NIA संशोधन बिल पर मनीष तिवारी के तीखे सवाल, उठाया संवैधानिक वैधता का मुद्दा

लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल पर सवाल खड़े किए और कहा कि किसी भी जांच एजेंसी को और ताकतवर बनाने के कुछ नुकसान भी हैं क्योंकि उसके राजनीतिक इस्तेमाल का खतरा पैदा हो जाता है.

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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी कांग्रेस नेता मनीष तिवारी

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नई ताकतें देने वाला संशोधन बिल पेश हुआ. इस बिल के बाद इस जांच एजेंसी को कई अधिक शक्तियां मिलेंगी लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है. लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल पर सवाल खड़े किए और कहा कि किसी भी जांच एजेंसी को और ताकतवर बनाने के कुछ नुकसान भी हैं क्योंकि उसके राजनीतिक इस्तेमाल का खतरा पैदा हो जाता है. इस दौरान उन्होंने साध्वी प्रज्ञा मामले का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें NIA की जांच पर सवाल खड़े हुए थे.

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मनीष तिवारी ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ने सुप्रीम कोर्ट में NIA की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़े किए थे. हालांकि, वह अपनी आपत्ति को सिद्ध नहीं कर पाई थीं.

लोकसभा में मनीष तिवारी ने कहा कि देश का कानून कहता है कि जब तक आपका जुर्म साबित ना हो जाए तब तक आप बेगुनाह हैं. तिवारी ने कहा कि सरकार ऐसे में किसी जांच एजेंसी को चलाने का काम करने लगती है. जब सरकार कोई ऐसा बिल लेकर आए तो उसे यह तय करना पड़ेगा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए.

मनीष तिवारी ने कहा कि एनआईए की संवैधानिक वैधता पर पहले भी सवाल खड़े हुए थे और फिर हो सकते हैं, ऐसे में सरकार को इससे निपटने के प्रावधान भी करने चाहिए.

एनआईए संशोधन बिल में साइबर आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता बोले कि आतंकवाद को परिभाषित किए बिना, डाटा प्रोटेक्शन कानून के बिना कैसे साइबर आतंकवाद को डील किया जाएगा क्योंकि अब तक किसी जघन्य अपराध को कब आतंकी गतिविधि कहा जाए, इसकी ही परिभाषा तय नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सीबीआई के संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे गुवाहाटी कोर्ट ने अवैध करार दिया था तो सरकार क्यों 6 साल में इसकी वैधता नहीं बता पाई.

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आपको बता दें कि संशोधित बिल के मुताबिक अब दुनिया के किसी भी देश में एनआईए को भारतीयों पर आतंकी हमले की जांच का अधिकार देने का प्रावधान किया गया है. जांच में देरी न हो इसके लिए एनआईए कोर्ट के लिए हाई कोर्ट की ओर से विशेष जजों की नियुक्ति का प्रावधान भी रखा गया है.

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