देशभर में अनाथ बच्चों के रहने के लिए चाइल्ड होम के शौचालय के दरवाजों में कुंडी है या नहीं, छोटे बच्चों के खेलने लिए खिलौने हैं या नहीं, या फिर बच्चों की संख्या के हिसाब से चाइल्ड होम में खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था है या नहीं, इसको लेकर एक जांच की जा रही है.
इसके लिए महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने अलग-अलग राज्यों में निरीक्षण टीम का गठन किया है, जिसने अपना काम शुरू कर दिया है और बहुत जल्दी अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगा.
चाइल्ड होम की स्थिति सुधारने की कोशिश
दरअसल देशभर के करीब 8 हजार चाइल्ड होम में रहने वाले बच्चों के लिए नया संशोधित किशोर न्याय अधिनियम एक नई आशा की किरण लेकर आया है. इसी अधिनियम कि धारा 41 के तहत ही महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने निरीक्षण का काम शुरू किया है, मंत्रालय में ज्वाइंट सेकेट्री रश्मि सहगल ने बताया कि चाइल्ड हेल्पलाइन के अधिकारियों की मदद से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है. जांच के लिए 5 पेज का एक फोरमेट तैयार किया गया है जिसमें लिखे गए सवालों के जवाब होम में रहने वाले बच्चों और वहां के अधिकारियों से लिए जा रहे हैं.
इस निरीक्षण रिपोर्ट से बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में एक वास्तविक रिपोर्ट सामने आएगी, साथ ही सरकार की ओर से इन होम को दी जाने वाली सहायता का सही उपयोग हो रहा है या नहीं, इसका भी पता चलेगा.
अमित कुमार दुबे / अनु जैन रोहतगी