Exclusive: सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं, गहरा रहा है गलवान गतिरोध

22 जून को दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी. उस दिन ली गई तस्वीरों से पेट्रोल पॉइंट 14 के पास चीनी सेना का नया फॉरवर्ड बिल्ड-अप दिखता है. सैटेलाइट तस्वीर में इस पॉइंट के पीछे चीनी पक्ष की ओर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य दिखता है.

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गलवान वैली में दोनों देश की सीमाओं के बीच हो चुकी है हिंसक झड़प (प्रतीकात्मक तस्वीर) गलवान वैली में दोनों देश की सीमाओं के बीच हो चुकी है हिंसक झड़प (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अंकित कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

  • 22 जून को दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की लंबी वार्ता हुई थी
  • तस्वीरों में पेट्रोल पॉइंट 14 के पास चीनी सेना का नया फॉरवर्ड बिल्ड-अप दिखा

गलवान घाटी प्रकरण पर अभी पर्दा नहीं गिरा है. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि भारतीय और चीनी सैनिक संभवत: गलवान नदी घाटी क्षेत्र में नई पोजीशन्स ले चुके हैं. 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के टकराव के बाद ग्राउंड जीरो की हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने LAC के पास आक्रामक मुद्रा अपना रखी है.

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22 जून को दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी. उस दिन ली गई तस्वीरों से पेट्रोल पॉइंट 14 के पास चीनी सेना का नया फॉरवर्ड बिल्ड-अप दिखता है. सैटेलाइट तस्वीर में इस पॉइंट के पीछे चीनी पक्ष की ओर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य दिखता है.

मैक्सार वर्ल्डव्यू 3 सैटेलाइट की ओर से खींची गई और इंडिया टुडे से साझा की गई तस्वीरों में अर्थ मूविंग व्हीकल, जेसीबी मशीनें और चीनी सेना की ओर से बनाए गए प्री-फैब्रिकेटेड शेड्स देखे जा सकते हैं.

सोर्स- 'सैटेलाइट इमेज ©2020 मैक्सार टेक्नोलॉजिस', इंडिया टुडे के लिए कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने तस्वीर की व्याख्या की

सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने इन तस्वीरों का विश्लेषण किया. कर्नल भट ने इंडिया टुडे को बताया, 'दोनों पक्षों ने नदी के किनारों पर अपने सैनिकों को तैनात किया है. लेकिन लगता है कि PLA के सैनिक अपने वायदे के मुताबिक पीछे नहीं हटे हैं.'

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कर्नल भट ने नोट किया कि भारतीय पक्ष की ओर तंबू संघर्ष की जगह से 500 मीटर दूरी पर हैं. वहीं चीनियों का तबुंओं और स्टोरेज का दायरा ज्यादा बड़ा फैला है और संघर्ष की जगह के बहुत पास है. कर्नल भट ने कहा, 'तस्वीरों में ऑब्जर्व की गई अधिकतर स्टोरेज संघर्ष की जगह से 200 मीटर से 2 किलोमीटर तक है.'

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जमीन पर सड़क निर्माण में काम आने वाले बुलडोजर्स, क्रेन्स और तारकोल ट्रक्स भी तस्वीरों में देखे जा सकते हैं.

सोर्स- 'सैटेलाइट इमेज ©2020 मैक्सार टेक्नोलॉजिस', इंडिया टुडे के लिए कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने तस्वीरों की व्याख्या की-

भारतीय पोजीशन

हालांकि चीनी सेना की जमीन पर व्यापक तैनाती नजर आती है, लेकिन भारतीय सेना के पास गलवान माउंटेन के टॉप पर अहम पॉइंट हो सकता है जो भारत को वार्ताओं में अहम रणनीतिक लाभ देता है.

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कर्नल भट ने इंगित किया, 22 जून को ली गई तस्वीरों में पहाड़ों को जाने वाले रास्ते सिर्फ भारतीय दिशा से दिखते हैं और चीनी दिशा से नहीं दिखते.

सोर्स- 'सैटेलाइट इमेज ©2020 मैक्सार टेक्नोलॉजिस', इंडिया टुडे के लिए कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट्ट ने तस्वीर की व्याख्या की. तस्वीरों में जमीन पर नदी के दूसरी तरफ भारतीय पक्ष की ओर भी अस्थाई मजबूत की गईं दीवारें नजर आती हैं.

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सोर्स- 'सैटेलाइट इमेज ©2020 मैक्सार टेक्नोलॉजिस', इंडिया टुडे के लिए कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने तस्वीर की व्याख्या की

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से ऐसे बयान जारी किए गए, जिनमें पूरी गलवान नदी घाटी को चीन का क्षेत्र होने का दावा किया, जिसे भारत के विदेश मंत्रालय ने तत्काल खारिज कर दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा, 'गलवान घाटी क्षेत्र के संबंध में स्थिति ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट है. चीनी पक्ष की ओर से अब आगे बढ़ने की कोशिशें और LAC के संदर्भ में किए गए अतिरंजित और अस्थिर दावे स्वीकार्य नहीं हैं.'

भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों ने सोमवार को दूसरे दौर की बातचीत की जो लगभग 11 घंटे चली. दोनों पक्ष आपसी सहमति से अलग हो गए हैं, दोनों पक्ष तनाव घटाने के लिए आम सहमति पर पहुंचे लेकिन डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को अभी अंतिम रूप दिया जाना है.

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