61 साल के डॉ. पीटर बी. स्कॉट मॉर्गन ने मौत के सामने झुकने के बजाय सोचा कि क्यों न विज्ञान की सभी सीमाओं को पार किया जाए. उन्होंने खुद को पूरी तरह से रोबोट बनाने के लिए विज्ञान को सौंप दिया है. वे चाहते हैं कि जब वे पूरी तरह से Cyborg बन जाएं तो लोग उन्हें पीटर 2.0 कहकर बुलाएं.
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लगभग Cyborg बन चुके हैं डॉ. पीटर. बी. मॉर्गन स्कॉट
डॉ. पीटर बी. मॉर्गन स्कॉट दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके शरीर के तीन हिस्से मैकेनिकल हो चुके हैं. यानी उनमें यंत्र लग चुके हैं. इसके लिए जून 2018 में कई ऑपरेशन हुए. पहला - गैस्ट्रोटोमी - यानी खाने की एक ट्यूब सीधे उनके पेट से जोड़ दी गई है, ताकि खाना सीधे उनके पेट में जाए. दूसरा - सिस्टोटोमी - ब्लैडर से कैथेटर जोड़ दिया गया है, ताकि उनके पेशाब साफ हो सके. तीसरा - कोलोस्टोमी - एक वैक्यूम क्लीनर जैसा वेस्ट बैग उनके कोलोन से जोड़ दिया गया है, ताकि उनके मल की सफाई हो सके. चौथा - फेफड़ों में सांस लेने के लिए सीधी नली लगी है.
इतना ही नहीं, कुछ और ऑपरेशन करने के लिए सबसे बेहतरीन रोबो साइंटिस्ट्स ने जुटे. पीटर के चेहरे को आकार देने वाली सर्जरी भी की गई. अब उनका चेहरा रोबोटिक हो चुका है. उसमें आर्टिफिशियल मांसपेशियां लगी हैं. इसके अलावा आई कंट्रोलिंग सिस्टम भी विकसित किया गया. यह उनके चेहरे में लगा हैं. वे इसकी मदद से कई कंप्यूटर्स को अपनी आंखों के इशारे से चला सकते हैं.
आगे क्या हुआ है डॉ. पीटर बी. मॉर्गन स्कॉट के साथ?
हाल ही में यानी 10 अक्टूबर को उनका आखिरी ऑपरेशन हुआ. जिसमें उनके दिमाग को आर्टिफिशियन इंटेलीजेंस से जोड़ा गया और आवाज को बदल दिया गया. यह सर्जरी कितनी सफल हुई यह तो नहीं पता चल सका लेकिन उससे ठीक पहले डॉ. पीटर ने कहा था कि वे मर नहीं रहे हैं. वे बदल रहे हैं. वे विज्ञान से बहुत प्यार करते हैं.
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डॉ. पीटर की कहानी उन्हीं की जुबानी - बीमारी ने गलत आदमी को चुन लिया
डॉ. पीटर बी. मॉर्गन स्कॉट ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि मैं पीटर 2.0 बनने जा रहा हूं. यानी मैं Cyborg बनने जा रहा हूं. 13.8 बिलियन वर्षों में पहली बार कोई इंसान इतना एडवांस रोबोट बन रहा है. 13.8 बिलियन वर्ष यानी अपने बह्रमांड की उम्र. मेरे शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से सिंथेटिक हो जाएगा और दिमाग का कुछ हिस्सा रोबोटिक. मेरे शरीर में हार्डवेयर, वेटवेयर, डिजिटल और एनालॉग हो जाएगा. मुझे पता है कि बतौर मानव मैं मर चुका होउंगा, लेकिन एक Cyborg की तरह जिंदा रहूंगा.
दुश्मन होगा नाकाम: अब सीमा की निगरानी के लिए आ रहा है ये रोबोट
मोटर न्यूरॉन बीमारी (MND) ने इस बार गलत आदमी को चुन लिया है. इस बार यह बीमारी एक इंसान, अरे नहीं...एक Cyborg से हार जाएगी. दिसंबर 2017 में मुझे डॉक्टरों ने बताया कि आपको MND है. आप दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रहेंगे. मैंने खुद को रोबोट बनाने की सोचकर दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों को ईमेल किया. मैं खुश था कि मैं खुद को प्रयोग के लिए तैयार कर रहा हूं. दुख इस बात का था कि कोई इस रिसर्च के लिए फंड नहीं दे रहा था. मैंने खुद ही अपने पैसे लगाने की बात कही.
फिर मेरे पास तीन टीवी कंपनियां आईं. कह रही थीं कि वे मेरे ऊपर डॉक्यूमेंट्री बनाएंगे. फिर मैंने एक चैनल को हां कह दिया. प्रोग्राम चला तो निवेशक भी आए और फंड भी आ गया. फिर शुरू हुआ दुनिया का सबसे बड़ा बदलाव. मेरा अगला पूरा साल कई सर्जरी में गया. जिसमें मदद की NHS के वैज्ञानिकों ने. इसके बाद दुनिया की 9 बेहतरीन विशेषज्ञ कंपनियां जुट गई मुझे इंसान से Cyborg बनाने में.
21 मार्च 2019 को मेरे सामने दुनिया की सबसे उम्दा हाईटेक कंपनियों को लोग खड़े थे. जो ये कह रहे थे कि वे मेरे लिए आर्टिफिशिय इंटेलीजेंस वाला दिमाग देंगी और मेरी आवाज को सालों-साल के लिए सुरक्षित करेंगी. ये कंपनियां हैं- माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, डेल, डीएक्ससी और एक्सेंचर. आखिरकार मुझे मेरा वो सपना पूरा होते दिखा जो मैंने डेढ़ साल पहले देखा था.
ऋचीक मिश्रा