सिटिजन संशोधन बिल पास होने के बाद BJP प्रवक्ता का इस्तीफा

मंगलवार को संसद में केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर दिया है. यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

पन्ना लाल

  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:03 PM IST

लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित होने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मेहदी आलम बोरा ने इसके विरोध में मंगलवार को पार्टी के सभी पदों से त्याग पत्र दे दिया. इस विधेयक के विरोध में बोरा पहले ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं जिन्होंने इसके विरोध में भाजपा छोड़ी है. उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास को अपना त्यागपत्र सौंपा है. बोरा ने अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘‘मैं नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं. मैं सही अर्थों में महसूस करता हूं कि इससे असमी समाज को हानि होगी.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक असमी समाज के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को प्रभावित करेगा. इसलिए मैं लगातार इसका विरोध करता आ रहा हूं.’’बोरा ने कहा, ‘‘लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद मैं भाजपा से सहमत नहीं हो सका और इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं.

बता दें कि मंगलवार को संसद में केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर दिया है. यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता है. जैसे ही सरकार ने कांग्रेस और तृणमूल की विधेयक को फिर से संसदीय समिति के पास भेजने की मांग को खारिज किया, दोनों दलों के सदस्य सदन से बाहर चले गए.

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विधेयक पर चर्चा के जवाब में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि विधेयक केवल असम के लिए सीमित नहीं है बल्कि यह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी लागू होगा. उन्होंने कहा, "इन सताए हुए आव्रजकों का बोझ पूरे देश द्वारा उठाया जाएगा. असम अकेले इस पूरे भार को नहीं उठा सकता और सरकार असम की सरकार और लोगों को सभी प्रकार की मदद मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है."

नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में 'गलतफहमी' दूर करते हुए उन्होंने इन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा सामना किए जा रहे भेदभाव और धार्मिक अत्याचार के बारे में बताया.

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