद हैं

कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में बंद हुए धार्मिक स्थल केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद खुल गए हैं. फिर भी देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले केरल के मलप्पुरम जिले में मस्जिदें अभी तक बंद हैं. दरअसल, केंद्र व राज्य सरकार ने इन मस्जिदों को बंद नहीं करा रखा बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही खुद से पहल कर इन्हें बंद रखा है और अपने-अपने घरों में ही इबादत कर रहे हैं. हालांकि, केरल के बाकी इलाके में मंदिर, मस्जिद और चर्च सहित तमाम धार्मिक स्थल खुले हुए हैं.

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केरल का मलप्पुरम 72.4 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला जिला है, जो देश में सबसे ज्यादा है. मलप्पुरम में तकरीबन 5,000 मस्जिदें हैं, जिन्हें 30 जून तक के लिए फिलहाल बंद कर रखा गया है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के जिला अध्यक्ष और इस्लामिक स्कॉलर सादिक अली शिहाब थंगल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरों के चलते ही हमने अभी तक मस्जिदों को सार्वजनिक रूप से नमाज के लिए नहीं खोला है. उन्होंने कहा कि अभी तो 30 जून तक के लिए फैसला लिया गया है, लेकिन उसके बाद जिस तरह से हालात होंगे उसे देखते हुए फैसला लिया जाएगा.

मलप्पुरम में 18वीं सदी में बनी मस्जिद

बता दें कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के साथ ही देश भर में 24 मार्च से ही तमाम धार्मिक स्थल बंद कर दिए गए थे, लेकिन केंद्र सरकार ने 9 जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दे दी है. सरकार के इस ऐलान के बाद तमाम धार्मिक स्थल खुल गए हैं, लेकिन केरल के मलप्पुरम जिले के मुस्लिम समुदाय ने अपनी अलग राह चुनी है. मलप्पुरम के आठ मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने बैठक कर फैसला लिया था कि सरकारी निर्णय के बाद भी जिले में मस्जिदें नहीं खोली जाएंगी और लोग अपने-अपने घरों से नमाज पढ़ेंगे.

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जमात-ए-इस्लामी हिंद के सचिव और मलप्पुरम के रहने वाले टी आरिफ अली ने बताया कि यहां की मस्जिद कमेटियों और धार्मिक रहनुमाओं ने यह जरूरत महसूस की कि अभी सतर्कता बरतनी चाहिए. जिले की काफी बड़ी आबादी गल्फ और देश के दूसरे शहरों में रहती है, जो अब तेजी से वापस आ रहे हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा भी है. इसीलिए यहां के मुस्लिम समुदाय ने मस्जिदों को बंद कर रखा है.

मलप्पुरम मंदिर

देश में मलप्पुरम इस मामले में अनोखा है कि यहां लोगों ने खुद तय किया है कि मानवता के हक में वह धार्मिक स्थल बंद कर रखेंगे और अपने-अपने घरों से ही नमाज पढ़ेंगे. अल्पसंख्यक समुदाय की पहल ली है, लेकिन बाकी धार्मिक समूहों और संप्रदाय ने भी अपने-अपने धार्मिक स्थलों को बंद रखा है.

केरल वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद बन्ना ने बताया कि मलप्पुरम में मस्जिदें ही नहीं बल्कि इलाके के कई मंदिरों और चर्च भी बंद हैं. मलप्पुरम की कदमपुजा भगवती मंदिर पिछले चार महीने से बंद है. एर्नाकुलम अंगमाली आर्चडाओसिस ऑफ सिरो मलबार चर्च को भी 30 जून तक बंद रखने का फैसला किया गया है. वह कहते हैं कि केरल का मलप्पुरम में सूबे के सबसे ज्यादा स्कूल हैं या जिसने सूबे की सांस्कृतिक परंपराओं में जबरदस्त योगदान दिया है.

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मस्जिद

सैय्यद बन्ना ने बताया कि मलप्पुरम के मुस्लिम इस बात को लेकर भी सावधानी बरत रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि मस्जिद खोले और संक्रमण फैले, जिसकी वजह से उन्हें बदनाम होना पड़े. वह कहते हैं कोरोना के लिए जिस तरह से तबलीगी जमात को कटघरे में खड़ा किया गया है, इसके चलते भी सावधानी बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि मलप्पुरम मुस्लिम आबादी वाला जिला होने की वजह से भी टारगेट पर रहता है. हाल ही में जिस तरह से एक हथनी के मरने पर मलप्पुरम को निशाने पर लिया गया है, उसकी वजह से लोग सतर्क हैं.

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