3 तलाक अध्यादेश फिर जारी करने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी

cabinet approves re-promulgation of triple talaq ordinance and others गुरूवार को केंद्रीय कैबिनेट ने एक बार में तीन तलाक को अपराध घोषित किए जाने से संबंधित अध्यादेश को फिर से जारी करने के प्रस्ताव समेत कई और बड़े फैसले लिए. जिनमें जम्मू-कश्मीर और गुजरात में एम्स की स्थापना और एमसीआई का संचालन समिति को सौंपने वाले अध्यादेश को फिर से जारी करने की मंजूरी शामिल हैं.

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अध्यादेश के मुताबिक 3 तलाक अपराध घोषित होगा. (Photo: PTI) अध्यादेश के मुताबिक 3 तलाक अपराध घोषित होगा. (Photo: PTI)

राहुल झारिया

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  • 11 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

गुरूवार को ही केंद्रीय कैबिनेट ने एक बार में तीन तलाक को अपराध घोषित किए जाने से संबंधित अध्यादेश को फिर से जारी करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी. इससे पहले जारी अध्यादेश की अवधि 22 जनवरी को खत्म हो रही है.

बता दें कि पहला अध्यादेश पिछले साल सितंबर में जारी किया गया था. पहले बिल को कानून का रूप प्रदान करने के लिए एक विधेयक राज्यसभा में लंबित है. जहां विपक्ष इसे पारित किए जाने का विरोध कर रहा है.

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव से पहले तीन तलाक बिल को महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम उपलब्ध‍ि के तौर पर पेश करना चाहती है. वहीं, बिल राज्यसभा में अटकने के बाद सरकार के पास इस विधेयक को जिंदा रखने के लिए अध्यादेश लाने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं था. संसद का सत्र केंद्र की मोदी सरकार के लिए अंतिम सत्र था.

संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन यानी 31 दिसंबर को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे की वजह से यह विधेयक सदन में पेश ही नहीं किया जा सका. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग पर अड़ गए जिसके बाद हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. लोकसभा में वोटिंग के बाद यह विधेयक पारित हो चुका है.

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एमसीआई का संचालन समिति को सौंपने वाले अध्यादेश को फिर से जारी करने की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घोटाले के कारण विवादों में आई  मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(एमसीआई) के संचालन की जिम्मेदारी एक समिति को सौंपने संबंधी अध्यादेश को फिर से जारी करने की मंजूरी दी. पहले के अध्यादेश को कानून में बदलने का एक विधेयक संसद की मंजूरी के लिए लंबित है.

संसद में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 अभी पारित नहीं हुआ है. इस विधेयक में भारत में चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था और एमसीआई के पुन: गठन का प्रावधान है.

इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में एमसीआई का संचालन समिति के हाथों में सौंपने और इसकी शक्तियां बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को देने का एक अध्यादेश जारी किया था.

जम्मू-कश्मीर और गुजरात में एम्स के प्रस्ताव को हरी झंडी

वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरूवार को जम्मू-कश्मीर में दो और गुजरात में एक एम्स की स्थापना करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. सूत्रों के मुताब‍िक, जम्मू में संबा के विजयनगर में 1,661 करोड़ रुपये की लागत से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना की जाएगी. जबकि कश्मीर में पुलवामा के अवनतीपुरा में 18,28 करोड़ रुपये की लागत से अन्य एम्स बनाया जाएगा.

बयान में बताया गया है कि इसके अलावा, गुजरात के राजकोट में 1,195 करोड़ रुपये की लागत से एम्स बनाया जाएग.

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अपना आभार व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि तीन एम्स को मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि को दिखाता है और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को कायम रखती है.

नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री के विकास पैकेज के तहत जम्मू कश्मीर में दो (जम्मू में एक और कश्मीर में एक) एम्स का ऐलान किया गया था जबकि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में गुजरात में एम्स बनाने की घोषणा की थी.

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